वो दिन याद करके
हम ना जाने कहां खो जाते हैं,
जब नौकरी के लिए
हम दिन रात धक्के खाते थे,
जिंदगी के संघर्ष में हम
रोज ऑफिसों के चक्कर लगाते थे,
इंटरव्यू को देते देते हैं
हम खुद परेशान हो जाते थे,
मनचाही नौकरी पाने के चक्कर में
हर भगवान को ढोक आते थे,
एक मनचाही हां के लिए
न जाने कितनी मेहनत कर जाते थे,
कई जगह से ना सुनकर भी
हम हताश नहीं हो जाते थे,
फिर से उठकर अगले दिन
फिर काम पर लग जाते थे,
जिस दिन नौकरी मिलती
उस दिन खुशी से फूले नहीं समाते थे,
नौकरी मिलने की खुशी में
सबको मिठाई खिलाते थे,
अपनी खुशी को बांटने
परिवार में दोस्तों के साथ पार्टी मनाते थे,
वो भी क्या दिन थे यार
जब जिंदगी के संघर्ष में हम बच्चे से बड़े बन जाते थे।
Written by- Sakshi Jain