मौत दे दे ए खुदा मुझे मुझसे अब जिया नहीं जाता
घूट ये जहर का अब रोज़ रोज़ पिया नहीं जाता
बिना ग़लती के एसी सजा मिल रही हैं
रोज़ टूट कर अब मुझसे झूठा हंसा नहीं जाता
जब कोई ओर थी उसकी चाहत
तो मुझे क्यों फसा दिया
मेरी ग़लती के बिना मुझे क्यों सजा दिया
कभी किसी का ग़लती से भी बुरा नहीं चाहा
तो फिर आपने मेरा ही बुरा क्यों करवा दिया
इस जिंदगी से अच्छी तो मौत है
जिसमे ना किसी से कोई शिकवा है ना गिला
मेरा बुरा करने वालो का शुक्रिया
जो उन्होंने मुझे जिंदा लाश बना दिया।