मेरी जिंदगी कुछ पल के लिए
आज मुझे वापस पुराने वक्त में ले आयी है,
जहां पर मेरी दुनिया
जैसे पुराने किस्सों से भर आई है,
बच्चों के खिलौने देख
दिल फिर से बच्चा बन जाता है,
बचपन की नादानियों को याद कर
दिल मेरा भर आता है,
पुरानी किताबों को देखकर
दिल फिर से उन्हें पढ़ना चाहता है,
उन्हें पढ़ते-पढ़ते दिल
पुरानी यादों में खो जाता है
साइकिल को देखकर दिल
फिर से उसे चलाना चाहता है,
उसको चलाते-चलाते
कहीं दूर निकल जाना चाहता है,
वो बचपन के खेल
याद बचपन की दिलाते हैं,
उन्हें खेलते खेलते
न जाने हम कब बड़े हो जाते हैं,
दोस्तों के साथ बैठकर
गप्पे लड़ाना याद बड़ा ही आता है,
इन्हीं गप्पों को लगाने का
आज दिल बड़ा ही चाहता है,
घंटों तक बस बैठे रहने का
वह दिन वापस क्यों नहीं आता है?
ना जाने क्यों बस दिल
इन्हीं यादों में खोए रहना चाहता है,
जिंदगी के हर पड़ाव पर
न जाने कितनी यादें बनती चली जाती है,
जो बाद में याद आकर
दिल में हलचल मचाती है,
बीता हुआ वक्त हमारे
कल का आईना हमें दिखाता है,
जो अच्छी और बुरी दोनों
यादों को हमारे सामने ले आता है,
सोचते सोचते दिल ना जाने
कहां का कहां निकल जाता है,
बस इन्हीं यादों में खोकर
दिल बस इन्हीं यादों का हो जाना जाता है,
जिंदगी के उतार-चढ़ाव में
हम ना जाने कब इतना मशगुल हो जाते हैं,
जिंदगी की भाग दौड़ में हम
जिंदगी को जीना भूल जाते हैं,
चलो आज वापस
यादों की दुनिया में खो जाए,
कुछ पुरानी यादों में खोकर
उन यादों को फिर से जी आए।
Written by- Sakshi Jain