टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 10
साजिश की परतें खुलने लगीं
अस्पताल का माहौल हमेशा की तरह व्यस्त था, लेकिन आईसीयू के बाहर एक अजीब सा सन्नाटा पसरा था। आदित्य अपने केबिन में बैठकर ऋषभ की मेडिकल रिपोर्ट पढ़ रहे थे। ऑपरेशन सफल हुआ था, लेकिन ऋषभ अभी तक बेहोश था। उसकी हालत स्थिर थी, मगर खतरा टला नहीं था।
भावेश की अचानक वापसी और ऋषभ का एक्सीडेंट—इन दोनों घटनाओं के बीच कोई कनेक्शन है या नहीं, यह सोच-सोचकर आदित्य का दिमाग उलझ चुका था।
तभी नर्स रीना अंदर आई।
"सर, ऋषभ को थोड़ी देर पहले हल्की हरकत हुई थी। लगता है, वो होश में आने वाला है।"
आदित्य ने तुरंत रिपोर्ट बंद की और आईसीयू की ओर बढ़े।
ऋषभ की आँखें खुलीं
आईसीयू में मॉनिटर की बीप-बीप की आवाज़ के अलावा सब कुछ शांत था। ऋषभ का चेहरा अब भी उतना ही कमजोर था, लेकिन उसकी उंगलियाँ हल्की-हल्की हिल रही थीं।
आदित्य ने पास जाकर धीरे से उसका नाम पुकारा, "ऋषभ, क्या तुम मुझे सुन सकते हो?"
कुछ सेकंड तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन फिर धीरे-धीरे उसकी आँखें खुलीं। वो दर्द से कराहते हुए अपने आसपास देखने लगा।
"ऋषभ, तुम सुरक्षित हो। तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ था, लेकिन अब तुम ठीक हो जाओगे।"
ऋषभ की आँखों में डर झलक रहा था। उसने बड़ी मुश्किल से अपने सूखे होंठों से कहा, "डॉक्टर... वो... वो मुझे मारना चाहता था!"
आदित्य चौंक गए।
"कौन? किसकी बात कर रहे हो?"
लेकिन ऋषभ दर्द से कराह उठा। उसके शरीर में अभी इतनी ताकत नहीं थी कि ज्यादा बोल सके।
आदित्य को यकीन हो गया कि ये एक्सीडेंट नहीं, बल्कि किसी की सोची-समझी साजिश थी।
भावेश की चालें
आईसीयू के बाहर, भावेश धीरे-धीरे चलते हुए एक नर्स से टकराया।
"ओह, माफ कीजिए!" उसने मुस्कराते हुए कहा, लेकिन उसकी आँखों में कुछ और ही खेल चल रहा था।
भावेश अब आदित्य के केबिन की ओर बढ़ा। उसने अंदर झाँका तो देखा कि आदित्य एक फाइल पढ़ने में व्यस्त था।
"पुराने दोस्त को देख भी नहीं सकते, डॉक्टर साहब?"
आदित्य ने फाइल बंद की और बिना किसी भाव के कहा, "तुम्हें यहाँ नहीं होना चाहिए, भावेश।"
भावेश ने हंसते हुए कहा, "क्यों? क्या मैं अपने दोस्त से मिलने भी नहीं आ सकता?"
"हम अब दोस्त नहीं हैं," आदित्य ने ठंडी आवाज़ में कहा।
"तुमसे जुड़ी हर चीज़ मेरे लिए सिर्फ एक बुरा सपना है। और मैं अब उसे फिर से जीना नहीं चाहता।"
भावेश ने मेज पर हाथ रखते हुए कहा, "तुम भूल गए आदित्य, मैंने तुम्हें क्या सिखाया था? दुश्मनी में भी थोड़ा सा मजा होना चाहिए!"
आदित्य के माथे पर शिकन आ गई। "सीधी बात करो, भावेश।"
"अभी नहीं, आदित्य। सही वक्त आने दो, फिर देखना, कैसे पुराना हिसाब बराबर होता है!"
अस्पताल में अजनबी चेहरा
रात के करीब दो बजे थे। पूरा अस्पताल खामोश था, लेकिन सिक्योरिटी गार्ड ने नोटिस किया कि एक अजनबी आदमी अस्पताल में इधर-उधर घूम रहा था। वो बार-बार आईसीयू की तरफ देख रहा था।
गार्ड उसके पास गया, "आप कौन हैं और यहाँ क्या कर रहे हैं?"
वो आदमी घबरा गया, "मैं... मैं मरीज से मिलने आया था, लेकिन रास्ता भूल गया।"
गार्ड को शक हुआ। उसने उसे तुरंत रिसेप्शन पर ले जाकर पूछताछ शुरू कर दी।
उधर, आईसीयू में ऋषभ बेचैनी महसूस कर रहा था। उसने धीरे से अपनी आँखें खोलीं और एक साया खिड़की के बाहर खड़ा देखा। उसकी धड़कनें तेज हो गईं।
साजिश का दूसरा पड़ाव
सुबह के वक्त आदित्य आईसीयू में ऋषभ को देखने गए। इस बार ऋषभ थोड़ा बेहतर महसूस कर रहा था।
"ऋषभ, अब तुम मुझे साफ-साफ बताओ कि तुम्हारे साथ क्या हुआ था?"
ऋषभ ने कांपती आवाज़ में कहा, "डॉक्टर, मैं... मैं किसी को जानता था, जिसने मुझे जान से मारने की कोशिश की।"
"कौन था वो?"
ऋषभ कुछ देर चुप रहा, फिर धीमे से बोला, "भावेश।"
आदित्य का दिल एक पल के लिए तेज़ी से धड़क उठा।
"क्या तुम पक्का कह सकते हो कि भावेश ही तुम्हारे एक्सीडेंट के पीछे है?"
"हाँ, डॉक्टर... उसने मुझे धमकी दी थी। उसने कहा था कि अगर मैंने उसका भेद खोला, तो मेरी जान चली जाएगी!"
आदित्य अब पूरी तरह समझ गए थे कि भावेश की वापसी महज़ इत्तेफाक नहीं थी।
खतरे की घंटी
आदित्य अब बिना वक्त गंवाए पुलिस को बुलाने का फैसला कर चुके थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने रिसेप्शन की तरफ कदम बढ़ाया, भावेश उनके सामने आकर खड़ा हो गया।
"कहाँ जा रहे हो, डॉक्टर साहब?"
आदित्य ने गुस्से में कहा, "तुम्हारी असलियत अब मेरे सामने आ चुकी है, भावेश। तुमने ऋषभ को मारने की कोशिश की, क्यों?"
भावेश ने एक गहरी सांस ली और मुस्कराकर कहा, "तुम्हें लगता है कि मैंने ऐसा किया? लेकिन तुम्हारे पास कोई सबूत है?"
आदित्य को समझ आ गया कि यह खेल इतना आसान नहीं होगा। भावेश ने बहुत चालाकी से अपने कदम बढ़ाए थे, लेकिन अब वह उसे बेनकाब करके रहेगा।
(अगले एपिसोड में: क्या आदित्य भावेश को रंगे हाथों पकड़ पाएगा? क्या ऋषभ पुलिस को कोई अहम सुराग दे पाएगा?)