Nepolian Bonapart - 1 in Hindi Biography by Amit Kumar books and stories PDF | नेपोलियन बोनापार्ट - विश्वविख्यात योद्धा एवं राजनीतिज्ञ - भाग 1

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नेपोलियन बोनापार्ट - विश्वविख्यात योद्धा एवं राजनीतिज्ञ - भाग 1

एक

शाल ओढ़े एक नवयुवती अंधेरे में टेण्ट के भीतर बैठी अपने शिशु को स्तनपान करा रही है। उसकी उजली छाती का आधा भाग शाल से ढका हुआ है तथा वह दूर से आती शेर की दहाड़ और पेड़-पौधों व पत्तों की खड़खड़ाहट सुन रही है। वह सोच रही है कि क्या इतनी रात तक भी शिकार किया जा रहा है अथवा यह शीतऋतु की तूफ़ानी हवा की ध्वनि अथवा पर्वतों से टकराकर लौटने वाली प्रतिध्वनि अथवा चारों ओर से घिरे हुए चीड़ तथा कदम्ब के जंगल से आने वाली सरसराहट भी हो सकती है। वैसे इस जंगल में लोमड़ियों व जंगली वनमानुषों की गुफाएं भी हैं, अतः यह ध्वनि उनका चीखना-चिल्लाना भी हो सकती है। वह महिला जिप्सी रोमन जैसी दिखाई देती है। अब उसे घोड़े की टापों की आवाज़ सुनाई देती है और वह सोचती है कि क्या यह वही तो नहीं है, जिसने आने का वचन दिया था। यह युद्धक्षेत्र से बहुत दूर का स्थान है। कोहरा बढ़ता जा रहा है।

      टेण्ट का परदा हटते ही शीत ऋतु की रात की सर्द हवा का झोंका भीतर आता है तथा साथ ही एक आदमी प्रवेश करता है। रंगीन वेशभूषा व कनटोप पहने हुए छरहरे शरीर वाला बीस-पच्चीस वर्ष का वह कुलीन नवयुवक एक अधिकारी है। वह बड़ी श्रद्धा से उस महिला का अभिवादन करता है। महिला भी सिर झुकाकर अभिवादन का उत्तर देती है तथा उसके लिए शराब लाती है। अपने सिर से रूमाल हटाकर तथा अपनी सफेद व कोमल भौंह पर किंचित् सिलवट लाकर वह उसके सामने खड़ी हो जाती है। उसके मुसकराते अधरों पर एक प्रश्न उभरता है। अंगीठी के धीमे प्रकाश में चमकती कुलीनता की प्रतीक उसकी सुगठित ठोड़ी एवं सुन्दर लम्बी नासिका वाले उसके मुखमण्डल पर राहत के उभरते लक्षण स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। इस पहाड़ी में रहते समय क्षणमात्र को भी अपने से दूर न की गयी कटार की मूठ उसकी कमर में चमक रही है। वह प्राचीन मानव जाति के पुरुषों से कहीं अधिक स्फूर्ति एवं साहस वाली स्त्री है। एक समय शताब्दियों तक पुरुषों की तरह ही महिलाएं भी नेता व योद्धा बनी रही हैं। यह आदिम जाति सर्वप्रथम इटली में थी, फिर समुद्र पार करके इस ढलवां द्वीप पर आयी।

      अपने दुश्मन के प्रति बढ़ती घृणा के कारण उसका विरोध करने के लिए तथा दुर्गम पहाड़ों के इन जंगली भागों से फ्रांसीसियों को भगाने के लिए जब सभी युवक सेना में सम्मिलित हो गये, तो क्या उन्नीस वर्ष की वह बहादुर लड़की मातृभूमि के लिए लड़ने वाले अपने पति का अनुसरण करके अपने उच्च कुल का परिचय न देती ? उसका देशप्रेम, आत्मगौरव व साहस आदि गुण ही तो उसे एक कुलीन स्त्री बनाते हैं।

      जीवन्तता व उत्साह से परिपूर्ण वह व्यक्ति इस महिला को सारी जानकारी देता हुआ कहता है कि शत्रु को पराजित करके समुद्रतट की ओर खदेड़ दिया गया है। उसके बचाव की कोई गुंजाइश नहीं है। पाउली को दूत भेज दिया गया है। "कल का दिन हमारे लिए वास्तविक आनन्द का दिन होगा। लितिज़िआ, हम जीत रहे हैं और कार्सिका अवश्य ही स्वतन्त्र हो जायेगा।"

     कार्सिका का प्रत्येक नागरिक अनेक सन्तानों के लिए लालायित है। यह वह भूमि है, जहां कटार की धार से अभी बदला लिया गया है, जहां वेन्देता पवित्र है, जहां पारिवारिक झगड़े सैकड़ों वर्षों तक चलते रहते हैं। यहां का प्रत्येक पुरुष अनेक सन्तान चाहता है, ताकि उसका वंश बना रहे। यहां की महिलाओं ने मां और दादी मां से सीखा है कि सन्तान ही सम्मान का प्रतीक है। तभी तो वह पन्द्रह वर्ष की अवस्था में मां बन गयी, परन्तु जिस बच्चे का वह इस समय पालन कर रही है, वह उसका पहला बच्चा है। स्वतन्त्रता के विचार से उस नवयुवक अधिकारी के चेहरे पर चमक आ जाती है; क्योंकि वह पाउली का पक्षधर व जननेता है।
       "हमारी सन्तान अब फ्रांस के शासकों की दास नहीं रहेगी।"