Ek Musafir Ek Hasina - 24 in Hindi Thriller by Swati Grover books and stories PDF | एक मुसाफ़िर एक हसीना: A Dangerous Love Story - 24

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एक मुसाफ़िर एक हसीना: A Dangerous Love Story - 24

24

हादसा

 

सुबह के सात बजे है, अनुज यश, करण  और बाकी  सभी इंस्पेक्टर  भी अश्विन  को घेरकर खड़े  है। अश्विन  ने धीरे-धीरे  अपनी  आँखें  खोली और  और अपने  चारों  तरफ सभी को देखकर उसे यकीन होने लगा कि  वह अभी  ज़िंदा  है।  उसके सिर  में अब  भी दर्द है। उसने अपना  सिर  पकड़ते  हुए कहा, “हम कहाँ है?” “नई  दिल्ली  रेलवे  स्टेशन।“ अनुज ने ज़वाब दिया, “वैसे तेरे साथ हुआ क्या था?” अब अश्विन अनुज के यह पूछने पर  रात के तीन  बजे के बाद की घटना को याद करने लगा,

 

जब वह वाशरूम से निकला था तो उसकसा सिर  घूम  रहा था और फिर ट्रैन  का दरवाजा  खुलने की आवाज और फिर उसे किसी  ने ज़ोर से धक्का  मारा  और बाहर  गिरते समय उसने ट्रैन के दरवाजे का हैंडल  बहुत कसकर पकड़  लिया और उसका दूसरा  हाथ अपने आप उस डिवाइस  पर चला  गया जो ट्रैन में  मौजूद  सभी को अलर्ट  करने लगी। फिर  उसे किसी  ने  दोबारा  धक्का  मारकर  बाहर  धकेलने  की कोशिश  की पर शायद  एक ही प्रयास  में  वह  पीछे  हट  गया और अश्विन  झूलता  हुआ वापिस  अंदर  की ओर गिरा। “कौन था वो?” अनुज की आवाज़  ने उसे वर्तमान  में  वापिस  ला दिया। “पता नहीं, सब काला-काला  और अंधेरा  था,  जैसे किसी  ने ख़ुद को काले रंग का कर रखा हो।“ उसने पास में रखे पानी  का गिलास उठाते हुए ज़वाब दिया।

 

“जब हम तेरे पास पहुँचे  तो  तू ट्रैन  के दरवाजे  के पास  गिरा पड़ा  था।“

 

“हाँ क्योंकि मुझे लगता है, उस किलर को तुम्हारे आने की ख़बर हो गई  होगी, तभी उसने मेरा पीछा जल्दी छोड़ दिया वैसे यार अनुज वो सब डिब्बे के लोग कहाँ गए?”

 

“वो लोग तो पंचमढ़ी  उतर  गए और हम वापिस  तुझे लेकर दिल्ली के  रेलवे  स्टेशन आ गए।“

 

“अब तो पक्का  यकीन  हो गया कि  उसी डिब्बे  में  सीरियल  किलर  और सम्राट  है। जब मैं तुझसे बात कर रहा था तभी किसी  ने मेरी कॉफी  में कुछ मिला दिया होगा और उसके बाद......  तो वही हुआ जो होना था।“

 

“इसका  मतलब कॉफी वाली हरकत  बताती  है कि  यह काम उसी किलर का है, जैसे उसने मनोहर को मारा  था।“

 

“हाँ कह सकते हैं पर अभी  मेरे सिर  में इतना  दर्द  है कि  मैं ज्यादा  सोचने  की हालत  में  नहीं हूँ।“

 

“एक काम  करते है, अपने-अपने  घर जाकर अभी  आराम  करते हैं दोपहर  को  मिलेंगे।“ अनुज  की बात सुनकर सभी उस  रेलवे  स्टेशन के कमरे  से निकल गए ।

 

 

मध्यप्रदेश का यह खूबसूरत  हिल स्टेशन पंचमढ़ी अपनी  प्राकृतिक  सुंदरता  के लिए जाना जाता है। रेवा  ऐसे ही खूबूसरत  वादियों  को देखते हुए अपनी  मंजिल पर जा रही है। एक रिसोर्ट  पर पहुचंते ही उसे कोई पचास-पचपन  साल के बुजुर्ग  ने गले लगाते  हुए कहा,  “दस साल  की थी, जब तुझे देखा था, अब देखो कितनी बड़ी  हो गई  है,  कैसी  है, अपने पापा  की राजकुमारी।“ “ठीक हूँ।“ “तेरे पापा के आख़िरी समय में मैं मौजूद नहीं रहा, इसका मुझे  बहुत अफ़सोस है ।“  “कोई नहीं अंकल, आप अपने बेटे के पास अमेरिका गए हुए थे तो इसमें आपकी क्या गलती है” रेवा के यह कहते ही वे दोनों  रिसोर्ट में बने रिसेप्शन की ओर जाने लगें। अब रेवा ने एक नज़र  रिसोर्ट  में  काम  कर रहें मजदूरों  पर डाली तो  उसके  अंकल रमेश अग्रवाल  ने उसके चेहरे  के भाव देखकर कहा,

 

“दोबारा  से काम शुरू  करवा  दिया है। अब तू आ गई  है तो यह  बंद पड़ा रिसोर्ट  फिर से शुरू  हो जायेगा।“

 

