hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • खजाने की तलाश

    गुमशुदा खजाने की तलाशयह कहानी है अजय और विजय की, जो बचपन के दोस्त थे। दोनों एक छ...

  • समय का बदलाव

    जिन्दगी समय के साथ नए मोड़ लेती ही रहती है। कब कहा लाकर खड़ा कर दे ,कोई नही जानत...

  • ट्यूशन

    मेरे पिता जी का ट्रांसफर जलालाबाद (थानाभवन) से बदायूं हो गया,बदायूं के पास एक छो...

किसी और के पास रहेंगे By HASSUBHAI

गाँव के किनारे एक छोटा सा घर था, जहाँ आर्यन और रिया रहते थे। दोनों बचपन से ही अच्छे दोस्त थे, साथ खेलते, पढ़ते, और एक-दूसरे की मदद करते थे। उनके बीच एक अनजाना सा रिश्ता था, जिसे वे...

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एक सफल युवा नेता की कहानी By Md Sakib Raza

Md Sakib Raza का जीवन एक प्रेरणा की कहानी है। उनका जन्म 11 नवंबर 2004 को पूर्णिया, बिहार के मिलकी नेकावत टोला में हुआ था। बचपन में ही उन्होंने अपने पिता गुलाम सरवर को खो दिया, जिनक...

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खजाने की तलाश By Deepa shimpi

गुमशुदा खजाने की तलाशयह कहानी है अजय और विजय की, जो बचपन के दोस्त थे। दोनों एक छोटे से गाँव में रहते थे, जहाँ हर पहाड़ी, हर जंगल, और हर नदी उनकी खेल की जगह हुआ करती थी। लेकिन इस बा...

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समय का बदलाव By Prachi Tyagi

जिन्दगी समय के साथ नए मोड़ लेती ही रहती है। कब कहा लाकर खड़ा कर दे ,कोई नही जानता। या यूं  कहे कि संघर्ष और समझौते का दूसरा नाम जीवन है। ऐसे ही अनगिनत किस्से अपने दामन मे लपेटकर जि...

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लल्लन जी की अद्भुत नौकरी By ronee

गाँव के एक छोटे से कस्बे में रहते थे लल्लन जी। उनका नाम ही उनकी कहानी बयान करता था - "लल्लन", यानी जो कुछ भी नया, अलग, और अजीब करना हो, वो वही करते थे। गाँव में सब उन्हें "मिस्त्री...

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ट्यूशन By Piyush Goel

मेरे पिता जी का ट्रांसफर जलालाबाद (थानाभवन) से बदायूं हो गया,बदायूं के पास एक छोटा सा गाँव था तातागंज,वहाँ मैं कुछ दिन ही रहा,मेरे पापा डॉक्टर थे,नीचे अस्पताल था ऊपर मकान जिसमें हम...

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हैवनली हेल By Neelam Kulshreshtha

स्वर्ग नर्क के बीच चुनौती देती व जीतती स्त्री स्वर्गीय चंद्रमौलेश्वर प्रसाद, हैदराबाद स्त्री विमर्श पर आजकल कई लेखिकाएं कलम चला रही हैं जिनमें नीलम कुलश्रेष्ठ का नाम अग्रणी रचनाकार...

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You Are My Choice - 44 By Butterfly

आकाश तकरीबन दस बजे घर में आया। तब तक सब डिनर कर चुके थे। आकाश ने सबसे अपनी मां के रूम में देखा तो वह भी सो चुकी थी। कुछ दिनों से वह बहुत व्यस्त था अपने काम में, जिस वजह से उनसे ठीक...

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दरियादिली By Deepak sharma

“चार नंबर की यह पेशंट आज आई?” नाइट ड्यूटी का चार्ज अपने सहयोगी डाक्टर से लेते समय मैं ने पूछा ।  “हां,इसके स्पाइनल टैप ने बताया,यह बैक्टीरियल मैनिनजाइटस का क...

