भाग 9 – उदास आंखे
कुछ देर तक ऐसे ही स्विम करने के बाद वो बहार आ जाता है और टॉवल से अपने आपको पोछने लगता है। अब उसका मूड काफी हद्द तक ठीक हो गया था। फिर एक ढीली सी टी शर्ट और शॉर्ट पेंट पहन के बालकनी में लगे झूले पे बैठ के आसमान को एकटक देखने लगता है।
उसके दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। कोई उसके पास आके उसके सिर पे हाथ फेरता है। आदित्य बिना देखे ही पहचान जाता है की वो कौन है... और वो आदित्य के आगे एक मग बढ़ाता है। उसके चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान तैर जाती है।
आदित्य - आपको कैसे पता चल जाता है की मुझे क्या चाहिए ?
आदित्य के पास जो आया था वो उसकी माँ एकता जी थी। आदित्य जब गुस्सा होके अपने रूम में गया... तब एकता जी ने किचन में जाके आदित्य के लिए कैपेचीनो बनाने लगी... क्यों की वो आदित्य का फेवरेट था...!!!
एकता जी स्माइल करके बोली - जब बच्चा परेशान हो तो माँ कैसे शांत बैठ सकती है...!!!
आदित्य मुस्कुराते हुए एकता जी के हाथो से वो मग लेकर कैपेचीनो पिने लगता है...
एकता जी आदित्य के बालो में हाथ फेरते हुए बोली - आदि, तुम अपनी डैड की बात को इतना दिल पे मत लो। तुम सिर्फ अपने लक्ष्य पे फोकस रखो... में हु न तुम्हारे साथ हम्म। तुम्हारे डैड को में संभल लुंगी।
आदित्य - मॉम, में वो हर कोशिश करता हु जिससे डैड को अच्छा लग सके, पर पता नहीं उनको क्या हो जाता है हर बार ? वो मेरी तरफ ध्यान ही नहीं देते...!!! वो मुझे उन निकम्मे बच्चे की केटेगरी में रखते है। कभी कभी तो लगता है की क्या में इतना बुरा बन गया हु... जो उनको मेरी कोशिशे ही नहीं दिखती ?
एकता - नहीं बेटा ऐसा नहीं है...!!! तुम बुरे नहीं हो, तुम मेरे बेटे हो... तुम तो हर फिल्ड में चैंपियन हो तो फिर बुरे कैसे बन गए ? अच्छा वैसे मुझे ये बताओ की वो लड़की है कौन जिसको तुम्हारे डैड इतना मानते है ?
आदित्य को एकता जी की बात सुनते ही गुस्सा आने लगता है और उसके हाथ में पकडे मग की पकड़ मजबूत हो जाती है...!!!
आदित्य - मॉम यू नो व्हाट, आई हेट थिस गर्ल... आई रियली डोंट लाइक हर...!!! उसका चेहरा देखते ही मुझे गुस्सा आने लगता है। पता नहीं ऐसे बहन जी जैसे लोग कहा से आ जाते है इतनी बड़ी हाई क्लास स्कूल में पढ़ने के लिए। पुरे उदयपुर में उसे ये एक ही स्कूल मिली थी, उसके जैसे लोगो के लिए सरकारी स्कूल भी तो है न...!!!
एकता - तुम बिलकुल भी चिंता मत करो बेटा, मुझे बस उस लड़की का नाम बताओ। में उसे अच्छे से सबक सीखा के स्कूल के बहार फिकवा दूंगी, फिर कभी वो तुम्हारे सामने नहीं आएगी।
आदित्य - नो मॉम, आप कुछ नहीं करेगी...!!!
एकता जी हैरान होके उसे देखती है... ये देख आदित्य आगे कहता है - यस मॉम, आप उसे कुछ भी नहीं करेगी, क्यों की जो करना है वो में करूँगा, ऐसा हाल करूँगा उसका की वो खुद ही स्कूल छोड़ देगी और मेरी लाइफ से हंमेशा के लिए चली जाएगी। बहोत शौख है न उसको सभी का अटेंशन पाने का और महान बनने का... ऐसा अटेंशन बना दूंगा उसका की किसी को अपना मुँह दिखाने के लायक नहीं बचेगी वो...!!!
