एपिसोड 5 – अतीत की परछाइयाँ
अस्पताल के गलियारों में रात का सन्नाटा था। बाहर बारिश की हल्की बूँदें खिड़कियों पर गिर रही थीं, लेकिन आदित्य के दिल में एक अलग ही हलचल थी। भावेश की एंट्री ने उसकी पुरानी यादों को फिर से जिंदा कर दिया था।
अंधेरे में छिपे राज
आदित्य अपने केबिन में बैठा, भावेश की मेडिकल रिपोर्ट देख रहा था, लेकिन उसकी आँखें बार-बार पुरानी यादों में खो जातीं। एक समय था, जब आदित्य और भावेश एक-दूसरे के बिना अधूरे थे। दोनों की दोस्ती इतनी गहरी थी कि लोग उन्हें एक सिक्के के दो पहलू कहते थे।
लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि ये दोस्त दुश्मन बन गए?
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
"आ सकता हूँ?" भावेश अपनी वही पुरानी मुस्कान लिए अंदर आया।
आदित्य ने बिना उसकी तरफ देखे जवाब दिया, "तुम्हें आराम करना चाहिए। अभी तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है।"
भावेश कुर्सी खींचकर बैठ गया और धीरे से बोला, "इतने सालों बाद भी तुम्हारी आवाज में वही सख्ती है, लेकिन तुम्हारी आँखें कुछ और कह रही हैं, आदित्य।"
आदित्य ने गहरी साँस ली।
"मुझे नहीं पता कि तुम यहाँ क्यों आए हो, लेकिन अगर तुम्हारा मकसद मेरा अतीत कुरेदना है, तो मैं पहले ही कह देता हूँ, मैं पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहता।"
भावेश ने टेबल पर हाथ रखा और हल्के से हँसते हुए कहा,
"अतीत से भाग नहीं सकते, दोस्त। जब तक हम अपने गुनाहों का सामना नहीं करते, तब तक वो हमें चैन से जीने नहीं देते।"
पुराने जख्म फिर हरे
आदित्य के मन में भावेश की बातों से पुरानी यादों का झंझावात उठने लगा।
छह साल पहले...
कॉलेज का आखिरी साल था। आदित्य और भावेश दोनों ही एक लड़की को पसंद करते थे – साक्षी। साक्षी एक खूबसूरत, समझदार और आत्मविश्वासी लड़की थी। दोनों की दोस्ती में दरार तब आई, जब साक्षी ने आदित्य को पसंद किया और भावेश को सिर्फ एक अच्छा दोस्त माना।
भावेश इस सच्चाई को कभी स्वीकार नहीं कर पाया। उसे लगा कि आदित्य ने जानबूझकर उसकी जिंदगी से साक्षी को छीन लिया। और फिर एक दिन, भावेश ने कुछ ऐसा कर दिया, जिसने उनकी दोस्ती को हमेशा के लिए तोड़ दिया।
सच का सामना
भावेश कुर्सी से उठकर आदित्य के सामने खड़ा हो गया।
"आदित्य, क्या तुमने कभी सोचा कि अगर उस दिन मैं वह गलती न करता, तो आज हम दोस्त होते?"
आदित्य ने ठंडे स्वर में कहा,
"गलती? तुमने सिर्फ गलती नहीं की थी, तुमने एक भरोसा तोड़ा था। तुमने साक्षी को लेकर जो किया, उसे मैं कभी माफ नहीं कर सकता।"
भावेश ने आँखें बंद कीं और गहरी साँस ली।
"मुझे पता है, आदित्य। लेकिन क्या तुम्हें पता है कि साक्षी कहाँ है?"
आदित्य का दिल एकदम तेज धड़कने लगा।
"तुम कहना क्या चाहते हो?"
भावेश ने उसकी तरफ देखा और गंभीर आवाज में कहा,
"साक्षी... वापस आ गई है।"
नया तूफान आने को है
आदित्य को लगा जैसे उसके पैरों तले जमीन खिसक गई हो। साक्षी, जिसे वह इतने सालों से भूलने की कोशिश कर रहा था, अब वापस आ गई थी? और यह बात उसे भावेश बता रहा था?
"मुझे यकीन नहीं हो रहा..." आदित्य ने धीरे से कहा।
"लेकिन यह सच है, और वह तुम्हें ढूँढ रही है।" भावेश ने कहा।
आदित्य के लिए यह सब किसी बुरे सपने जैसा था।
"अब फैसला तुम्हें करना है, आदित्य – क्या तुम अतीत को दोबारा अपनाओगे, या फिर उसे हमेशा के लिए दफन कर दोगे?"
(अगले एपिसोड में जारी...)