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विचित्र संख्या By उषा जरवाल

    भारत विश्वगुरु कहलाता था | आध्यात्म, शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान कोई भी क्षेत्र हो भारत हर क्षेत्र में अग्रणी ही था | जिन चीजों का आविष्कार आज के वैज्ञानिक कर रहे हैं वो भारत के...

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वह बुद्धू लड़का By S Sinha

                                                             वह बुद्धू लड़का      हीरापुर  गाँव में ज्यादातर गरीब किसान रहते थे  .  गाँव न  ज्यादा छोटा न ज्यादा बड़ा था  . करीब 800 ल...

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दोस्तों, मदद मीठी होती हैं. By Piyush Goel

मेरे एक मित्र हैं जिनका नाम पीयूष गोयल हैं जो करीब ५७ साल के हैं,मेरी उम्र करीब ३५ साल की हैं, मैं अक्सर पीयूष जी के पास १-२ घंटे जरूर बैठता हूँ,मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता ह...

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मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 17 By राज कुमार कांदु

  लघुकथा क्रमांक : 45  चिर युवा - गाँधी राष्ट्रपिता की प्रतिमा के समक्ष कुछ झुकते हुए वह स्वयंघोषित महामानव बुदबुदाया, "खुद पर और ना इतराना ! झुका तो मैं अपने गुरु के पाँ...

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स्वप्न बसेरा ... हुआ मेरा By उषा जरवाल

दो साल पहले की बात है, जब  हमने गुरुग्राम में अपना नया घर लिया था | हमारा बजट अधिकतम 80 – 90 लाख का ही था लेकिन जब घर खरीदने निकले तो गुरुग्राम जैसी जगह पर इतने बजट में घर तो खूब म...

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बृजलाल की ज़िद By Deepak sharma

छूत के डर से घर वालों ने मां को छत वाला कमरा दे रखा था । हम नीचे वालों को इस कड़े आदेश के साथ,ऊपर अब कोई नहीं जाएगा । मां के पास केवल बहन बनी रहती थीॅ । वह हम पांचों भाइयों से बड़ी...

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आदत By Aditya Kori

हम सभी को कभी न कभी किसी न किसी की आदत जरूर लगी होगी फिर वो चाहे आदत चीजों की हो या फिर इंसानों की पर हम ये भूल जाते है कि ये आदतें अंत में हमारे ही दुख का कारण बन जाती है तो ऐसी ह...

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रक्षण By Deepak sharma

मेरी नींद नए आए यात्रियों ने तोड़ी।  “देखो तो यह सवारी कैसे मुंह ढांप कर सो रही है।” “जब कि अभी शाम के आठ ही तो बजे हैं।” दोनों पुरुष स्वर थे। निष्ठुर...

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True Love By Misha Nayra

Hello everyone this is a short story so, please give me ratings about this because I am not good in writing short stories. A girl name Ashika and Aman is in relationship but Ashika...

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भूखे मरने की नौबत By LOTUS

पूरे देश योजना प्राणी संगतों ने बांग्लादेश में धार्मिकथाको करने, प्रति करने, हिंदू बहू-बेटियों की संपतीतों पर कल्यण करने मंदिरों की करके पैरों से कुचलने जैसी बढ़ती वारदातों से आज ल...

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जंगल, पेड़ और बाज By DINESH KUMAR KEER

  मृत्यु से बड़ा भयजंगल में एक पेड़ पर दो बाज प्रेमपूर्वक रहते थे। दोनों शिकार की तलाश में निकलते और जो भी हाथ लगता शाम को उसे मिल बांटकर खाते। लंबे काल-खंड से यही क्रम चल रहा था। ए...

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बांग्लादेश के खिलाफ गुस्सा By LOTUS

बा वर्ष में भारी नाराजगी देखी जा रही है। भारत का हर राष्ट्रभक्तमें इस हो निव को इदुर सोम पर टक ही चार नक र नाएस्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ पूरे भारत खफा है। लगभग...