“हम्म!! अंकल  सब आपकी वजह से मुमकिन हो पाया है, वरना  डैड के जाने के बाद तो सब खत्म  सा हो गया था।“

 

“अरे!! वीरेंदर के मरने के बाद,  कुछ महीने तक तो मैंने इसे चलाया  पर फिर मेरी हिम्मत जवाब दे  गयी और मैंने तुझे बुला लिया। अब बेटा  मैं आराम करना  चाहता  हूँ पर जब तुझे मेरी मदद  की ज़रूरत  होगी तो मैं  आ जाऊँगा।“

 

“मैं समझ सकती हूँ अंकल, पापा  के दोस्त होने के नाते आपने उनका बहुत साथ दिया है, अब आप आराम  करें और रिसोर्ट  की टेंशन  बिलकुल  मत लें।“  उसने उन्हें एक बार फिर गले  लगा  लिया और उसके हाथ में  चाभी  पकड़ाते  ही रमेश वहाँ  से चले गए। अब रेवा ने रिसोर्ट  पर लगे  बोर्ड  की तरफ देखा जिस पर लिखा  है, सनशाइन रिसोर्ट।  रेवा का  यह रिसोर्ट  बहुत बड़ा  नहीं है पर बहुत छोटा भी नहीं है, जब उसके पापा  जिन्दा थें तब यह रिसोर्ट  बहुत चलता था, उसके पापा  के जाने के बाद, रमेश  ने भी इसे चलाने  की  कोशिश  की मगर कामयाब  नहीं हो पाए और  रेवा को वापिस अपने  पापा  का रिसोर्ट  संभालने  के लिए बुला लिया। अब  रेवा अपने कमरे में  गई  और कुछ देर टेबल पर रखी अपने  पिता की तस्वीर देखने के बाद बिस्तर  पर आँख  बंदकर लेट  गई और फिर कुछ  ही पल में  वह नींद के आगोश  में  चली गई।

 

अश्विन  सिर  दर्द की दवाई  लेने के बाद, बड़े  आराम  से अपने  अपार्टमेंट में  सो रहा है पर वही अनुज की तो नींद  ही गायब है क्योंकि घर पहुंचने  पर उसकी माँ  ने बताया कि  कोमल  सारी  रात  घर नहीं आई  बस एक मैसेज करकर  बात दिया कि अपनी  कज़न  रोमा  के साथ है। “कोई बात नहीं माँ, रिफ्रेश  हो रही है, इतने दिन हॉस्पिटल  में  रहकर  आई  है।“  “ठीक है, बेटा  फिर मुझे भी  तेरे पापा  लेने आ रहें हैं।‘  यह कहकर  वह नाश्ता बनाने  किचन  में  चली  गई  और अनुज  फ्रेश होने बाथरूम  में  चला गया। ग्याहरह बजे के आसपास  कोमल  वापिस आई  तो अनुज  से बात किये बिना ही अपने कमरे में  चली  गई।  अनुज के माँ  उसके आने से दस मिनट  पहले अपने बेटे से विदा लेकर  निकली है।  अनुज नाश्ते के बाद बॉलकनी  में  बैठा खुले आसमान  की तरफ देखते पुलिस  स्टेशन जाने के बारे में  सोच  रहा है।

 

कुछ घंटे की नींद के बाद, अपने दरवाजे  पर दस्तक सुनकर  रेवा  नींद  से  जागी  और दरवाजा खोलकर देखा तो 24-25 के आसपास की उम्र  के दो लड़का-लड़की  खड़े  हैं।  “मैम, हमें  रमेश  जी ने आपकी मदद के लिए भेजा  है, हम साफ-सफाई  का काम  करते हैं।“  “ठीक है, तुम लोग मेरा बाहर  इंतज़ार  करो, मैं थोड़ी  देर में  आती हूँ।“  “तैयार  होकर जब वह  बाहर  आई  तो देखा  दोनों एक कुर्सी  पर बैठे हैं। वह   भी उनके पास बैठते हुए बोली,

 

“अब बताओ, क्या काम करोगे? “

 

“मैम मैं सफाई और डस्टिंग  कर दूंगी।“ 

 

“और मैं  खाने का आर्डर लेना  और मार्किट  का काम  कर दूंगा।“  लड़के  ने जवाब दिया।

 

“तुम दोनों  के नाम क्या है?”

 

“पिंकी और मेरा  नाम  सोनू।“  रेवा अब कुछ सोचते हुए बोली,

 

“देखो!!! अभी  रिसोर्ट  फिर से शुरू  करना है इसलिए  ज्यादा  पैसे  नहीं दे सकती, 2000  महीना  मिलेगा, हाँ अगर टूरिस्ट  आने शुरू  हो जाये  तो पैसे बढ़ा  दूंगी।  और अभी मुझे एक शेफ  की ज़रूरत  भी है।“ “खाना  तो मैं  देख लूंगा,” राजू  बोला।  यह सुनकर  वह मुस्कुराते हुए बोली, “तो ठीक है तय रहा  कि  जैसे-जैसे टूरिस्ट  आते  जाएंगे, तुम्हारी पगार  बढ़ती जाएगी। अभी  वह  बात कर ही रही होती है कि  उसे “एक्सक्यूज़  मी”  की आवाज  सुनाई  देती है और रेवा उस तरफ  देखती है तो उसका हैरानी  से मुँह खुला का खुला  रह जाता है।