एपिसोड 8: दोस्ती या धोखा?
भूमिका:
आदित्य की जिंदगी में भावेश की एंट्री किसी भूले हुए अध्याय के दोबारा खुलने जैसी थी। बीते पाँच सालों से आदित्य ने उस चेहरे को अपनी यादों से मिटाने की कोशिश की थी, लेकिन अब वही इंसान उसके सामने था। भावेश की आँखों में एक अजीब सी बेचैनी थी—शायद पछतावे की, या फिर किसी नए खेल की शुरुआत की।
भावेश की मजबूरी या चाल?
आदित्य के लिए ये समझना मुश्किल था कि क्या भावेश सच कह रहा था या फिर ये सब उसकी कोई नई चाल थी। उसने वार्ड के बाहर आकर गहरी सांस ली। उसके मन में ढेरों सवाल घूम रहे थे—
क्या वाकई भावेश को किसी ने मजबूर किया था?
अगर हाँ, तो कौन था वो शख्स?
या फिर ये सब सिर्फ एक झूठ था, जिससे वो दोबारा आदित्य के भरोसे को तोड़ सके?
आदित्य इन सवालों से घिरा हुआ था, लेकिन उसके पास ज्यादा वक्त नहीं था। उसे अस्पताल के बाकी मामलों पर भी ध्यान देना था। उसने खुद से कहा—"भावेश को थोड़ा वक्त देना सही रहेगा, लेकिन मैं उस पर इतनी जल्दी भरोसा नहीं कर सकता।"
एक अनजान खतरा
अगली सुबह, आदित्य अपने केबिन में बैठा था, जब उसकी सेक्रेटरी शीला अंदर आई।
"सर, कोई आपसे मिलने आया है। कहता है कि ये भावेश का जानने वाला है।"
आदित्य चौंक गया। "कौन है?"
शीला ने कंधे उचका दिए। "नाम नहीं बताया, बस कह रहा है कि बहुत जरूरी बात करनी है।"
आदित्य ने सिर हिलाया। "ठीक है, भेजो उसे अंदर।"
कुछ ही सेकंड में, एक लंबा-चौड़ा आदमी अंदर आया। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने बिना कोई औपचारिकता के सीधा कहा—"डॉक्टर आदित्य, भावेश से दूर रहो।"
आदित्य ने अपनी कुर्सी पीछे खिसकाई और सीधा उस आदमी की आँखों में देखा। "तुम कौन हो? और ये चेतावनी देने वाले होते कौन हो?"
आदमी हल्का मुस्कराया। "मेरा नाम तुम्हें जानने की जरूरत नहीं। पर अगर तुमने ज्यादा दिमाग लगाया, तो अंजाम ठीक नहीं होगा।"
शक और साजिश
आदित्य को इस आदमी पर गहरा शक हुआ। उसने सीधा सवाल किया—"क्या तुम वही हो, जिसने भावेश को पाँच साल पहले मेरे खिलाफ भड़काया था?"
आदमी की मुस्कान गायब हो गई। "तुम जितना सोच रहे हो, मामला उससे कहीं बड़ा है, डॉक्टर साहब। अपने काम पर ध्यान दो और दूसरों की जिंदगी में दखल देना बंद करो।"
इसके साथ ही वो आदमी तेजी से बाहर निकल गया, लेकिन उसने आदित्य के मन में और भी ज्यादा सवाल छोड़ दिए।
भावेश की सच्चाई क्या है?
अब आदित्य के लिए ये मामला और भी गंभीर हो चुका था। उसने बिना वक्त गंवाए भावेश के वार्ड में जाने का फैसला किया।
भावेश अभी भी बिस्तर पर था, लेकिन उसकी हालत पहले से बेहतर लग रही थी। उसने आदित्य को देखते ही हल्की मुस्कान दी।
"आ गए मेरे पुराने दोस्त!"
आदित्य ने बिना कोई भूमिका के सीधा सवाल किया—"ये सब क्या चल रहा है, भावेश? अभी-अभी एक आदमी आया था, जो मुझे तुझसे दूर रहने की धमकी देकर गया है। क्या तुम बता सकते हो कि ये सब क्या हो रहा है?"
भावेश की मुस्कान गायब हो गई। उसने गहरी सांस ली और कहा—"मैं जानता था कि ऐसा कुछ होगा। आदित्य, तुम्हें वो बात बताने का वक्त आ गया है, जिसे मैंने पाँच सालों तक छुपाया।"
आदित्य ने अपनी मुट्ठियाँ भींच लीं। "साफ-साफ बोलो, भावेश!"
भावेश ने धीमी आवाज में कहा—"मैंने तुम्हें धोखा नहीं दिया था, आदित्य... मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया था। और जिसने मुझे मजबूर किया, वही अब मुझे खत्म करना चाहता है!"
क्या आदित्य इस साजिश से बाहर निकल पाएगा?
भावेश के इस खुलासे के बाद आदित्य को समझ नहीं आ रहा था कि वो किस पर भरोसा करे। क्या वाकई भावेश निर्दोष था? या फिर ये सब बस एक नया खेल था?
लेकिन एक बात तय थी—अब ये मामला सिर्फ दोस्ती और दुश्मनी का नहीं रहा। ये एक साजिश थी, जो आदित्य को भी अपनी चपेट में लेने वाली थी।
(जारी रहेगा...)