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डाकखाने में By Deepak sharma

 उन्नीस सौ बानवे के जिन दिनों कस्बापुर के एक पुराने डाकखाने में जब मैं सब पोस्ट मास्टर के पद पर नियुक्त हुआ था,तो मैं नहीं जानता था अस्सी वर्षीय मणिराम मेेरे डाकखाने पर रोज़ क...

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उसकी यादों की तस्वीर By R B Chavda

सर्द सुबह का मौसम था। कमरे में हल्की सी ठंडक थी, लेकिन दिल में एक गर्मी थी, जो उसे याद करने से पैदा हो रही थी। सूरज की हल्की किरणें खिड़की से छनकर कमरे में आ रही थीं, पर मेरे दिल क...

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उत्तराधिकारी By DINESH KUMAR KEER

 राजा का उत्तराधिकारी एक बार की बात है। एक राज्य में नंदाराम नाम का एक राजा हुआ करता था। वह बहुत ईमानदार और साहसी था। उसे अपनी प्रजा से बहुत प्यार था। उसके राज्य में सभी लोग उससे ख...

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मज़बूत बनकर लौटा समन्दर By LOTUS

भा आह के मुख्यमंत्री के रूप में तीसरी बार शपथ लेकरसतीष करता पार्टी के कुशल रणनीतिकार देवेंद्र फडणवीस ने यह प्रमाणित कर दिया कि महाराष्ट्र के असली चाणक्य यही हैं। बाकी भी अपने को चा...

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सार्वजनिक शौचालय By LOTUS

नमस्कार ! मैं एक टॉयलेट बोल रहा हूँ। जी हाँ, वही टॉयलेट जिसे संडास, पाखाना और शिष्ट भाषा में शौचालय के नाम से जाना जाता है, मैं वही चार दीवारों वाला शौचालय बोल रहा हूँ। वैसे मेरी ज...

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प्रबोध By Deepak sharma

  सन उन्नीस सौ पचास का वह दशक साल दर साल नया पन लाता रहा था। हमारी कस्बापुर रोड पर यदि किसी साल बर्फ़ का नया कारखाना खुला तो दूसरे साल कपास से धागा बनाने का। और यदि तीसरे...

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पाठशाला By Kishore Sharma Saraswat

पाठशालाअंग्रेजों का जमाना था। अशिक्षा, गरीबी और मूढ़ता का बोलबाला था। गाँव में जब कभी बाहर से कोई चिट्ठी या पत्र आ जाता तो उसे बाँचने वाला कोई न था। ऐसे में फिर पुरोहित व पाधा के घर...

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प्यार और विश्वास By DINESH KUMAR KEER

 गजराज और मूषकराज की दोस्तीएक बार की बात है, किसी नदी के किनारे एक शहर बसा हुआ था। एक बार वहां बहुत बारिश हुई, जिससे नदी ने अपना रास्ता बदल लिया। इससे शहर में पानी की कमी होने लगी,...

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Cinderella By R B Chavda

मुझे पता है कि आप सबको सिंड्रेला की कहानी पहले से ही मालूम होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिंड्रेला की कहानी में एक गहरा संदेश भी छिपा हुआ है? आज मैं आपके साथ एक नई सिंड्रेला की...

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डिप्रेशन - भाग 2 By Neeta Batham

"में जंगलों की तरफ़ चल पड़ा हु छोड़ के घर।                   ये क्या की घर की उदासी भी साथ हो गई "वो नन्हा सा बचपन जो खुद अपने मम्मी - पापा के झगड़ों में खोजता है वो एक अकेले कमरे...

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ईमानदारी By DINESH KUMAR KEER

ईमानदारी ही सर्वश्रेष्ठ नीति    एक व्यक्ति काम की खोज में इधर-उधर धक्के खाने के बाद निराश होकर जब घर वापस लौटने लगा तो पीछे से आवाज आयी, ऐ भाई! यहाँ कोई मजदूर मिलेगा क्या?उसने पीछे...

