टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 39
पिछले एपिसोड में:
सिया को एक अनजान फोन कॉल आया, जिसमें एक जानी-पहचानी आवाज़ थी— करण!
क्या करण सच में वापस आ गया है या ये सिर्फ भावेश की कोई नई चाल है?
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सिया की बेचैनी
फोन रखते ही सिया का पूरा शरीर ठंडा पड़ गया। उसके हाथ कांप रहे थे।
आदित्य, जो बगल के कमरे में था, उसकी घबराहट महसूस कर सकता था।
"क्या हुआ, सिया?"
सिया ने कुछ देर चुप रहने के बाद धीरे से कहा, "करण वापस आ गया है।"
आदित्य ने हैरानी से उसकी तरफ देखा। "क्या? तुम पक्का हो?"
सिया ने सिर हिलाया।
"उसकी आवाज़ थी… उसने कहा कि अगर मैं उससे नहीं मिली, तो अतीत मुझे चैन से जीने नहीं देगा।"
आदित्य की आँखों में चिंता झलकने लगी।
"लेकिन करण को तुम्हारी जिंदगी में अब क्यों आना पड़ा?"
सिया ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन उसके अंदर अजीब-सी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
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एक नया खतरा
अगली सुबह, अस्पताल में हलचल थी।
सिया जब अपने केबिन में पहुँची, तो उसकी टेबल पर एक गुलाब रखा था। उसके साथ एक छोटा-सा नोट था—
"पुराने रिश्ते कभी नहीं मरते, सिया। याद है वो वादा?"
सिया की साँसें अटक गईं।
"वादा? कौन-सा वादा?"
तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया।
दरवाजे के पीछे करण खड़ा था!
लंबा, गोरा-चिट्टा, गहरी आँखें और आत्मविश्वास से भरा चेहरा।
"हाय, सिया," उसने मुस्कुराकर कहा।
सिया की आँखों में हल्का डर था।
"करण… तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"
"तुमसे मिलने आया हूँ। आख़िर इतने सालों बाद अपने सबसे अच्छे दोस्त को कोई कैसे भूल सकता है?"
सिया ने ज़बरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश की।
"करण, प्लीज़, अब ये सब मत करो।"
करण ने उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिश की।
"सिया, तुम्हें क्या लगता है, मैं यहाँ मजाक करने आया हूँ?"
"फिर क्यों आए हो?"
करण थोड़ा गंभीर हो गया।
"तुमसे किया हुआ अपना वादा पूरा करने।"
सिया ने एक झटके से पीछे हटते हुए कहा, "मैंने कभी कोई वादा नहीं किया!"
करण की आँखों में हल्का गुस्सा था।
"तुमने कहा था कि अगर मेरी ज़िंदगी में कभी कोई मुसीबत आई, तो तुम हमेशा मेरे साथ खड़ी रहोगी। क्या वो सिर्फ एक झूठ था?"
सिया को कुछ याद आने लगा।
सात साल पहले…
"करण, अगर कभी तुम्हें मेरी ज़रूरत पड़ी, तो मैं तुम्हारे साथ रहूँगी।"
सिया के दिमाग में हलचल मच गई।
"लेकिन करण, तब हम बच्चे थे… वो बस दोस्ती में कही हुई बातें थीं।"
करण ने एक गहरी सांस ली और मुस्कुराया।
"हो सकता है, लेकिन मैं अपने वादे नहीं भूलता। और तुम?"
सिया कुछ नहीं बोल पाई।
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आदित्य और करण आमने-सामने
करण अभी सिया से बात कर ही रहा था कि तभी आदित्य वहाँ आ गया।
"तुम कौन हो?"
करण ने पीछे मुड़कर देखा।
"ओह… तुम ही हो वो, जिससे सिया ने शादी करने का फैसला किया?"
आदित्य की आँखों में संदेह था।
"और तुम कौन हो?"
करण ने आगे बढ़कर हाथ बढ़ाया।
"करण वर्मा। सिया का सबसे अच्छा दोस्त… और कुछ और भी।"
आदित्य ने उसका हाथ नहीं मिलाया।
"सिया ने मुझे तुम्हारे बारे में बताया है। लेकिन अचानक इतने सालों बाद तुम्हारी एंट्री क्यों हुई?"
करण ने मुस्कुराकर कहा, "क्योंकि कुछ अधूरे काम पूरे करने बाकी हैं।"
आदित्य को करण पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था।
"सिया से जो भी बात करनी है, वो मेरे सामने करना।"
करण ने हल्की हँसी हँसी।
"इतना असुरक्षित मत बनो, डॉक्टर। हम सिर्फ पुराने दोस्त हैं… फिलहाल के लिए।"
करण जाते-जाते सिया की तरफ देखा और कहा, "मुझे अभी भी तुम्हारे जवाब का इंतज़ार है।"
सिया की समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
आदित्य की आँखों में गुस्सा था।
"ये आदमी कौन-सा खेल खेल रहा है?"
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भावेश का असली प्लान
अस्पताल से कुछ दूर, भावेश और करण एक साथ बैठे थे।
"बहुत बढ़िया," भावेश ने कहा।
"तुम्हें क्या लगता है, सिया को यकीन हो गया कि तुम सच में यहाँ सिर्फ दोस्त बनकर आए हो?"
करण ने मुस्कुराकर कहा, "सिया को तो यकीन दिलाना आसान है… लेकिन आदित्य को नहीं।"
भावेश हँसा।
"तो फिर उसे यकीन दिलाने के लिए हमें कुछ बड़ा करना पड़ेगा।"
करण की आँखों में अजीब चमक थी।
"इस बार, मैं सिया को उसके सबसे कमजोर बिंदु से तोड़ूंगा।"
भावेश ने धीरे से पूछा, "क्या वो तुम्हें अभी भी प्यार करती है?"
करण ने हल्का मुस्कुराते हुए कहा, "अब भी नहीं… लेकिन जल्द ही करेगी।"
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आगे क्या होगा?
क्या करण सच में सिया से प्यार करता है या वो भावेश की साजिश का हिस्सा है?
क्या आदित्य इस खतरे को भांप पाएगा?
सिया अब क्या फैसला लेगी?
जानने के लिए पढ़ें अगला एपिसोड!