...तो क्या करती ?
तुम नहीं आए तो मुझे आना पड़ा।
तुम अकेली आई हो इतनी धूप में वो भी पैदल। ?
तो किसके साथ आती ?
और सूरज में इतना तेज नहीं है देव ,जो मेरे जुनून को रोक सके ।
क्या तुम आंटी को बता कर आई हो ?
नहीं देव ,मै बस यु ही चली आई।
अगर आंटी को पता चला या घर में किसी और को तो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा ..राधे
तुम्हें सबकी बड़ी चिंता है ना देव सिर्फ मेरे अलावा।
ऐसा नहीं है राधे , मुझे सबसे ज्यादा तुम्हारी चिंता है। मेरी वजह से तुम्हें कोई कुछ कहे यह मैं सहन नहीं कर पाऊंगा।
अच्छा..!
अगर इतनी ही फिक्र थी तो फिर आये क्यों नहीं इतने दिनों से .!
मैं आना चाहता था राधे पर..
पर क्या ?कॉलेज की किसी हसीना ने रोक लिया था क्या ?,व्यंग किया राधा ने।
मेरी जिंदगी में तुमसे पहले भी कोई नहीं था और शायद.. तुम्हारे बाद भी कोई नहीं होगा मेरे लिए तो तुम ही बहुत हो राधे,
बातें बनाना तो कोई तुमसे सीखें ।
छोड़ो सब यह बताओ घर क्यों नहीं आए इतने दिनों से।
तुमने देखा ना राधे उस दिन आंटी जी का व्यवहार कैसे बदल गया था शायद उन्हें अच्छा नहीं लगा था अपन को साथ देखकर।
तो इसमें मेरा क्या कसूर है देव किसी और की सजा मुझे क्यों देते हो।
तुम समझती क्यों नहीं राधे...
तुम क्यों नहीं समझते देव.. राधा की आंखों में नमी और स्वर रूआसा था।
राधा की आंखों की नमी ने देव को झकझोर दिया था ,वह सब कुछ सह सकता था पर -राधा की आंखों में आंसु उसे मंजुर नही थे।
अरे राधा तुम कब आई ? वर्षा की आवाज से राधा ने अपनी आंखों की नमी को अंदर ही पी लिया।
वर्षा (देव की भाभी) बस अभी आई हु भाभी।
अच्छा..! चलो राधा खाना खा लो मैंने आज बैगन का भरता और ज्वार की रोटी बनाई है तुम्हें बहुत पसंद है ना ,मैं देव को खाना खाने बुलाने ही आई थी ।
जी भाभी कहते हुए राधा भाभी के साथ चल पड़ी जाते हुए उसने मुड़कर देखा ।
देव राधा की आंखों को पढ़ने की कोशिश करने लगा पर, राधा ने पलकें झुका ली और भाभी के साथ चली गई।
देव को महसूस हुआ कि राधा कुछ कहना चाहती थी पर कह ना सकी ।
देव के घर के लोग राधा से मिलकर बहुत खुश थे। राधा थी ही मिलनसार लड़की ,उसे सब लोग बहुत पसंद करते थे ।
थोड़ी देर में देव भी आ गया । राधा ने अपना खाना खत्म किया और घर के लिए निकल पड़ी।
देव ने कहा _मैं भी चलता हूं तुम्हारे साथ राधा पर,, राधा ने मना कर दिया बस इतना कहा कि तुम कल घर आ जाना।
देव ने सहमती मे सर हिला दिया।
माया दरवाजे पर ही राधा का इंतजार कर रही थी आते ही बोली _ले आई बुक ,कैसी है अब दिया की मम्मी की तबीयत ।
कुछ पल के लिए राधा मौन हो गई क्योंकि उसे समझ ही नहीं आया कि क्या कहना है क्योंकि वह तो दिया के घर गई ही नहीं थी।
फिर संभल कर बोली ठीक है अब, और घर के अंदर चली गई ।
माया को समझने में देर न लगी कि राधा झूठ बोल रही है ।
दूसरे दिन जब देव घर आया तो उसने देखा कि_माया और सविता के रवैए कुछ और बदल गये है। पर वह क्या करता बेबस था राधा को उदास नहीं कर सकता था ,राधा के कारण उसे आना ही पड़ता था । राधा के लिए वो अपना तिरस्कार भी सहने को तैयार था।
..अब तो यह सिलसिला चल पड़ा था अगर देव नहीं आता तो राधा उसके घर चली जाती थी कभी देव राधा के घर आ जाता। दोनों घंटो बातें किया करते थे ।उन दोनों को बात करने में इतना सुकुन मिलता था कि उसके आगे उन्होंने कुछ सोचा ही नहीं बस अपनी ही दुनिया मे खो जाते थे पर....