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झुमका गिरा रे By S Sinha

                                     झुमका गिरा रे    सुनील की नयी नयी शादी हुई थी  . अभी तीन दिन पहले ही वह अपनी बीवी नेहा को ससुराल से विदा कर के लाया था  . नेहा की मुंह दिखाई की...

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पारिजात - स्वर्ग से आय पेड़े पौधें By DINESH KUMAR KEER

बाल कहानी - अनमोल पेड़ पौधेराहुल अपने माता - पिता के साथ शहर में रहता था । गर्मी की छुट्टी बिताने अपने गाँव में दादा - दादी के पास आया था । बस स्टॉप से दादाजी का घर काफी दूरी पर था...

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दीवारों के पार: सूरजपुर की नई सुबह By pinki

सूरजपुर गाँव, जहाँ जाति व्यवस्था ने लोगों की सोच और रिश्तों पर गहरी छाप छोड़ी थी। गाँव के अधिकांश लोग एससी समुदाय के थे, लेकिन समुदाय के भीतर भी कई जातियों का वर्गीकरण था। इस वर्गी...

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मैं तुलसी तेरे आँगन की By उषा जरवाल

कुछ दिन पहले मुझे 10 – 15 दिनों के लिए मुझे अपने घर से कहीं बाहर जाना पड़ा | वापस आकर देखा तो गमले में लगी तुलसी पूरी तरह सूख गई थी | सोसाइटी के बगीचे में छोटे – छोटे तुलसी के पौधे...

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फैल गईं अफवाहें By Ashoke Ghosh

  फैल गईं अफवाहें   बहुत दिन पहले यह बंगाल कई छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था। ऐसे ही एक राज्य को अजवनगर कहा जाता था और लघुकर्ण नाम का एक राजा वहां शासन करता था। राजा के पार्षदों...

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दो पत्थरों की कहानी By DINESH KUMAR KEER

दो पत्थरों की कहानीनदी पहाड़ों की कठिन व लम्बी यात्रा के बाद तराई में पहुंची। उसके दोनों ही किनारों पर गोलाकार, अण्डाकार व बिना किसी निश्चित आकार के असंख्य पत्थरों का ढेर सा लगा हुआ...

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गरीब किसान By DINESH KUMAR KEER

1. बाल कहानी - सोच में बदलावरामू गरीब किसान था। उसके तीन बच्चे थे। दो लड़के एक लड़की। रामू के माता-पिता भी उसके साथ रहते थे। रामू को अपना परिवार चलाने में बड़ी तंगी का सामना करना प...

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हर सास की एक ही आस - सर्वगुण संपन्न बहू By उषा जरवाल

शहर के बाज़ार में एक बहुत बड़ी इमारत थी, उसमें एक भव्य समारोह का आयोजन किया था | जिस पर लिखा था - “यहाँ से आप अपनी पसंद के अनुसार ‘बहू’ चुन सकती हैं |” देखते ही देखते औरतों का एक हु...

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चेहरे का तिल By LOTUS

रात का सन्नाटा था और निश्चय हाईवे पर अकेला गाड़ी चला रहा था। बारिश की हल्की बूंदें शीशे पर टकरा रही थीं, और आस-पास सिर्फ घने जंगल और अंधकार था। अचानक, हेडलाइट की रोशनी में उसे सड़क...

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किसी और के पास रहेंगे By HASSUBHAI

गाँव के किनारे एक छोटा सा घर था, जहाँ आर्यन और रिया रहते थे। दोनों बचपन से ही अच्छे दोस्त थे, साथ खेलते, पढ़ते, और एक-दूसरे की मदद करते थे। उनके बीच एक अनजाना सा रिश्ता था, जिसे वे...

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एक सफल युवा नेता की कहानी By Md Sakib Raza

Md Sakib Raza का जीवन एक प्रेरणा की कहानी है। उनका जन्म 11 नवंबर 2004 को पूर्णिया, बिहार के मिलकी नेकावत टोला में हुआ था। बचपन में ही उन्होंने अपने पिता गुलाम सरवर को खो दिया, जिनक...

