Radhey - 13 in Hindi Love Stories by Soni shakya books and stories PDF | राधे ..... प्रेम की अंगुठी दास्तां - 13

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राधे ..... प्रेम की अंगुठी दास्तां - 13

23 साल बाद..

आज अपने ही शहर में फिर एक बार दोनों का सामना हो गया।

देखते ही देव बोला ..कैसी हो राधे ?

बहुत खुश हूं..बदले हुए सुर में बोली राधा ।

ये तो बहुत अच्छी बात है सरल स्वभाव में बोला  देव ।

और तुम ?

तुमसे तो पूछने की जरूरत ही नहीं तुम तो खुश होगे ही ,

सब कुछ तुम्हारी मर्जी से जो हुआ है।

राधा ने एक सांस में प्रश्न भी कर लिया और उत्तर भी खुद ही दे दिया। 

देव  मुस्कुराते हुए कहता है -मै भी अच्छा हुं।

और... तुम्हारा परिवार !!

हां वो सब भी ठीक है।

तुम्हारा बेटा..

राधा  को बीच में ही टोकते हुए बोला देव--सारी बातें यही रास्ते मे ही करोगी  क्या राधे ।

तो ..तुमने क्या महल बना रखा है मेरे लिए  ?

मुझसे बात करने के लिए तुम्हें क्या ,अब महल की जरूरत है राधे !

वैसे तुम बिल्कुल भी नहीं बदली राधे ।

बदलना मेरी फितरत नहीं ।

चलो कहीं बैठकर बात करते हैं राधे ।

नहीं मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है ,मुझे जाना है।

ठीक है जावो तुम,

पहले भी... इसी तरह छोड़ कर चली गई थी ना ।

एक क्षण में ही राधा का पूरा अतीत उसकी आंखों के सामने था।

गुस्से में जलने लगी राधा ।

बरसों से अंदर दबी चिंगारी आग बनकर  उभर आई।

मैं  .. मैं छोड़ कर गई थी तुम्हें !!!!

देव ने पहली बार राधा को इतने गुस्से में देखा , फिर बोला --

और नहीं तो क्या .!!

मैं छोड़ कर गया था ??

ये अच्छा है , उल्टा चोर कोतवाल को डांटे !!

एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी ,सारी तुम्हारी गलती थी जिसकी सजा में आज तक भुगत रही हूं।

अच्छा मैंने क्या ग़लत किया राधे ?

फिर तो रहने ही दो , जब तुम्हें लगता ही नहीं कि तुमने कुछ ग़लत किया है तो... कुछ भी कहने का क्या फ़ायदा।

हटो मुझे जाना है।

नहीं ..अब तो तुम्हें बताना ही होगा कि मैंने क्या गलत किया है, यू अधूरी बात छोड़कर तुम नहीं जा सकती राधे ।

पर मुझे अब तुमसे कोई बात करनी ही नहीं है  ।

ठीक है राधे तुम जाओ, पर मैं कल तुम्हारा यही  सामने वाले गार्डन में इंतजार करूंगा।

मैं नहीं आऊंगी देव !!

मैं फिर भी तुम्हारा करूंगा राधे !

 मैंने कहा ना --मैं नहीं आऊंगी  ।

मैं फिर भी 4 बजे से तुम्हारा इंतजार करूंगा ।

राधा और देव दोनों की सारी रात करवट बदलने में बीत गई 

दूसरे दिन...

देव गार्डन में बड़ी बेसब्री से राधा का इंतजार कर रहा था। थोड़ी देर में राधा भी आ गई।

मुझे विश्वास था राधे कि.. तुम जरूर आओगी। 

हां  ,,मैं तुम्हारे जैसी  नहीं हू देव , इंतजार की पीड़ा मुझसे बेहतर कौन समझ सकता है ।

इतनी उदास क्यों हो राधे  !

उदासी तुम्हारे चेहरे पर अच्छी नहीं लगती ।

तुम्हारा दिया हुआ तोहफा है देव..

और अब यही मेरे जीवन की सच्चाई है।

ऐसा मत कहो राधे तुम खुश नहीं रहोगी तो ,मैं कैसे खुश रहुगां 

ओह ! ..रियली देव ??

जो तुम हो नहीं वह बनने की कोशिश मत करो।

देव ,आज मैं जो कुछ भी बन गयी हुं उसकी वजह भी तुम ही हो।


...राधे यु इल्ज़ाम मत लगाओ मुझ पर

तो क्या करूं  ??

अपने आप को दोषी कहुं ।

नहीं राधे मैंने कब कहा कि ‌अपने आप को दोषी कहो ।

मैं ही दोषी हुं तुम्हारी इस पीड़ा का पर,, यकीन मानो राधे 

उस वक्त मै कुछ समझ ही नहीं पाया सब कुछ इतनी जल्दी में हो गया कि ... मैं कुछ समझ पाता इससे पहले तुम चली गई

मुझे छोड़ कर और मेरी दुनिया में रह गया सिर्फ अंधेरा ।

तुम तो वही थी राधा और मैं भी पर शायद ..वक्त हमारा नहीं था ।

मुझे कुछ नहीं सुनना है देव.. मैं जा रही हुं।

नहीं राधे.. तड़प कर बोला देव 

कुछ समय तो रूको जाने कितनी बातें करनी हैं तुमसे, जाने कितनी बतानी है, और जाने कितनी पुछनी है।

पर मुझे.. ना कुछ पूछना है ना कुछ बताना है।

अब भी नाराज़ हो राधे।

नहीं ,भला मैं तुमसे क्यों नाराज़ होऊंगी ।

क्या रिश्ता है मेरा तुमसे, जो मैं नाराज़ रहुं।

क्या सच में कोई रिश्ता नहीं है राधे हमारा ?

नहीं है..

तो फिर क्यों चली आई मेरे कहने पर ।

राधा का चेहरा गुस्से में था पर आंखें.. प्रेमाश्रु मैं सराबोर थी।

मैंने सब कुछ खत्म कर दिया है देव अपने .. दिल से

अच्छा लेकिन.. जो खत्म हो जाए उसके तो होने पर भी संदेह होगा राधे कि.. वो था भी की नहीं और...

"प्रेम ना तो शुरू होता है और ना ही कभी खत्म होता हैं यह तो अनंत ,अविनाशी है जो हमेशा से ही हमारे भीतर विद्यमान रहता है "

राधा के चेहर पर थोड़ा गुस्सा था थोड़ी उदासी और आखों में प्रेमाश्रु 

अब मान भी जाओ राधे.. कितनी उम्र बीत गई तुम्हें मनाते मनाते और एक तुम हो अपनी ही बात पर अड़ी रहती हो ।

यूं तुम्हें रोते हुए नहीं देख सकता मैं।

अब तो राधा अपने आप को रोक न सकी और रो पड़ी फफककर और फिर बोली --मैंने कहा है तुम्हें मनाने को 

देव की आंखें भी नम हो गई पर उसने तुरंत ही अपने आप को संभाला और फिर राधा को चुप कराने लगा ।

राधा की बातों से देव के दिल को  बहुत सुकून मिल रहा था उसका विश्वास और भी पक्का हो गया कि राधा आज भी उसे उतना ही प्यार करती है जितना बरसों पहले किया करती थी ‌

कुछ समय बाद राधा भी चुप हो गई और फिर बोली _यह क्या कर दिया देव तुमने और क्यों किया??

एक ऐसा जीवन जीने पर मजबूर किया है देव तुमने जहां सब कुछ होकर भी कुछ नहीं है।

जिंदगी तो है पर.. जीने की कोई वजह नहीं है।

ऐसा कैसे कह सकती हो राधे तुम, प्रेम है ना और..

प्रेम ही तो जीवन का आधार होता है प्रेम से बढ़कर तो कुछ नहीं होता राधे।

और जब तक हमारे दिलों मे प्रेम है तो किसी और वजह की जरूरत‌ ही नहीं।

कहने में सब अच्छा लगता है देव,पर रियलिटी में बहुत दुखदाई है।

दो हिस्सों में बट गई हु मैं, तन कहीं है और मन कहीं

और ना मैं जी पा रही हुं ना मर पा‌ रही हुं।

ऐसा क्यों सोचती हो राधे ? प्रेम को तन की जरूरत नहीं होती वो भगवान का‌ दिया हुआ अनमोल तोहफा है जो हमारे मन में हमारी आत्मा में वास करता है।

जैसे तुम रहती हो मेरे मन में मेरी आत्मा में ।

रहने दो देव ,तुम्हारी ये बातें..

