एपिसोड 7: अतीत के घाव
भूमिका:
अस्पताल की गलियारों में हलचल हमेशा की तरह जारी थी। मरीजों की भीड़, डॉक्टरों के व्यस्त कदम, और दर्द से कराहते लोगों की आवाजें माहौल को बोझिल बना रही थीं। लेकिन इस बार, अस्पताल में सिर्फ मरीजों का दर्द नहीं था—यहाँ एक ऐसा अतीत कदम रखने वाला था, जो आदित्य के घावों को फिर से कुरेदने वाला था।
भावेश की एंट्री
दोपहर के करीब का वक्त था। आदित्य अपने केबिन में बैठा था, जब अचानक नर्स ने आकर बताया—
"सर, एक नया मरीज एडमिट हुआ है, जिनका नाम भावेश है। एक्सीडेंट केस है, परसों भर्ती किया गया था। आज होश में आया है और आपसे मिलना चाहता है।"
आदित्य ने अपनी फाइल पर नजर डाली। ‘भावेश?’ ये नाम सुनते ही उसकी आँखों में एक अजीब सी बेचैनी आ गई। उसने तुरंत फाइल उठाई और मरीज का वार्ड नंबर चेक किया।
"वो वही भावेश तो नहीं?" उसके दिमाग में यादों की लहरें उमड़ पड़ीं।
बीते दिनों की परछाइयाँ
भावेश—एक समय में आदित्य का सबसे अच्छा दोस्त हुआ करता था। कॉलेज के दिनों में दोनों की दोस्ती मशहूर थी। हर वक्त साथ रहना, हर मुश्किल में एक-दूसरे का साथ देना, ऐसा लगता था मानो दोनों भाई हों। लेकिन कुछ साल पहले, एक घटना ने सबकुछ बदल दिया था।
5 साल पहले...
आदित्य और भावेश एक मेडिकल कॉन्फ्रेंस में गए थे। वहाँ, दोनों ने अपने करियर को लेकर बड़े-बड़े सपने देखे थे। लेकिन एक रात, भावेश ने आदित्य के विश्वास को तोड़ दिया। उसने न सिर्फ आदित्य के रिसर्च आइडिया को चुरा लिया, बल्कि उसे अपना बताकर नाम और पहचान भी बना ली।
जब आदित्य को इस धोखे का पता चला, तो उसने भावेश से जवाब माँगा। लेकिन भावेश ने न सिर्फ गलती मानने से इनकार किया, बल्कि उल्टा आदित्य को ही झूठा साबित करने की कोशिश की।
"जो तेज दौड़ता है, वही जीतता है, आदित्य! मैं सिर्फ मौके का फायदा उठा रहा हूँ। इसमें गलत क्या है?" भावेश ने ठहाका लगाया था।
उस दिन के बाद, आदित्य ने भावेश से हर रिश्ता तोड़ लिया था। लेकिन आज... इतने सालों बाद... वो फिर उसके सामने था।
अस्पताल में आमना-सामना
आदित्य वार्ड में पहुंचा। भावेश बेड पर लेटा था, उसके सिर पर पट्टी बंधी थी और हाथ में ड्रिप लगी हुई थी। उसने जैसे ही आदित्य को देखा, उसकी आँखों में अजीब सी चमक आ गई।
"आदित्य...!" उसने हल्की आवाज में कहा।
आदित्य ने बिना कोई भाव दिखाए कहा, "कैसा लग रहा है?"
भावेश हल्का हँसा, "ज़िंदा हूँ, ये भी काफी है। पर तुम बदले नहीं, वही पुराने आदित्य..."
आदित्य ने उसकी बात अनसुनी कर दी और मेडिकल रिपोर्ट देखने लगा। लेकिन भावेश को चुप रहना मंजूर नहीं था।
"याद है हमारी आखिरी मुलाकात?" उसने आदित्य के चेहरे को पढ़ने की कोशिश की।
आदित्य ने बिना भावनाओं के कहा, "हाँ, और ये भी याद है कि वो हमारी दोस्ती की आखिरी रात थी।"
भावेश ने लंबी सांस ली। "आदित्य, मैं जानता हूँ, मैंने बहुत गलत किया था। लेकिन इंसान हमेशा गलतियों से ही सीखता है, है ना?"
आदित्य ने ठंडी नजरों से देखा, "गलतियाँ माफी के काबिल होती हैं, लेकिन धोखा नहीं।"
क्या भावेश बदला है?
भावेश थोड़ी देर चुप रहा, फिर गहरी आवाज में बोला, "आदित्य, क्या तुम्हें सच में लगता है कि मैंने तुमसे सिर्फ रिसर्च चुराई थी? नहीं... बात उससे कहीं ज्यादा थी।"
आदित्य की भौंहें सिकुड़ गईं। "मतलब?"
"मतलब ये कि जो मैंने किया, वो मेरी मजबूरी थी। मुझे किसी और ने ऐसा करने पर मजबूर किया था... एक बड़ी साजिश थी, जिसके बारे में तुम्हें कुछ नहीं पता।"
आदित्य को यकीन नहीं हुआ। "और अब तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारी इस कहानी पर विश्वास कर लूँ?"
भावेश ने आँखें बंद कर लीं। "तुम चाहो या न चाहो, सच वही रहेगा, आदित्य। और अगर तुम सच जानना चाहते हो, तो मुझे थोड़ा वक्त दो। मैं सबकुछ बताऊंगा।"
भावेश की साजिश या सच?
आदित्य उलझन में था। क्या भावेश सच में बदला था? या फिर ये सिर्फ एक और चाल थी?
अस्पताल की हलचल के बीच, अतीत की यह गूंज एक नई कहानी की तरफ इशारा कर रही थी। क्या आदित्य अपने पुराने दोस्त को फिर से माफ कर पाएगा? या ये मुलाकात सिर्फ एक और तूफान का इशारा थी?
(जारी रहेगा...)