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खजाने की तलाश By Deepa shimpi

गुमशुदा खजाने की तलाशयह कहानी है अजय और विजय की, जो बचपन के दोस्त थे। दोनों एक छोटे से गाँव में रहते थे, जहाँ हर पहाड़ी, हर जंगल, और हर नदी उनकी खेल की जगह हुआ करती थी। लेकिन इस बा...

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समय का बदलाव By Prachi Tyagi

जिन्दगी समय के साथ नए मोड़ लेती ही रहती है। कब कहा लाकर खड़ा कर दे ,कोई नही जानता। या यूं  कहे कि संघर्ष और समझौते का दूसरा नाम जीवन है। ऐसे ही अनगिनत किस्से अपने दामन मे लपेटकर जि...

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लल्लन जी की अद्भुत नौकरी By ronee

गाँव के एक छोटे से कस्बे में रहते थे लल्लन जी। उनका नाम ही उनकी कहानी बयान करता था - "लल्लन", यानी जो कुछ भी नया, अलग, और अजीब करना हो, वो वही करते थे। गाँव में सब उन्हें "मिस्त्री...

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ट्यूशन By Piyush Goel

मेरे पिता जी का ट्रांसफर जलालाबाद (थानाभवन) से बदायूं हो गया,बदायूं के पास एक छोटा सा गाँव था तातागंज,वहाँ मैं कुछ दिन ही रहा,मेरे पापा डॉक्टर थे,नीचे अस्पताल था ऊपर मकान जिसमें हम...

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हैवनली हेल By Neelam Kulshreshtha

स्वर्ग नर्क के बीच चुनौती देती व जीतती स्त्री स्वर्गीय चंद्रमौलेश्वर प्रसाद, हैदराबाद स्त्री विमर्श पर आजकल कई लेखिकाएं कलम चला रही हैं जिनमें नीलम कुलश्रेष्ठ का नाम अग्रणी रचनाकार...

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आकाश तकरीबन दस बजे घर में आया। तब तक सब डिनर कर चुके थे। आकाश ने सबसे अपनी मां के रूम में देखा तो वह भी सो चुकी थी। कुछ दिनों से वह बहुत व्यस्त था अपने काम में, जिस वजह से उनसे ठीक...

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दरियादिली By Deepak sharma

“चार नंबर की यह पेशंट आज आई?” नाइट ड्यूटी का चार्ज अपने सहयोगी डाक्टर से लेते समय मैं ने पूछा ।  “हां,इसके स्पाइनल टैप ने बताया,यह बैक्टीरियल मैनिनजाइटस का क...

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विचित्र संख्या By उषा जरवाल

    भारत विश्वगुरु कहलाता था | आध्यात्म, शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान कोई भी क्षेत्र हो भारत हर क्षेत्र में अग्रणी ही था | जिन चीजों का आविष्कार आज के वैज्ञानिक कर रहे हैं वो भारत के...

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वह बुद्धू लड़का By S Sinha

                                                             वह बुद्धू लड़का      हीरापुर  गाँव में ज्यादातर गरीब किसान रहते थे  .  गाँव न  ज्यादा छोटा न ज्यादा बड़ा था  . करीब 800 ल...

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दोस्तों, मदद मीठी होती हैं. By Piyush Goel

मेरे एक मित्र हैं जिनका नाम पीयूष गोयल हैं जो करीब ५७ साल के हैं,मेरी उम्र करीब ३५ साल की हैं, मैं अक्सर पीयूष जी के पास १-२ घंटे जरूर बैठता हूँ,मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता ह...

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मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 17 By राज कुमार कांदु

  लघुकथा क्रमांक : 45  चिर युवा - गाँधी राष्ट्रपिता की प्रतिमा के समक्ष कुछ झुकते हुए वह स्वयंघोषित महामानव बुदबुदाया, "खुद पर और ना इतराना ! झुका तो मैं अपने गुरु के पाँ...