क्यों राधे,, तुम्हें यकीन नहीं से मुझपर या मेरी बातों पर।

राधा ने कोई जवाब नहीं दिया तो...

देव बोला-- अब मैं हनुमानजी तो नहीं हु ना  कि तुम्हें सिना चीर कर दिखा सकु बताऊ तुम्हें कि कितना प्यार करता हूं तुमसे ..!!

सच राधे... मैं बहुत प्यार करता हूं तुमसे ,

कल भी करता था और ताउम्र करूंगा ।

फिर क्यों देव.... कुछ नहीं कहा तुमने उस वक्त , क्यों जाने दिया मुझे,क्यों रोक नहीं लिया ।

यकीन मानो राधे,,, उस वक्त मुझे कुछ भी समझ नहीं आया लेकिन तुम्हारे जाते ही मुझे समझ आ गया कि तुम्हारे बिना मेरा जीवन अधूरा है मैंने बहुत कोशिश की अपने आपको संभालने ने की पर मुझसे ना हो सका तो मैंने शहर छोड़ दिया फिर कुछ समय बाद मम्मी-पापा ने एक अच्छी सी लड़की देखकर मेरी भी शादी करवा दी ..

और तुम ,,सब कुछ भूल कर खुशी- खुशी जीवन जीने लगे बीच में ही बोल पड़ी राधा  ।

नहीं राधे ऐसा नहीं है.. मैं कुछ भी नहीं भुला पर जीवन तो जीना ही था तो अपने गमों को मुस्कुराहट के पीछे छुपा लिया।

अच्छा  !! ‌संदेह भारी आवाज में बोली राधा 

तुम्हें मेरी बातों पर यकीन क्यों नहीं है राधे ..मैं तो तुम्हारी कोई भी बात पर संदेह नहीं करता ‌। अब तुमही बताओं कैसे समझाऊं तुम्हें  ?

तुम इतने भोले भी नहीं थे देव जो तुम्हारी समझ में ना आ पया।

सही कहा तुमने पर.. तुम भी तो कह सकती थी ना राधे तुमने क्यों कुछ नहीं कहा कुछ ??

लड़कियां कब कहती है देव अपने मुंह से पहले रह कर और फिर उस वक्त तो जमाना भी ऐसा नहीं था जहां लड़किया पहले अपने प्यार का इजहार करती।

सही बात है राधे पर ..जब बात अपने जीवन की हो तो बोलना पड़ता है। मैं समझ नहीं पाया था लेकिन..अगर तुम कह देती तो मैं समझ लेता और आज हम इस मोड़ पर नहीं होते राधे..

देव...ये यादें कभी-कभी जीना दुभर कर देती है तड़प कर रह जाता है दिल पर.. कुछ कर नहीं पाती बहुत बेबस हो जाती हुं जी चाहता है सब कुछ छोड़कर कहीं दूर चली जाऊं या सीधे ऊपर भगवान के पास।

इतनी निराशा क्यों राधे  ??

क्या अपने प्यार पर यकीन नहीं है तुम्हें ?

अपने दिल पर हाथ रख कर पूछो उससे क्या मैं नहीं रहता तुम्हारे दिल में जैसे तुम रहती हो मेरे दिल में ।

तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता राधे।

पर हां कुछ जिम्मेदारियां बढ़ गई है इसलिए प्राथमिकताएं भी बदल गई है। 

पर देव... मुझसे यह सब सहन नहीं होता तुमसे दूर रहकर जीवन ,जीवन नहीं लगता ।

राधे... मैं तुमसे दूर कहां हूं ?,जब भी तुम आंखें बंद कर के मेरी याद करती हो तो क्या मेरा अक्स तुम्हें दिखाई नहीं देता ।

देता है..!!

क्या तुम पुरानी बातें याद कर के मुस्कुराती हो तो मैं तुम्हारे ख्यालों मे आकर नहीं मुस्कुराता मै ??

