टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 31
पिछले एपिसोड में:
भावेश के गुंडों ने अस्पताल पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन आदित्य और अर्जुन ने उनकी चाल नाकाम कर दी। भावेश ने अस्पताल को बदनाम करने के लिए बिजली कटवा दी, लेकिन आदित्य ने आखिरी समय पर जेनरेटर चालू कर दिया। अब भावेश खुद मैदान में उतरने वाला था!
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खूनी खेल की शुरुआत
रात के साढ़े तीन बजे का वक्त था। अस्पताल के अंदर माहौल शांत था, लेकिन बाहर अंधेरे में एक बड़ा तूफान उठने वाला था।
भावेश अपनी काली एसयूवी से उतरा। उसकी आँखों में गुस्सा था और होंठों पर एक खतरनाक मुस्कान। उसके साथ चार आदमी थे—हर कोई हथियारों से लैस।
"आज ये अस्पताल बचेगा नहीं!" भावेश ने गुर्राकर कहा।
उसने अपने आदमियों को इशारा किया।
"सबसे पहले CCTV बंद करो!"
एक आदमी पीछे गया और अस्पताल के CCTV के तार काट दिए।
अब सब कुछ अंधेरे में था।
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खून से सने हाथ
अंदर, आदित्य अपनी टीम के साथ डॉक्टर रूम में बैठा था।
"हमें पता है कि भावेश इतनी आसानी से हार नहीं मानेगा," अर्जुन ने कहा।
"बिल्कुल! और इसलिए हमें हर स्थिति के लिए तैयार रहना होगा," नव्या ने समर्थन किया।
तभी अचानक अस्पताल के मेन गेट से ज़बरदस्त आवाज़ आई—"धड़ाम!"
"क्या हुआ?" सान्या चौंककर बोली।
आदित्य तुरंत खड़ा हो गया। "कुछ गड़बड़ है!"
वो दौड़कर बाहर आया और देखा कि गेट पर खून बिखरा हुआ था।
एक गार्ड ज़मीन पर पड़ा था—उसके सिर से खून बह रहा था!
"ये भावेश का काम है!" अर्जुन ने गुस्से में कहा।
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खूनी खेल की साजिश
भावेश और उसके आदमी अस्पताल के अंदर घुस चुके थे।
"आज इस अस्पताल का नामो-निशान मिटा दूँगा!" भावेश ने दाँत पीसते हुए कहा।
उसने अपने आदमियों को अलग-अलग दिशाओं में भेजा।
पहला आदमी इमरजेंसी वॉर्ड में घुसा और वहाँ के मरीजों को डराने लगा।
दूसरा आदमी अस्पताल की दवाइयों को नुकसान पहुँचाने के लिए फार्मेसी की तरफ गया।
तीसरा आदमी स्टाफ रूम की तरफ बढ़ा, जहाँ सान्या और बाकी नर्सें थीं।
खुद भावेश ICU की तरफ बढ़ा, जहाँ सबसे ज्यादा क्रिटिकल मरीज थे।
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आदित्य की आखिरी जंग
आदित्य, अर्जुन और नव्या ने अपनी रणनीति बना ली थी।
"हम तीनों को अलग-अलग जाना होगा!" आदित्य ने कहा।
अर्जुन फार्मेसी की तरफ भागा।
नव्या इमरजेंसी वॉर्ड को संभालने गई।
आदित्य ICU की तरफ गया—क्योंकि वहाँ खुद भावेश मौजूद था!
ICU के दरवाजे पर खड़ा था भावेश।
"आज तो मैं इस जगह को कब्रिस्तान बना दूँगा!"
उसने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन तभी...
"रुक जा, भावेश!"
आदित्य सामने खड़ा था।
भावेश ने एक लंबी साँस ली। "तू हर बार मेरे रास्ते में क्यों आता है, आदित्य?"
"क्योंकि तुझे रोकने वाला कोई और नहीं है!" आदित्य की आँखों में आग थी।
"तो फिर ठीक है... आज मैं तुझे हटा ही दूँगा!"
और भावेश ने अपनी बंदूक निकाल ली!
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आखिरी वार
ICU के अंदर मरीजों की जान दाँव पर थी।
आदित्य ने बिना समय गँवाए सामने रखी एक स्टूल उठाई और जोर से भावेश के हाथ पर दे मारी।
"धड़ाक!"
बंदूक ज़मीन पर गिर गई।
भावेश ने गुस्से में आकर आदित्य के चेहरे पर मुक्का मारा, लेकिन आदित्य ने खुद को सँभाल लिया और तुरंत एक जोरदार घूँसा भावेश के पेट में जड़ दिया।
"धम!"
भावेश पीछे की ओर गिरा।
"ये अस्पताल किसी का नुकसान करने के लिए नहीं, बल्कि लोगों की जान बचाने के लिए बना है!" आदित्य ने गुस्से से कहा।
भावेश संभलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन तभी अर्जुन और नव्या भी वहाँ आ गए।
"खेल खत्म, भावेश!" अर्जुन ने कहा।
पुलिस की गाड़ी अस्पताल के सामने आ चुकी थी।
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अंत की ओर
भावेश और उसके आदमियों को पकड़ लिया गया।
"अब तू जेल में सड़ेगा!" पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा।
भावेश गुस्से में तड़प रहा था।
"ये खत्म नहीं हुआ, आदित्य! मैं लौटूँगा!"
"जब भी लौटेगा, मैं तुझे हर बार हराऊँगा!" आदित्य ने दृढ़ता से कहा।
ICU के मरीज अब सुरक्षित थे। अस्पताल का माहौल धीरे-धीरे सामान्य होने लगा।
सान्या और नव्या एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराईं।
"हमने इसे बचा लिया!" नव्या बोली।
लेकिन क्या ये सच में खत्म हो गया था?
क्या भावेश फिर से कोई चाल चलेगा?
क्या आदित्य का असली इम्तिहान अभी बाकी था?
जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड!