एपिसोड 11 – टूटे हुए दिलों का अस्पताल
नई सुबह, नई तकलीफें
सुबह की हल्की धूप अस्पताल के गलियारों में फैल रही थी, लेकिन आदित्य के दिल और दिमाग में बीती रात की बातें गूंज रही थीं। भावेश की एंट्री ने उसके पुराने घाव फिर से हरे कर दिए थे। वो उसे भूलना चाहता था, लेकिन भावेश की बातों ने उसे उसकी पुरानी जिंदगी में खींच लिया था।
डॉ. संजना अपने केबिन में बैठी मरीजों की रिपोर्ट चेक कर रही थी, तभी नर्स सुष्मिता घबराई हुई अंदर आई।
"मैम, इमरजेंसी में एक सीरियस केस आया है। बहुत बुरा एक्सीडेंट हुआ है, मरीज की हालत नाजुक है!"
संजना तुरंत उठ खड़ी हुई और आदित्य को भी इमरजेंसी वार्ड में बुला लिया। वहाँ स्ट्रेचर पर एक 22-23 साल का युवक खून से लथपथ पड़ा था। सिर पर गहरी चोट थी, और सांसें बहुत तेज़ चल रही थीं, मानो किसी भी पल रुक सकती थीं।
"नाम क्या है इसका?" संजना ने नर्स से पूछा।
"मैम, इसके पास कोई पहचान पत्र नहीं है, लेकिन इसके फोन में ‘माँ’ के नाम से एक नंबर सेव है।"
आदित्य ने बिना देर किए उस नंबर पर कॉल किया।
"हेलो?" दूसरी तरफ एक कांपती हुई महिला की आवाज़ आई।
"आपका बेटा अस्पताल में भर्ती है। उसकी हालत बहुत नाजुक है। कृपया तुरंत आ जाइए।"
कुछ ही देर में एक बुजुर्ग महिला हड़बड़ाती हुई आई। उसने अपने बेटे को देखकर ज़ोर से रोना शुरू कर दिया, "रोहित! मेरे बच्चे, आँखें खोलो!"
आदित्य और संजना ने उन्हें संभाला।
"आंटी, घबराइए मत। हम इन्हें बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।"
लेकिन तभी नर्स ने आकर बताया कि रोहित की हालत बिगड़ रही है। डॉक्टरों ने बिना समय गंवाए ऑपरेशन थिएटर में सर्जरी शुरू कर दी।
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सर्जरी के बाद का रहस्य
तीन घंटे के लंबे ऑपरेशन के बाद आदित्य और संजना थक चुके थे, लेकिन राहत की बात यह थी कि रोहित की हालत अब स्थिर थी।
"सौभाग्य से समय रहते हमने इसे बचा लिया," संजना ने कहा।
लेकिन आदित्य के मन में कोई बात खटक रही थी।
"क्या हुआ आदित्य?" संजना ने पूछा।
"मुझे नहीं पता, लेकिन इस केस में कुछ तो गड़बड़ है," आदित्य ने कहा।
इसी बीच एक पुलिस इंस्पेक्टर अस्पताल में दाखिल हुआ।
"डॉक्टर, हमें इस मरीज का बयान लेना है।"
"बयान? लेकिन क्यों?" संजना ने चौंककर पूछा।
"क्योंकि यह कोई आम एक्सीडेंट नहीं था... इसे मारने की कोशिश की गई थी!"
संजना और आदित्य एक-दूसरे की ओर देखने लगे। मामला अब एक साधारण एक्सीडेंट से आगे बढ़कर हत्या के प्रयास तक जा पहुंचा था।
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सच्चाई की परतें खुलने लगीं
पुलिस के आने के बाद अस्पताल में माहौल और भी गंभीर हो गया था। रोहित अभी बेहोश था, लेकिन इंस्पेक्टर ने उसकी माँ से कुछ सवाल करने शुरू किए।
"क्या आपके बेटे की किसी से दुश्मनी थी?"
"नहीं साहब, मेरा बेटा बहुत सीधा-सादा लड़का है," माँ ने रोते हुए कहा।
"फिर उस पर हमला क्यों हुआ?"
इसी बीच आदित्य ने रोहित का फोन उठाया और उसकी कॉल हिस्ट्री देखी। आखिरी कॉल किसी "विवेक" नाम के व्यक्ति को की गई थी।
"इंस्पेक्टर, हो सकता है ये विवेक कोई सुराग दे सके।"
इंस्पेक्टर ने तुरंत उस नंबर पर कॉल किया।
"हेलो, कौन?"
"हम पुलिस से बोल रहे हैं। रोहित का एक्सीडेंट हुआ है, और हमें आपसे कुछ जानकारी चाहिए।"
फोन के दूसरी ओर कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा, फिर आवाज़ आई, "ये कोई एक्सीडेंट नहीं था, डॉक्टर साहब। रोहित को जान-बूझकर मारा गया है!"
आदित्य और संजना सकते में आ गए।
"मतलब?"
"अगर आप सच में रोहित की जान बचाना चाहते हैं, तो उससे पूछिए कि उसने आखिरी बार किससे झगड़ा किया था..."
इतना कहकर फोन कट गया।
अब मामला और उलझ चुका था।
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आगे क्या होगा?
1. रोहित को किसने मारने की कोशिश की थी?
2. क्या विवेक इस हमले के पीछे किसी को जानता है?
3. आदित्य और संजना इस केस को सुलझा पाएंगे या नहीं?
अस्पताल की दीवारें एक और कहानी की गवाह बन रही थीं...
(जारी रहेगा...)