जब तुम रोती हो तो मैं तुम्हारे आंसुओं में नहीं रहता ।

रहते हो देव .. तुम तो हमेशा ही मेरे साथ रहते हो।

फिर क्यों इतनी उदास हो राधे क्या हुआ अगर हम तन से एक साथ नहीं है 

हमारा मन हमारी आत्मा तो एक दूसरे से जुड़े हैं।

कुछ प्रेम नहीं होते राधे एक साथ रहने के लिए।

वह बस यूं ही यादों में ,मन मे, आत्मा में रचे बसे  होते हैं।वो बस दुर से ही तड़पने के लिए होते हैं।

और क्या होता राधे,, अगर हमारी शादी होती तो.. तुम मेरे सामने रहती मेरे पास रहती बस इतना ही ना,

पर अभी.... दूर रहकर तो  तुम मेरे रोम -रोम में हो,

मेरे मन में हो ,

मेरी सांसों में हो,

मेरी आत्मा में हो,

मैं जब चाहूं तुम्हें देख सकता हु, तुमसे बातें कर सकता हूं ,तुम्हारे साथ मुस्कुराता हूं तुम्हारे साथ उदास भी हो जाता हूं

और क्या चाहिए राधे हमें

क्या जीने के लिए इतना साथ काफी नहीं है ??

राधा बस चुपचाप निहारती रही देव को ।

क्या हुआ राधे??

क्या अब भी संदेह है तुम्हें अपने प्यार पर ... प्यार पर संदेह करना मतलब अपने आप पर संदेह करना होता है राधे।

राधे... जहां संदेह होता है वहां प्यार नहीं होता और जहां प्यार होता है वहां संदेह की कोई जगह नहीं होती।

देव की बातें सुनकर और अपने मन का गुबार निकालने के बाद राधा शीतल हो गई थी।

पिछले 23 सालों से राधा जिस  गलतफहमी की आग में जल रही थी आज... देव की बातों ने उसकी ज्वाला को शांत कर दिया था और जब मन शांत हो गया तो,

राधा को भी एहसास हुआ कि गलती तो उसकी भी थी वह भी तो कह सकती थी देव को अकेला देव ही तो इसके लिए जिम्मेदार नहीं है,

मैं भी उसके लिए बराबरी से जिम्मेदार हूं 

"अब कोई मलाल नहीं था राधा के दिल में देव के प्रति"

आज वह अपने आप को बिल्कुल हल्का महसूस कर रही थी मानो उसके दिल से कोई पत्थर सा बोझ हट गया हो।

क्या हुआ राधे.. अब क्या सोचने लगी।

क्या अब भी..

नहीं देव ..

बीच में ही बोल पड़ी राधा 

देव राधा के करीब आकर उसका माथा चूमते हुए बोला__

 I LOVE YOU ....

मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं राधे...

राधा चुपचाप खड़ी थी।

देव बोला- क्या अब भी चुप रहोगी राधे ??

राधा का चेहरा गुलाब सा खिल गया था  उसके होठों पर बहुत गहरी मुस्कान थी पर.. शब्द नहीं थे।

देव बोला कोई बात नहीं राधे --मुझे शब्दों की जरूरत नहीं। तुम्हारा जवाब तुम्हारी आंखों में दिखता है।

चलो अब चलते हैं राधे फिर मिलेंगे ...

नहीं देव अब हम नहीं मिलेंगे ।

क्यों राधे ऐसा क्यों बोल रही हो उम्र के इस पड़ाव पर, अब तो किसी को कोई परेशानी ना होगी हमारे बात करने से ।

ऐसा नहीं है देव समय कितना भी बीत जाए पर यह दुनिया और उसके लोग वही रहेंगे, उन्हें आज भी आपत्ति होगी बस... कुछ रिश्ते और चेहरे बदल गए हैं।

सही कहती हो राधे... पर हम फिर भी मिलेंगे!!

कभी यादों में...

कभी ख्वाबों में....

कभी ख्यालों में ....

कभी आंसुओं में....

कभी मुस्कुराहट में ....

बस... मिलते रहेंगे...

चेहरे पर मुस्कान लिए हुए दोनों प्यार के इस खूबसूरत मोड़ से अपनी-अपनी राह चल देते हैं, दुबारा मिलने के लिए।

राधा की मुस्कुराहट और भी गहरी हो गई जब जाते -जाते उसके कानों मे देव के गुन-गुनाने की आवाज़ सुनाई दी--

तुम्हें प्यार करते हैं, करते रहेंगे ---

के दिल❤️ बनके दिल,❤️ में धड़कते रहेंगे..

BECAUSE....🍁🍁

 LOVE NEVER KILLS ..❤️❤️

       TRUE LOVE NEVER DESTROY ..❣️❣️

            IT ONLY BLOSSOM WHITHIN SOUL..💞💞

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