उन्होंने एक-दूसरे से कभी नहीं कहा कि मुझे प्यार है.... "तुमसे''
(शायद ये उन दोनों की सबसे बड़ी ग़लती थी)
पर कभी जरूरत ही महसूस नहीं हुई उन्हें।
शायद....आत्मीय प्यार ऐसे ही होते हैं।
राधा तो कहना चहती थी पर.. देव ने नहीं कहा तो उसने भी जरूरी नहीं समझा क्योंकि उसे भी बस देव का साथ चाहिए था ताकि ढेर सारी बातें कर सके ।
लेकिन वो कहते हैं न कि फूल की खुशबू और प्यार की महक छुपाए नहीं छुपती।
फिर सविता कहां चुप रहने वाली थी बता दिया सब ऋषि (राधा का भाई )को ।
ऋषि ने राधा को बहुत डांटा ,पर राधा चुप रही क्योंकि अब तो उसे आदत हो गई थी रोज उसे किसी न किसी बात पर डाटा जाता था।
अब बात घर से थोड़ी बहार निकाल चुकी थी।
वो कहते है ना की दीवारों के भी कान होते हैं तो बस.. पड़ोस की दीवार के कानों ने भी राधा के घर की बात सुन ली।
अब ,जब भी देव राधा के घर आता तो पड़ोसीओ के कान, आंख सब खुल जाते थे।
एक दिन पड़ोसन ने माया से कह ही दिया कि _देव आजकल ज्यादा ही आने लगा है ।
माया बोली _हा बच्चे एक साथ पढ़ते हैं तो आ जाते हैं ।एक दूसरे की मदद हो जाती है पढ़ाई में
पड़ोसन बोली देखना माया पढ़ते -पढ़ते बच्चे कुछ और ना पढ़ने लग जाए।
उसका व्यंग माया को चुभ गया।
माया बोली _कैसी बातें करती हो बहनजी क्या राधा आपकी बेटी नहीं है।
बेटी मानती हूं इसलिए तो कह रही हूं । जमाना बहुत खराब हो गया है माया , और अपनी राधा हैं भी थोड़ी चंचल और भावुक किसी को भी अपना समझ लेती है ख्याल रखो तुम कहीं ऐसा ना हो कि बाद में पछताना पड़े , देव का क्या है वो तो लड़का है बदनामी तो सिर्फ लड़की की होती है,पडोसन बोली।
माया बिना कुछ कहे हां मैं सर हिला कर अंदर चली आई।
आते ही राधा पर बरस पड़ी बस..! अब यही सुनना बाकी रह गया था। अब पड़ोसी भी हमें नसीहत देने लगे । और एक पिता है जिन्हें कुछ भी समझा दो उन्हें समझता ही नहीं , उनकी नजरों में तो उनकी बेटी अभी बच्ची ही है।
राधा चुपचाप सुनती रही,देव के लिए उसे सब कुछ मंजूर था ।
और देव... जब भी राधा से मिलने आता तो अपमानित होता था पर राधा की खातिर उसे भी सब मंजूर था।
कल लाली की बिदागी थी राधा उससे मिलने जाती है।
तुम चली जाओगी लाली तो मैं अकेली पड़ जाऊगी किससे कहूंगी फिर अपने मन की बात ।
तुम देव को सब कुछ क्यों नहीं बता देती राधा
जब देव से मिलती हूं तो सब भूल जाती हूं लाली कभी कुछ कहने की जरूरत ही नहीं पड़ी । पर अब जरूर कहूंगी।
पता है लाली प्रेम अंगूठी की तरह है एक बार पहन लिया तो बस- पहन लिया अब ,जब तक निकलोगे नहीं ,,नहीं निकलेगी।
प्रेम भी ऐसा ही है एक बार मन मे समा गया तो बस.. समा गया अब इस देह के साथ ही खत्म होगा।
राधा जब इतना असीम प्रेम है तो ये बेबसी क्यों?
बता दो देव को सब।
हां लाली तुम ठीक कहती हो मैं कल ही देव को सब बता दूंगी।
दूसरे दिन राधा देव से मिलने उसके घर जाती हैं पर देव नहीं मिलता वह दूसरे शहर गया हुआ होता है । उदास राधा अपने घर लौट आती है आज उसे अपनी किस्मत पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
तभी माया की आवाज आती है राधा ओ राधा पानी ले आओ राज आया है।
राज:__ऋषि काअच्छा दोस्त था। वह भी अक्सर घर आया जाया करता था उसका भी घरेलू और पारिवारिक सम्बन्ध था।
देव ,राधा और राज एक ही क्लास में पढ़ते थे इसलिए कभी -कभी एक साथ पढ़ाई भी करने भी बैठ जाते थे ।
राधा राज से भी खुलकर बातचीत किया करती थी क्योंकि वह अजनबी नहीं था। एक तो साथ पढ़ता था। और भाई का दोस्त भी था और उनसे पारिवारिक संबंध भी अच्छे थे। राधा हमेशा राज को बड़े भाई की जगह रखती थी।
पर.... राज के मन में कुछ और ही था। वह भी राधा को पसंद करता था।
और मेरे प्रिय पाठकों ऐसा कहां होता है कि एक लव स्टोरी हो और उसमें किसी तीसरे का आगमन ना हो यह तो संभव ही नहीं है।
देखते हैं आगे कहानी क्या मोड़ लेती है दिल थाम कर इंतजार कीजिएगा......!!
((... वैसे आपको क्या लगता है __राधा और देव को बता देना चाहिए था,एक दूसरे को अपने... मन की बात , कमेन्टस करके बताइएगा जरूर .. ))