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स्वप्न बसेरा ... हुआ मेरा By उषा जरवाल

दो साल पहले की बात है, जब  हमने गुरुग्राम में अपना नया घर लिया था | हमारा बजट अधिकतम 80 – 90 लाख का ही था लेकिन जब घर खरीदने निकले तो गुरुग्राम जैसी जगह पर इतने बजट में घर तो खूब म...

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बृजलाल की ज़िद By Deepak sharma

छूत के डर से घर वालों ने मां को छत वाला कमरा दे रखा था । हम नीचे वालों को इस कड़े आदेश के साथ,ऊपर अब कोई नहीं जाएगा । मां के पास केवल बहन बनी रहती थीॅ । वह हम पांचों भाइयों से बड़ी...

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आदत By Aditya Kori

हम सभी को कभी न कभी किसी न किसी की आदत जरूर लगी होगी फिर वो चाहे आदत चीजों की हो या फिर इंसानों की पर हम ये भूल जाते है कि ये आदतें अंत में हमारे ही दुख का कारण बन जाती है तो ऐसी ह...

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True Love By Misha Nayra

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भूखे मरने की नौबत By LOTUS

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जंगल, पेड़ और बाज By DINESH KUMAR KEER

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बांग्लादेश के खिलाफ गुस्सा By LOTUS

बा वर्ष में भारी नाराजगी देखी जा रही है। भारत का हर राष्ट्रभक्तमें इस हो निव को इदुर सोम पर टक ही चार नक र नाएस्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ पूरे भारत खफा है। लगभग...

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डाकखाने में By Deepak sharma

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सर्द सुबह का मौसम था। कमरे में हल्की सी ठंडक थी, लेकिन दिल में एक गर्मी थी, जो उसे याद करने से पैदा हो रही थी। सूरज की हल्की किरणें खिड़की से छनकर कमरे में आ रही थीं, पर मेरे दिल क...

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उत्तराधिकारी By DINESH KUMAR KEER

 राजा का उत्तराधिकारी एक बार की बात है। एक राज्य में नंदाराम नाम का एक राजा हुआ करता था। वह बहुत ईमानदार और साहसी था। उसे अपनी प्रजा से बहुत प्यार था। उसके राज्य में सभी लोग उससे ख...

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सार्वजनिक शौचालय By LOTUS

नमस्कार ! मैं एक टॉयलेट बोल रहा हूँ। जी हाँ, वही टॉयलेट जिसे संडास, पाखाना और शिष्ट भाषा में शौचालय के नाम से जाना जाता है, मैं वही चार दीवारों वाला शौचालय बोल रहा हूँ। वैसे मेरी ज...

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  सन उन्नीस सौ पचास का वह दशक साल दर साल नया पन लाता रहा था। हमारी कस्बापुर रोड पर यदि किसी साल बर्फ़ का नया कारखाना खुला तो दूसरे साल कपास से धागा बनाने का। और यदि तीसरे...

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पाठशाला By Kishore Sharma Saraswat

पाठशालाअंग्रेजों का जमाना था। अशिक्षा, गरीबी और मूढ़ता का बोलबाला था। गाँव में जब कभी बाहर से कोई चिट्ठी या पत्र आ जाता तो उसे बाँचने वाला कोई न था। ऐसे में फिर पुरोहित व पाधा के घर...

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प्यार और विश्वास By DINESH KUMAR KEER

 गजराज और मूषकराज की दोस्तीएक बार की बात है, किसी नदी के किनारे एक शहर बसा हुआ था। एक बार वहां बहुत बारिश हुई, जिससे नदी ने अपना रास्ता बदल लिया। इससे शहर में पानी की कमी होने लगी,...

