The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
लगता है मुझे मोहब्बत हो गई है दिन भाग रहा है, रात छोटी पड़ रही है, वक्त का पता नहीं चल रहा नींद आँखों से कोसों दूर हो गई है लगता है मुझे मोहब्बत हो गई है कभी चाँद में तेरा चेहरा दिखता है आईनों में एक्स तेरा रहता है यह कैसा जादू है, जो मुझ पर हो गया है वह दिख नहीं रही कहां खो गई है लगता है मुझे मोहब्बत हो गई हर लम्हा बस तेरा इंतज़ार है मिलने को दिल बेकरार है, नज़रों को बस तेरा दीदार चाहिये तुझे ढूंढ रहा हूं तेरा प्यार चाहिए अब ये जिंदगी बेपरवाह सी हो गई लगता है मुझे मोहब्बत हो गई है तू साथ न हो, तो हर पल अधूरा लगता है तेरे बिन अब, जीना भी गवारा लगता है दुनिया के असुलो से टकरा सकता हूं मौत के दरवाजे पर मुस्कुरा सकता हूं तुझे पाने की जिद हो गई है लगता है मुझे मोहब्बत हो गई है इश्क के दरिया में डूब रहा हूँ पानी ही पानी है मगर सुख रहा हूं कोई जिंदा रहने का मकसद बता दे कोई अपना कह कर गले लगा दे जिंदा रहने की ख्वाहिश मर सी गई है लगता है मुझे मोहब्बत हो गई है। (राजेश कालिया)
हमेशा दूरियों से दिल का रिश्ता हो, ये ज़रूरी तो नहीं, पास रहकर भी अजनबी हो जाएं, ये ज़रूरी तो नहीं| तेरी यादों के सहारे ही तो कटती है ये रातें मेरी, हर रात तेरी बाहों में ही गुज़रे, ये ज़रूरी तो नहीं| कई ख्वाब अधूरे हैं, कई बातें अनकही सी हैं, हर बात लबों तक आए, ये ज़रूरी तो नहीं| कभी तो लौट आएगा वो, इसी आस में बैठे हैं, हमेशा ही इंतेज़ार में रहें, ये ज़रूरी तो नही| ये जुदाई का मौसम भी गुज़र जाएगा इक दिन, हर मौसम ही दर्द भरा हो, ये ज़रूरी तो नही|
उसकी आँखों का नशा होने लगा है, इश्क़ में जीने का मज़ा होने लगा है। चाँदनी रातें, ये महकती हुई हवा, मौसम कुछ ज़्यादा ही हसीं होने लगा है। पहले तो खुद में ही गुम रहते थे हम, अब किसी और पे दिल फ़िदा होने लगा है। उसकी हर बात, हर एक नाज़-ओ-अदा, मेरे हर दर्द की दवा होने लगा है। क्या कहें 'राजेश' आलम इस दिल का, वो अजनबी अब मेरा खुदा होने लगा है।
आ बैठ पास कुछ गुनगुनाते हैं, हाल-ए-दिल क्या है तुम्हें बताते हैं। कुछ तुम कहो कुछ हम कहें, बेचैनियों को ज़रा सुलाते हैं। तन्हाई का ये आलम अजीब है, आओ, एक-दूजे में खो जाते हैं। जो दर्द दबा है इन साँसों में, आँखों से आज छलकाते हैं। इश्क़ का ये रंगीन समां है, चलो, दुनिया को भुलाते हैं। राजेश कालिया
कोई तो बुझाओ विरह की आग को, मत बजाओ अब सावन के राग को। नफ़रत-सी हो गई है अब उजालों से, अंधेरा रहने दो, बुझा दो चिराग़ को। धो भी देता अगर दामन में होता, कैसे मिटाऊँ दिल पर लगे दाग़ को। उनके बग़ैर जीना दुस्वार हो गया, दवा फेंक दो, डसने दे नाग़ को। ज़ख़्म-ए-हिज्र कब तक सहूँ मैं अकेला, कर दो कभी तो ख़ुदा इस इंतक़ाम को।
अचानक तेरा मिलना फिर आँखों में डूब जाना, इस मोहब्बत को मैंने बड़े करीब से जाना! अधूरी साँसों को फिर से पूरा कर जाना, हर लम्हे को तेरे संग, एक कहानी बना जाना। बेचैन दिल को मेरे, फिर से करार दे जाना, गुमसुम रातों में भी, उम्मीद की किरण जगा जाना। तेरी मुस्कान को देख कर, सब कुछ भूल जाना, इस मोहब्बत को मैंने बड़े करीब से जाना!
वह यूं ही नहीं बेवफ़ा हुआ होगा अभी खुलने कई राज़ बाकी है मुझे इस रास्ते से न हटाओ अभी तो उसका इंतज़ार बाकी है मैं खुश हूं कि उनकी जीत हुई मुझे देखनी बस मेरी हार बाकी है वो लम्हे जो साथ गुज़ारे थे हमने दिल में उनके निशान बाकी है न मुझसे वो अब कोई बात करे पर आँखों में अब तक प्यार बाकी है
शाम तो होने दो, शराब तो पीने दो, इतना ना सताओ, मुझे चैन से जीने दो। वो यादें जो आँखों में बस कर रहीं हैं, कुछ देर को सीने में चुपचाप रहने दो। मक़सद नहीं हर बार ग़म से लड़ जाना, कभी-कभी टूट कर भी तो जीने दो। महफ़िल में हँसना कोई आसान नहीं, परदा न उठाओ, ये नक़ाब ही रहने दो। लबों पे शिकायत नहीं, फिर भी दर्द है, इस खामोशी को थोड़ा सा कहने दो। 'दिल' कह रहा है आज कुछ पुराना सुने, साज़ को छेड़ो ना, सुरों को बहने दो।
ये जो तेरी मेरी प्यार कि कहानी है, मत बता किसी को कितनी पुरानी है। राह तकते कटे हैं कई मौसम, बात अब भी वही सुहानी है। ख़्वाब बिखरे पड़े हैं आँखों में, ज़िंदगी बन गई निशानी है। चुप हैं लब पर सिसक रही साँसें, इश्क़ की ये अजब रवानी है। सबूत न दे मुझे वफाई का'राजेश' बयां कर रहा आँखों में जो पानी है। - rajesh kaliya
हमारे सितारे मुफ़लिसी में हैं तो क्या हुआ, दिल में उम्मीदों की रोशनी तो अभी जला रही है। जो राहें अंधेरों में खो गईं थीं कहीं, मगर ज़रा देख, सुबह भी आ रही है। चमकते नहीं तो क्या, धुंधले सही, आसमान में अपनी जगह बना रही है। ग़म के बादल गर बरसते हैं हर घड़ी, तो इन बूँदों में भी ज़िंदगी मुस्कुरा रही है। मुश्किलों के साए लंबे सही, गहरे सही, उन्हीं में उम्मीद फिर से दिशा बता रही है।
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser