टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 09
नई चुनौतियाँ, नया मरीज
अस्पताल की घड़ी रात के 11 बजा रही थी, लेकिन यहाँ रात और दिन का कोई मतलब नहीं था। इमरजेंसी वार्ड में लगातार मरीजों की आवाजाही लगी रहती थी। डॉक्टर आदित्य अपने केबिन में बैठकर दिनभर के मरीजों की रिपोर्ट देख रहे थे। उनकी आँखों में हल्की थकान झलक रही थी, लेकिन मरीजों के प्रति उनकी ज़िम्मेदारी उन्हें चैन से बैठने नहीं देती थी।
तभी अचानक इमरजेंसी वार्ड से एक नर्स हड़बड़ाती हुई आई।
"डॉक्टर आदित्य, जल्दी चलिए! एक एक्सीडेंट केस आया है। मरीज की हालत बहुत नाजुक है!"
आदित्य ने फौरन अपने दस्ताने पहने और नर्स के साथ ऑपरेशन थिएटर की ओर भागे। वहां पहले से ही कुछ जूनियर डॉक्टर और नर्स मौजूद थे, जो मरीज को संभालने की कोशिश कर रहे थे। मरीज स्ट्रेचर पर पड़ा था, खून से लथपथ। सिर पर गहरी चोट थी, कपड़े भी खून से सने हुए थे। उसकी सांसें बहुत धीमी चल रही थीं, मानो किसी भी पल बंद हो सकती थीं।
"नाम क्या है मरीज का?" आदित्य ने गंभीरता से पूछा।
नर्स ने फाइल उठाई और जवाब दिया, "सर, इनका नाम ऋषभ है। ये अपनी बाइक से एक्सीडेंट का शिकार हुए हैं। सिर पर गंभीर चोट लगी है और शरीर में काफी खून बह चुका है।"
आदित्य ने ऋषभ की नब्ज़ चेक की और तुरंत ऑक्सीजन लगाने के लिए कहा।
"हमारे पास ज्यादा समय नहीं है। इन्हें तुरंत ऑपरेट करना होगा!"
ऑपरेशन थिएटर का माहौल गंभीर था। जूनियर डॉक्टर और नर्स पूरी तैयारी में थे। आदित्य ने गहरी सांस ली और ऑपरेशन शुरू किया।
ऑपरेशन थिएटर का तनाव
ऑपरेशन आसान नहीं था। ऋषभ के सिर में गहरी चोट थी, और खून लगातार बह रहा था। आदित्य हर एक कदम बहुत सोच-समझकर रख रहे थे। उनकी आंखों में फोकस था, हाथों में आत्मविश्वास।
करीब दो घंटे की मेहनत के बाद, उन्होंने राहत की सांस ली।
"ऑपरेशन सफल रहा, लेकिन अगले 24 घंटे बहुत अहम होंगे।"
नर्सों ने ऋषभ को आईसीयू में शिफ्ट किया। आदित्य ने अपना मास्क उतारा और गहरी सांस ली। ऑपरेशन के दौरान उनके दिमाग में कई सवाल घूम रहे थे—ये एक्सीडेंट था या किसी की साजिश?
भावेश की वापसी – एक पुरानी दुश्मनी का नया मोड़
आदित्य अभी ऑपरेशन खत्म करके आईसीयू की तरफ बढ़ ही रहे थे कि अचानक अस्पताल के दरवाजे से एक शख्स अंदर आया। उसका अंदाज रौबदार था, चेहरे पर आत्मविश्वास और आँखों में एक अजीब सी चमक थी।
वो तेजी से रिसेप्शन की ओर बढ़ा और वहाँ खड़ी नर्स से पूछा, "डॉ. आदित्य कहां मिलेंगे?"
नर्स ने उसकी तरफ देखा और कहा, "अभी वो ऑपरेशन से बाहर निकले हैं, आप कुछ देर इंतजार कीजिए।"
लेकिन उस आदमी के चेहरे पर अधीरता साफ झलक रही थी। उसने अपनी जेब से फोन निकाला और किसी को मैसेज किया।
कुछ ही देर में, आदित्य बाहर निकले। जैसे ही उनकी नजर उस आदमी पर पड़ी, उनके चेहरे पर नाराजगी साफ दिखी।
"भावेश! तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" आदित्य ने सख्त आवाज़ में पूछा।
भावेश हल्का सा मुस्कुराया और कहा, "तुमसे मिलने आया हूँ, और शायद पुराना हिसाब भी चुकता करना बाकी है।"
आदित्य के अंदर गुस्सा भरने लगा। भावेश कभी उनका सबसे अच्छा दोस्त हुआ करता था, लेकिन एक गलतफहमी ने दोनों के रिश्ते को दुश्मनी में बदल दिया था।
"यहाँ किसी से बदला लेने की जगह नहीं है, भावेश। यह एक अस्पताल है, जहाँ ज़िंदगी बचाई जाती है, खत्म नहीं की जाती।"
भावेश ने हल्की हंसी के साथ कहा, "अब देखना ये है कि ज़िंदगी बचती है या बर्बाद होती है!"
आदित्य को अहसास हो गया था कि भावेश की वापसी उनके लिए आसान नहीं रहने वाली।
ऋषभ का रहस्य
आईसीयू में लेटे ऋषभ के होश में आने का इंतजार हो रहा था। तभी नर्स आई और आदित्य से बोली, "सर, हमें एक अजीब बात पता चली है।"
"क्या?" आदित्य ने पूछा।
"ऋषभ का एक्सीडेंट महज़ एक हादसा नहीं लग रहा। किसी ने जानबूझकर उसकी बाइक से छेड़छाड़ की थी।"
आदित्य के कान खड़े हो गए।
"मतलब ये कोई साजिश थी?"
"हमें पक्के सबूत तो नहीं मिले, लेकिन कुछ बातें संदिग्ध लग रही हैं। पुलिस को खबर कर दी गई है।"
आदित्य की चिंता बढ़ गई। कहीं इस सबका कोई कनेक्शन भावेश से तो नहीं?
आने वाले खतरे
आदित्य अब सच जानने के लिए बेताब थे। भावेश की वापसी, ऋषभ का एक्सीडेंट, और अस्पताल के बढ़ते तनाव के बीच उन्हें ये समझ नहीं आ रहा था कि कौन दोस्त है और कौन दुश्मन।
(अगले एपिसोड में: ऋषभ के होश में आने के बाद क्या राज़ खुलेगा? और भावेश की असली मंशा क्या है?)