TOOTE HUE DILON KA ASHPATAAL - 4 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | टूटे हुए दिलो का अश्पताल - 4

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टूटे हुए दिलो का अश्पताल - 4

एपिसोड 4 – पुराने जख्म और नई चुनौतियाँ

अस्पताल की सफेद दीवारों के बीच समय धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था, लेकिन आदित्य के दिल और दिमाग में बीते समय की यादें किसी पुराने जख्म की तरह ताजा थीं। उसकी जिंदगी धीरे-धीरे सामान्य हो रही थी, लेकिन एक नया मोड़ उसकी भावनाओं में भूचाल लाने वाला था।

पुरानी यादों का अंधेरा

आदित्य अभी भी अस्पताल की दिनचर्या में ढलने की कोशिश कर रहा था। उसकी मुलाकात आए दिन अलग-अलग मरीजों से होती, उनकी कहानियाँ सुनता और उन्हें भावनात्मक सहारा देने की कोशिश करता। लेकिन उसके अपने दिल में जो घाव थे, उन्हें कौन भरता?

एक शाम, जब वह अपने केबिन में बैठा था, तभी नर्स राधिका आई और बोली,
"डॉक्टर आदित्य, आज एक नया मरीज एडमिट हुआ है। आपको उसे देखना होगा।"

आदित्य ने फाइल उठाई और मरीज का नाम पढ़ा – भावेश मेहता।

उसका दिल एक पल के लिए थम सा गया। भावेश? वही भावेश, जो कभी उसका सबसे अच्छा दोस्त हुआ करता था? वही भावेश, जिससे उसकी दोस्ती किसी वजह से टूट गई थी और जो अब उसके सबसे बुरे दुश्मनों में से एक था?

अचानक हुई मुलाकात

आदित्य किसी तरह खुद को संभालते हुए मरीज के वार्ड में पहुँचा। वहाँ बेड पर लेटा भावेश हल्की मुस्कान के साथ उसकी तरफ देख रहा था, जैसे वह पहले से जानता था कि डॉक्टर कौन होगा।

"आदित्य! इतने सालों बाद, तूने कभी सोचा था कि हमारी मुलाकात ऐसे होगी?" भावेश ने हल्के व्यंग्यात्मक लहजे में कहा।

आदित्य ने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया और मेडिकल रिपोर्ट देखते हुए बोला,
"यहाँ मैं डॉक्टर हूँ, और तुम मेरे मरीज। दोस्ती-दुश्मनी को बाहर ही छोड़कर आया हूँ।"

भावेश हँसा, लेकिन उसकी आँखों में एक अलग चमक थी।
"क्या सच में, आदित्य? क्या तू सच में पुरानी बातों को भूल पाया है?"

आदित्य ने उसकी बात को नजरअंदाज किया और मेडिकल चेकअप करने लगा।

पुराने घाव फिर से हरे

जब नर्स वार्ड से बाहर गई, तो भावेश अचानक गहरी आवाज में बोला,
"आदित्य, तुझे याद है ना कि हमारी दुश्मनी की शुरुआत कहाँ से हुई थी?"

आदित्य के हाथ एक पल के लिए रुक गए।

भावेश ने मुस्कुराते हुए कहा,
"एक लड़की थी... नाम याद है?"

आदित्य का चेहरा कठोर हो गया। वह उस नाम को भूलने की कितनी कोशिश कर चुका था, लेकिन आज भी वह नाम उसके दिल के एक कोने में जिंदा था।

"यहाँ मैं सिर्फ तुम्हारा इलाज करने आया हूँ, पुरानी बातें दोहराने नहीं," आदित्य ने ठंडे स्वर में कहा।

भावेश ने सिर हिलाया,
"देखते हैं, डॉक्टर साहब! कितने दिनों तक इस 'पेशेवर रवैये' को कायम रख पाते हो!"

भावेश का असली इरादा

आदित्य के लिए यह सिर्फ एक मरीज नहीं था, यह उसका अतीत था, जो अब फिर से उसके सामने था।

भावेश अस्पताल में आया तो था मरीज बनकर, लेकिन उसका इरादा कुछ और था। वह चाहता था कि आदित्य अपने पुराने घावों को फिर से महसूस करे, वह चाहता था कि आदित्य उन पुरानी यादों में उलझा रहे, जिससे वह अब तक बाहर नहीं आ पाया था।

"अब देखता हूँ, आदित्य... तू कब तक अपने जख्मों को छुपाए रखेगा!"

(अगले एपिसोड में जारी...)


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