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Cinderella By R B Chavda

मुझे पता है कि आप सबको सिंड्रेला की कहानी पहले से ही मालूम होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिंड्रेला की कहानी में एक गहरा संदेश भी छिपा हुआ है? आज मैं आपके साथ एक नई सिंड्रेला की...

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डिप्रेशन - भाग 2 By Neeta Batham

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ईमानदारी By DINESH KUMAR KEER

ईमानदारी ही सर्वश्रेष्ठ नीति    एक व्यक्ति काम की खोज में इधर-उधर धक्के खाने के बाद निराश होकर जब घर वापस लौटने लगा तो पीछे से आवाज आयी, ऐ भाई! यहाँ कोई मजदूर मिलेगा क्या?उसने पीछे...

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झुमका गिरा रे By S Sinha

                                     झुमका गिरा रे    सुनील की नयी नयी शादी हुई थी  . अभी तीन दिन पहले ही वह अपनी बीवी नेहा को ससुराल से विदा कर के लाया था  . नेहा की मुंह दिखाई की...

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पारिजात - स्वर्ग से आय पेड़े पौधें By DINESH KUMAR KEER

बाल कहानी - अनमोल पेड़ पौधेराहुल अपने माता - पिता के साथ शहर में रहता था । गर्मी की छुट्टी बिताने अपने गाँव में दादा - दादी के पास आया था । बस स्टॉप से दादाजी का घर काफी दूरी पर था...

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दीवारों के पार: सूरजपुर की नई सुबह By pinki

सूरजपुर गाँव, जहाँ जाति व्यवस्था ने लोगों की सोच और रिश्तों पर गहरी छाप छोड़ी थी। गाँव के अधिकांश लोग एससी समुदाय के थे, लेकिन समुदाय के भीतर भी कई जातियों का वर्गीकरण था। इस वर्गी...

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मैं तुलसी तेरे आँगन की By उषा जरवाल

कुछ दिन पहले मुझे 10 – 15 दिनों के लिए मुझे अपने घर से कहीं बाहर जाना पड़ा | वापस आकर देखा तो गमले में लगी तुलसी पूरी तरह सूख गई थी | सोसाइटी के बगीचे में छोटे – छोटे तुलसी के पौधे...

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फैल गईं अफवाहें By Ashoke Ghosh

  फैल गईं अफवाहें   बहुत दिन पहले यह बंगाल कई छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था। ऐसे ही एक राज्य को अजवनगर कहा जाता था और लघुकर्ण नाम का एक राजा वहां शासन करता था। राजा के पार्षदों...

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दो पत्थरों की कहानी By DINESH KUMAR KEER

दो पत्थरों की कहानीनदी पहाड़ों की कठिन व लम्बी यात्रा के बाद तराई में पहुंची। उसके दोनों ही किनारों पर गोलाकार, अण्डाकार व बिना किसी निश्चित आकार के असंख्य पत्थरों का ढेर सा लगा हुआ...

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गरीब किसान By DINESH KUMAR KEER

1. बाल कहानी - सोच में बदलावरामू गरीब किसान था। उसके तीन बच्चे थे। दो लड़के एक लड़की। रामू के माता-पिता भी उसके साथ रहते थे। रामू को अपना परिवार चलाने में बड़ी तंगी का सामना करना प...

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हर सास की एक ही आस - सर्वगुण संपन्न बहू By उषा जरवाल

शहर के बाज़ार में एक बहुत बड़ी इमारत थी, उसमें एक भव्य समारोह का आयोजन किया था | जिस पर लिखा था - “यहाँ से आप अपनी पसंद के अनुसार ‘बहू’ चुन सकती हैं |” देखते ही देखते औरतों का एक हु...

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चेहरे का तिल By LOTUS

रात का सन्नाटा था और निश्चय हाईवे पर अकेला गाड़ी चला रहा था। बारिश की हल्की बूंदें शीशे पर टकरा रही थीं, और आस-पास सिर्फ घने जंगल और अंधकार था। अचानक, हेडलाइट की रोशनी में उसे सड़क...

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