Shrapit ek Prem Kahaani - 7 in Hindi Spiritual Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | श्रापित एक प्रेम कहानी - 7

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 7

वो जंगल इतना घना था के किसी भी रोशनी का वहां पँहूचना ना मुमकीन था एकांश अपनी नजरे इधर उधर घुमाता है तो एकांश को अपने आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था के इस जंगल में इतनी सुंदर जगह भी हो सकता है । 






जिसके बारे में आज तक किसको ना मालुम है और ना कभी सुना है । वहां पर बहते पानी की सुंदर आवाज और चारो और रंग बिरेंगे फूल उस जगह को और भी रोमांचक बना रहा था के जैसे ये धरती नहीं कोई और लोक है । 






एकांश.. जो कुछ दैर पहले हांफ रहा था अब उसकी सारी थकान गयाब हो चुकी थी । एकांश को ऐसा लग रहा था जैसे वो इतनी दूर तक चल कर आया ही ना हो । एक अलग ही खुशबू थी वहा के हवा में और एक शांति थी वहा । 













 ये सब देखकर एकांश हैरान था अब एकांश की नजर उस लड़की पर पढ़ती है । जो अपना मुह झरने की और कर के रखी थी । उस लड़की ने नीले रंग की कपड़े पहनी हुई थी , जो अभी के कपड़े से काफी अलग था ।

 एकांश को उस लड़की का पीठ ही नजर आ रहा था , उस लड़की का रंग कपूर के समान गौरे और उसका बदन चांदनी की तरह चमक रहा था । उसके खुले सुनहरे बाल उसके कमर तक थे ।

 उस लड़की का शरीर की बनानावट एक अप्सरा जैसी थी । जिसे देख कर एकांश मोहित हो जाता है । इस लड़की के शरीर की बनावट को दैखकर कोई भी अपना आपा खो देगा इस तरह लग रही वो लड़की पर एकांश अपने आप पर जैसे तैसे काबु रख कर उस लड़की से पुछता है ।

एकांश :! कौन हो तुम..? और यहां अकेली इस भयानक जंगल मै क्या कर रही हो । और ये कैसी जगह है. ?  तुमने ये क्यों कहा के  तुम मुझे जनती हो ।

 एकांश के इतना बोलने के बाद वो लड़की धीरे धीरे एकांश की और पलटने लगती है और अब उस लड़की का चेहरा एकांश के सामने था ।

 एकांश उस लड़की को दैखकर मंत्र मुग्धा हो गया था । एकांश की आंखे उसे दैखकर फटी के फटी रह जाता है । एकांश ने आज तक इतनी सुंदर लड़की कभी नहीं देखा था । उसकी आंखें बड़ी बड़ी थी होंट कमल के पंकखूड़ी जैसे  गूलाबी  पतली गौरी चिकनी कमर जिससे उसकी सुंदर नाभी दिख रही थी और उसका पुरा शरीर वर्फ के जैसा चमक रहा था।

  वो एक भरे और सुंदर बदन की स्वामीनी थी । वो लड़की नीले रंग के कपड़े में स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी ।










एकांश बस एक टक नजर से इस लड़की को देखे जा रहा था। एकांश की नजर उस लड़की के कभी पतली कमर को तो कभी उसके उभरे वक्ष को देख रहा था । एकांश ऊपर से नीचे की और उसे निहार रहा था । के तभी वो लड़की बोल पड़ती है । 


---------सब देख लिया या अब अभी कुछ बाकी है एकांश जी । 

एकांश झट से अपनी नजर उसके बदन से हटा देता है और अपनी नजर नीचे कर देता है ।







एकांश को सरम आने लगता है के उसने एकांश को उसे निहारते देख लिया था । एकांश को समझ  नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले । तभी वो लड़की कहती है । 

--------क्या हुआ एकांश जी आप तो सरमाते भी बहोत हो । मै तो बस यूं ही कह रही थी । अच्छा अब कुछ याद आया ।

 एकांश कुछ सोचता है और कहता है। 

एकांश :- तुम....! तुम वही हो ना जिसे मैंने उस रात कुछ गुंडो से बचाया था ?

 वो लड़की कहती है । 

------ हां एकांश जी मैं वही हूं । आपको मैं याद हूँ ?

