एपिसोड 12: दर्द के पीछे की सच्चाई
रात के सन्नाटे में जब पूरा शहर नींद की आगोश में था, "टूटे हुए दिलों का अस्पताल" में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे मरीजों की कहानियाँ अब भी सांस ले रही थीं। अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में भागदौड़ मची थी। एक ऐंबुलेंस अस्पताल के गेट पर आकर रुकी, और स्ट्रेचर पर एक घायल व्यक्ति को उतारा गया। उसके शरीर पर कई जगह गहरे जख्म थे, और चेहरा खून से लथपथ था।
एक नए केस की एंट्री
डॉ. आदित्य तुरंत इमरजेंसी वार्ड में पहुँचे। नर्स ने जल्दी से रिपोर्ट दी—
"पेशेंट का नाम अर्जुन है, 34 साल का। गहरी चोटें हैं, खासकर सिर पर। कार एक्सीडेंट में घायल हुआ है। काफी खून बह चुका है, हमें तुरंत सर्जरी करनी होगी!"
आदित्य ने तुरंत अपना ग्लव्स पहना और टीम के साथ ऑपरेशन की तैयारी करने लगे। लेकिन ऑपरेशन शुरू होने से पहले अर्जुन की पत्नी, राधिका, भागते हुए अंदर आई। उसकी आँखों में आँसू थे।
"डॉक्टर... मेरे पति को बचा लीजिए! वो बहुत अच्छे इंसान हैं। ये सब एक साजिश है, एक्सीडेंट नहीं!"
राधिका की इस बात ने आदित्य को चौंका दिया। उन्होंने अर्जुन के केस को और बारीकी से देखने का फैसला किया।
भावेश की चालाकी
उसी समय, अस्पताल के दूसरे कोने में भावेश खड़ा सबकुछ देख रहा था। उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी।
"आदित्य, तुम कितने भी बड़े डॉक्टर बन जाओ, लेकिन अतीत की यादें तुम्हें चैन से जीने नहीं देंगी।"
भावेश ने अस्पताल में एक नया जाल बिछाने की ठानी थी। वह जानता था कि आदित्य मरीजों को लेकर बहुत संवेदनशील है, और अगर उसके फैसलों पर शक किया जाए, तो उसे मानसिक रूप से कमजोर किया जा सकता है।
सर्जरी के दौरान रहस्य
ऑपरेशन थिएटर में माहौल गंभीर था। आदित्य ने अर्जुन के सिर की गहरी चोट पर ध्यान केंद्रित किया। जब उन्होंने स्कैन रिपोर्ट देखी, तो कुछ असामान्य लगा। चोटें इस तरह की नहीं थीं, जैसी आम एक्सीडेंट में होती हैं। ऐसा लग रहा था कि किसी ने जानबूझकर अर्जुन को मारा हो।
"ये तो बहुत अजीब है... एक्सीडेंट में ऐसी चोटें नहीं आतीं।" आदित्य ने खुद से कहा।
सर्जरी सफल रही, लेकिन आदित्य का मन अब भी बेचैन था।
अस्पताल में उठते सवाल
सर्जरी के बाद, जब अर्जुन को आईसीयू में शिफ्ट किया गया, तब नर्सों के बीच फुसफुसाहट शुरू हो गई—
"सुना है, ये एक्सीडेंट नहीं, मर्डर की कोशिश थी!"
"पता नहीं, अस्पताल में अब अजीब घटनाएँ क्यों हो रही हैं?"
भावेश धीरे-धीरे अपनी साजिश को मजबूत कर रहा था। उसने मीडिया को एक फर्जी खबर दी कि "टूटे हुए दिलों का अस्पताल" में मरीजों की सुरक्षा खतरे में है।
आदित्य की चुनौती
अगले दिन, जब आदित्य अपने ऑफिस में बैठा रिपोर्ट्स देख रहा था, तभी अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर का कॉल आया—
"डॉ. आदित्य, अस्पताल की साख पर सवाल उठ रहे हैं। मीडिया में बातें फैल रही हैं कि यहाँ मरीजों की सुरक्षा पर खतरा है।"
आदित्य ने गहरी सांस ली।
"मैं इस मामले की जाँच खुद करूँगा।"
अब आदित्य के सामने दो चुनौतियाँ थीं—
1. अर्जुन के केस की सच्चाई पता लगाना।
2. भावेश की साजिश को बेनकाब करना।
एपिसोड का अंत
आदित्य ने अर्जुन की पत्नी, राधिका को बुलाया और कहा—
"मुझे हर उस इंसान का नाम बताइए, जो आपके पति से जलता था या दुश्मनी रखता था।"
राधिका की आँखों में डर था।
"डॉक्टर साहब... मेरे पति के साथ एक दुश्मन का नाम जुड़ा है—भावेश!"
ये सुनते ही आदित्य की मुट्ठियाँ कस गईं।
"अब मैं सच सामने लाकर ही रहूँगा!"
(अगले एपिसोड में: क्या आदित्य भावेश की चालों को समझ पाएगा? क्या अर्जुन की हालत सुधरेगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए...)