एकता - ठीक है, तुम्हे जो करना है तुम करो... लेकिन अगर तुम्हे लगे की तुम्हे कोई हेल्प चाहिए तो बेफिक्र होके मेरे पास आना... ओके...!!!
आदित्य - ओके मोम... आपको पता है आप दुनिया की बेस्ट मोम है... आई लव यू मॉम...!!
एकता - आई लव यू 2 मेरे बच्चे...!!!
एकता जी में वैसे कोई बुराई नहीं है लेकिन आदित्य को लेकर वे थोड़ी पोसेसिव हो जाती है। आदित्य के हर एक कारनामे पर पर्दा डालती है चाहे वो गलत ही क्यों न हो... आदित्य उनका लाडला जो था। आदित्य को घमंड एकता जी से ही मिला है।
खैर, ऐसे ही आज का दिन निकल जाता है। एक दो दिन बाद आदित्य और उसके दोस्त घूमने चले जाते है। देखते ही देखते सात दिन निकल जाते है।
यहाँ गांव में अग्रवाल फॅमिली शहर जाने के लिए रवाना होती है। जहा बस स्टैंड पे जिगर उन सभी का वेट कर रहा था। जिगर मीठी को देखते ही उदास हो जाता है... लेकिन उसके मन में एक अच्छे एहसास भी थे की मीठी अपने साथ अच्छी यादो का पिटारा साथ लेके जाने वाली है। मीठी के साथ रोज़ मंदिर जाना, तालाब के पास बैठना, उसके साथ खेलना, मस्ती करना, पुरे गाँव में घूमना... ये सब सोच के ही जिगर की आँखों में नमी आ जाती है। वो पीछे मूड के अपनी आँखे पोछ लेता है।
राम जी जिगर को देख के कहते है - अरे बेटा, आप यहाँ इस वक़्त इतनी रात को क्या कर रहे है ?
जिगर - जी काका, में यहाँ आप सभी को छोड़ने आया था...!!!
नीतू - लेकिन बेटा, आप इतनी रात को ऐसी तकलीफ क्यों ले रहे है। आपकी माँ और सरपंच सा को आपकी चिंता हो रही होगी। आप घर जाइये बेटा... हम सब चले जायेंगे।
राम – हां, और वैसे भी बस अभी आ जाएगी इसलिए आप घर जाइए और जाके सो जाइए।
जिगर - अरे नहीं काका, ऐसे कैसे चला जाऊ। आप इस बात की टेंशन मत लीजिये... में घर पे बताके ही आया हु। और आपको तो पता ही है न... मीठी और किंजल मेरी बहुत अच्छी दोस्त है। इतने टाइम हम साथ रहे है, खेले है, मस्ती की है और अभी ये दोनों जा रही है तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता है की में अपनी दोनों दोस्त को अलविदा कहने आऊं। क्या मेरा यहाँ आना आपको अच्छा नहीं लगा ?
नीतू - अरे नहीं नहीं बेटा, ऐसी कोई बात नहीं है... आप ऐसा मत सोचिये...!!!
राम - ये दोनों बहुत खुशकिस्मत है की उनको आप जैसा दोस्त मिला है। ठीक है आप लोग बाते कीजिये में टिकिट लेके आता हु।
जिगर मुस्कुराके - जी काका...!!
राम जी वहा से चले जाते है। नीतू जी ओर प्रतिक थोड़ी दूर जाके चेयर पे बैठ जाते है। मीठी जिगर के चेहरे की उदासी भाप लेती है।
मीठी - जिगर, तुम ठीक हो न ?
जिगर अपनी आँखों की नमी छुपाते हुए - हां... हां में ठीक हु...!!!
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राधे राधे...
कहानी जारी है...