एकांश कहता है । 

एकांश :- कमाल की लड़की हो यार तुम । एक तो मैंने अपनी जान पर खेल कर तुम्हें उन गुंडो से बचाया और तुम बिना कुछ बताए वहा से चली गई । एक धन्यवाद तक नहीं बोला ।

 वो लड़की एकांश के पास आ कर कहती है ।

------- हां एकांश जी में उस समय बहुत भयभीत हो गई थी क्योंकि पृथ्वी पर में पहले बार आई थी ।













एकांश कहता है ।

एकांश :; क्या...? क्या कहा तुमने ? तुम पृथ्वी पर पहली बार आई थी का क्या मतलब..? सारे इंसान तो ये पृथ्वी पर ही रहते हैं इसके अलावा भी कहीं कोई रहते हैं क्या..? जिसकी जानकारी आज तक हमें नहीं है । 

वो लड़की एक प्यारी मुस्कान देती है और कहती है । 

------आपको सब पता चल जाएगा एकांश जी । मैं यहां इतने वर्षो से आपका ही प्रतीक्षा कर रही थी । 

एकांश हैरानी से पुछता है । 

एकांश :- तुम कौन हो और तुम्हारा नाम क्या है ? और तुम मेरा वो क्या कहा अभी तुमने " प्रतिक्षा " वो क्यो कर रही हो ?

वो लड़की कहती है । 

वर्षाली :- मेरा नाम वर्षाली है एकांश जी ।




एकांश कहता है ।

एकांश :- वर्षाली उस रात को वो लोग कौन थे और तुम्हे क्यू मरना चाहते थे ? 

वर्षाली कहती है ।

वर्षाली :- मैं सब आपको बताऊंगी एकांश जी । पर अभी आप इतने वर्षो बाद मेरे घर में आए हो । मुझे आपकी थोड़ी सी सेवा का अवसर तो दे ।

 एकांश चिड़ते हुए कहते हैं ।

एकांष :- क्या... घर ------- ये जंगल ? इस भयानक जंगल को तुम अपना घर बताओगी और मै तुम्हारी बात मान लूंगा । तुम क्या कह रही हो वर्षाली..! मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा। और ये तुम किस भाषा में बात कर रही हो ।







वर्षाली कहती है । 


वर्शाली :- यही मेरा घर है एकांश जी आप मुझ पर विश्वास किजिये । मैं सत्य कह रही हूँ । एकांश जी मैं यहां सिर्फ और सिर्फ आपका ही प्रतीक्षा कर रही थी । इतने वर्षो से मैं यहां पर सिर्फ आपके लिए हूं । 


एकांश हेरानी से पुछता है । 


एकांश :- मेरे लिए ? और वो भी यहा इस जंगल में ? वर्षाली कहती है । हां एकांश जी इसी जंगल में । 


एकांश फिर से पुछता है।  



एकांश :- पर तुम मेरा यहां इंतजार क्यों कर रही हो ?



 वर्षाली कहती है । 

वर्शाली :- क्योकी आपकी जिवन को संकट है एकांश जी । कोई है जो आपको हानी पहुचना चाहता है जो मैं होने नहीं दूंगी । क्यों आपकी जान बचाना मेरे लिए आवश्यक है ।







उस दिन आपने मेरी जान बचाकर मुझ-पर जो उपकार किया उसका ऋण चुकाऐ बिना मै कैसे जा सकती हूँ ।

 

एकांश हेरानी से वर्षाली से पुछता है। 


एकांश :- ये सब तुम कैसी बात कर रही हो वर्षाली । कौन है जो मुझे हानी पंहूचाना चाहता है वर्षाली तुम किसकी बात कर रही हो ? और तुम्हे ये सब तुम्हे कैसे पता ? 

वर्षाली कहती है । 

वर्शाली :- आप प्रश्न बहुत करते हैं एकांश जी । मैं आपको समय आने पर सब बता दूंगी ।




 एकांश फिर वर्षाली पर दबाव बनाते हुए पुछता है । 

एकांश :- समय आने पर क्यों वर्षाली ? तुमने तो मेरी उत्सुकता बड़ा दी। एक तो इतनी रात को तुमने मुझे इस भयानक जंगल मे लेकर आ गई , यहां पर लोग आने से भी डरते है । औऱ फिर इस भयानक जंगल मे ये सुंदर जगह । ऐसा लग रहा है जैसै मैं कोई सपना दैख रहा हूँ । कही यहां पर वो कुम्भन ना आ जाए ।



वर्शाली हंसते हूए कहती है ।

वर्शाली :- हा हा.......! ये कोई सपना नही है एकांश जी । ये सत्य है । ( एकांश के करीब आकर प्यार से कहती है ) और आप मेरे साथ हो । यहां पर आपके और अलावा और कोई नही है और ना कोई आएगा । और मेरे होते हूए आपको कोई हानी नही पहूँचा सकती है । 




वर्शाली के इतने करीब आने से एकांश का दिल जौर जौर से धड़क रहा था । एकांश बस वर्शाली के दैखे जा रहा था । फिर वर्शाली अपना हाथ एकांश के सिने पर रख देती है । वर्शाली के छुने से एकांश के पुरे शरीर पर बिजली जैसी करंट दौड़ जाती है और दिल धड़कन अब और तेज हो जाती है ।






To be continue.....75