Hindi Quote in Poem by Sakshi jain

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#biteson College life
जब पढ़ने का वक्त था
तब पढ़ना ना अच्छा लगता था,
जब भी पढ़ने बैठो तब
सोना सा अच्छा लगता था,
किताबों को देखकर 
बड़ी ही प्यारी सी झपकी आती थी,
उन से गुफ्तगू करने बैठो तो
नींद हमारी लग जाती थी,
उनसे दोस्ती करना
बड़ी ही भारी पड़ जाती थी,
क्योंकि जब भी पढ़ने बैठो
तो कभी पढ़ाई हो ही नहीं पाती थी,
एग्जाम के वक्त में
टेंशन हमारी बढ़ जाती थी,
क्योंकि एग्जाम में लिखना क्या है
उसकी तैयारी हो ही नहीं पाती थी,
दोस्तों से पूछते थे कि
तूने कितना पढ़ा?
और दूसरों की पढ़ाई सुनकर
टेंशन हमारी बढ़ जाती थी,
दूसरों की सुन के
पढ़ाई करने का सोचते भी थे,
लेकिन वही पढ़ते-पढ़ते
नींद हमारी फिर से लग जाती थी,
फिर एक कप चाय हमें
हमारी नींद से जगाती थी,
नींद से जाग कर फिर वापस
तैयारी में हमें लगाती थी,
कितने हसीन थे वो दिन भी
जब हम पढ़ाई से जी चुराते थे,
और पढ़ते मस्ती करते न जाने कब
लाइट चालू छोड़ कर सो जाते थे,
सुबह देर से उठते और फिर
भागते हुए एग्जाम देने जाते थे,
एग्जाम हॉल को देखकर
हमारे पसीने छूट जाते थे,
पेपर को देख कर हम
सिर और मुंह खुजाते थे,
पढ़कर जाने वाले लिखते रहते
और ना पढ़ने वाले इधर-उधर मुंह घुमाते थे,
एग्जामिनर को देखकर
न जाने कैसी कैसी शक्ल बनाते थे,
घूर कर खा जाए ना हमें
ऐसे ख्याल दिल में आते थे,
घंटी के बाद बाहर
खूब चौकड़ी से जमाते थे,
किसने सही किया
किसने गलत किया,
पूरा पेपर सॉल्व करके 
फिर ही घर जाते थे,
रिजल्ट वाले दिन
सब की धड़कनें बढ़ जाती थी,
कोई पास हुआ तो कोई फेल हुआ
चारों तरफ बस यही आवाजें आती थी,
कोई खुश होता तो
कहीं मायूसी सी छा जाती थी,
कितने हसीन थे वह दिन भी
जिनको जी कर जिंदगी कहीं आगे बढ जाती है,
और यही पुरानी यादें
हमारे चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान दे जाती है।

Written by- Sakshi Jain

Hindi Poem by Sakshi jain : 111643253
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