TOOTE HUE DILON KA ASHPATAAL - 40 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 40

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टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 40

टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 40

पिछले एपिसोड में:
करण की वापसी ने सिया की ज़िंदगी में हलचल मचा दी।
क्या करण सच में सिया से प्यार करता है या यह सब भावेश की साजिश का हिस्सा है?
अब आगे…


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सिया की उलझन

रात के 2 बजे थे। अस्पताल का हर कोना शांत था, लेकिन सिया के दिमाग में खलबली मची हुई थी।

वो अपने केबिन में बैठी, पुरानी यादों में खोई हुई थी।

"मैंने कभी नहीं सोचा था कि करण वापस आएगा…"

पुराने दिन याद आ रहे थे— कॉलेज की दोस्ती, हँसी-मज़ाक, वो छोटे-छोटे झगड़े…

लेकिन फिर… करण अचानक गायब हो गया था। बिना कोई खबर दिए, बिना कोई अलविदा कहे।

"अब क्यों आया है?"

उसके मन में एक सवाल था—

"क्या ये सच में करण ही है, जो मैं जानती थी? या कोई और?"


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आदित्य का गुस्सा

अगली सुबह आदित्य, सिया के पास आया।

"सिया, करण से दूर रहो।"

सिया ने चौंककर उसकी ओर देखा।

"तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है कि करण कोई गलत इरादे से आया है?"

आदित्य की आँखों में गुस्सा था।

"मुझे नहीं पता, लेकिन मेरा दिल कह रहा है कि कुछ गड़बड़ है। और जब बात तुम्हारी हो, तो मैं कोई रिस्क नहीं ले सकता।"

सिया चुप रही।

"अगर वो तुम्हें दोबारा परेशान करने की कोशिश करे, तो मुझे बताना। मैं उसे खुद सबक सिखाऊँगा।"

सिया ने सिर हिलाया, लेकिन उसके मन में और भी सवाल उठ रहे थे।


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करण की चालाकी

अगले दिन करण ने सिया को अस्पताल के बाहर मिलने के लिए बुलाया।

सिया पहले तो झिझकी, लेकिन फिर मिलने के लिए चली गई।

"तुम्हें मुझसे क्या चाहिए, करण?"

करण मुस्कुराया।

"सिर्फ कुछ वक्त… कुछ पुरानी बातें… और कुछ जवाब।"

सिया ने ठंडी आवाज़ में कहा, "अब जवाब का कोई मतलब नहीं है। हम दोनों अपनी-अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ चुके हैं।"

करण ने उसकी आँखों में देखा।

"क्या सच में?"

सिया ने नजरें चुरा लीं।

"करण, प्लीज, मेरी शादी होने वाली है। मैं अब कोई पुरानी बातें याद नहीं करना चाहती।"

करण के चेहरे पर हल्की हँसी आई।

"लेकिन सिया, कुछ वादे अधूरे रह गए थे।"

सिया ने गुस्से से कहा, "वादे तो तुमने तोड़े थे, करण! तुम ही थे जो बिना बताए चले गए थे!"

करण ने एक गहरी सांस ली।

"अगर मैं कहूँ कि मैं मजबूर था, तो?"

सिया ने हैरानी से उसकी ओर देखा।

"मतलब?"

करण ने उसकी आँखों में देखा और धीरे से कहा, "उस रात मुझे कोई उठा ले गया था, सिया… और मुझे ज़बरदस्ती शहर से दूर भेज दिया गया था।"

सिया की साँसें तेज हो गईं।

"क…क्या?"

"हाँ।"

"लेकिन किसने?"

करण चुप रहा। फिर धीरे से बोला, "तुम्हारे पापा ने।"


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सिया का अतीत हिल गया

सिया के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।

"नहीं… ये सच नहीं हो सकता।"

करण ने सिर झुका लिया।

"सिया, मुझे तुमसे दूर करने वाला कोई और नहीं, बल्कि तुम्हारे अपने ही घरवाले थे। तुम्हें मुझसे अलग करने के लिए उन्होंने मेरी ज़िंदगी को नर्क बना दिया।"

सिया की आँखों में आँसू आ गए।

"लेकिन… पापा ऐसा क्यों करेंगे?"

करण ने उसकी आँखों में देखा।

"क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि मैं तुम्हारी ज़िंदगी में रहूँ।"

सिया के दिमाग में तूफान उठ गया।

क्या ये सच हो सकता है? क्या उसके अपने पापा ने उसकी ज़िंदगी से करण को दूर किया था?


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आगे क्या होगा?

क्या करण सच बोल रहा है या ये सिर्फ उसकी कोई चाल है?
सिया अब किसे सच मानेगी—करण को या अपने परिवार को?
आदित्य को जब ये सब पता चलेगा, तो उसका क्या रिएक्शन होगा?

जानने के लिए पढ़ें अगला एपिसोड!