Radhey.... Love Ring Tale - 12 in Hindi Love Stories by Soni shakya books and stories PDF | राधे ..... प्रेम की अंगुठी दास्तां - 12

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राधे ..... प्रेम की अंगुठी दास्तां - 12

और..

पापा ने राधा से प्यार से पुछा-- क्या बात है राधा इतनी उदास क्यों हो ?

राधा को समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या कहे वो उसके दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था । बस चुप बैठी रही।

पापा ने फिर पूछा-- क्या बात है राधा कुछ तो बोलो 

शादी नहीं करनी है तुम्हें ,क्या कोई और पसंद है तुम्हें।

राधा अभी भी चुप रही कुछ नहीं बोली वह खुद असमंजस में थी कि क्या कहे और क्या ना कहे। 

एक तरफ उसका विश्वास जीत रहा था पर.. दूसरी ही तरफ देव का व्यवहार उसे जितने नहीं दे रहा था।

किस आधार पर कहे वो कि उसे देव पसंद है ।

शादी करनी है देव से।

राधा की  शादी की खबर सुनकर भी देव ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की थी उसके बाद वह दो-तीन बार घर आया भी तब भी वह नॉर्मल ही रहा फिर ..क्या कहती राधा ?

तभी कमरे में माया देवी प्रवेश करती है और वृषभानु जी से कहती है कि आप परेशान मत हो शादी की खबर सुनकर सभी लड़कियां ऐसी ही चुपचाप हो जाती हैं मायका जो छूट रहा होता है ।

वृषभानु जी कहते हैं अगर इतनी सी बात है बेटा तो परेशान मत हो हम बार-बार तुझसे मिलने आयेंगे और नहीं आ सके तो अपनी प्यारी बेटी को यहीं बुला लिया करेंगे  ।

अब तो ठीक है न सब ।

राधा लाचार सी बस चुप रही..!!!

आज....

वह दिन था जिसका राधा ने कभी इंतजार नहीं किया था और ना ही कभी कल्पना की थी। ..

.... शादी के जोड़े में बैठी सजी-धजी राधा,,,

 अभी भी प्रश्नों में उलझी थी 

देव ऐसा कैसे कर सकता है ?

क्यों किया देव ने ऐसा ??

मन...अब भी मानने को तैयार न था 

काश.. !! देव बस एक बार आकर इतना कह दे कि...

"राधे प्यार है मुझे तुमसे "

पर ये हो न सका और राधा कि पुरी आशा उस वक्त निराशा में बदल गई जब,,,,

देव की भाभी राधा से मिलने कमरे में आई और कहने लगी बहुत सुंदर लग रही हो राधा। 

भाभी को देखते ही राधा पुंछने लगी देव नहीं आया भाभी।

और भाभी बोली__अरे देव तो यही है तुमसे नहीं मिला क्या !!

राधा के लिए ये वक्त और भाभी के शब्द दोनों वर्ज समान थे।

अब राधा के अंदर उठने वाला शब्दों का तूफान शांत हो गया था  अब ना कोई प्रश्न न कोई उत्तर ,बुत बन गई थी.. "वो"

वेदी पर बैठी राधा ने अपने सारे सपने, सारे अरमान उसी हवन कुंड में स्वाह कर दिए..

.. आज उसने जिंदगी का सबसे बड़ा समझौता किया और.. ऐसे व्यक्ति का हाथ ‌थाम लिया जिसे न‌ वो  जानती थी ना पहचानती थी और ना ही उससे प्यार करती थी !!!

लाली ने जब राधा की शादी की बात सुनी  थी तो वह बहुत दुखी हुई और तुरंत ही‌ राधा से मिलने आ गई  थी।

उसने कहा  था कि --वह देव को  सब कुछ कह देगी पर राधा ने उसे ‌भी रोक दिया था ।

बोली ...जब देव को अपने से फर्क नहीं पड़ा तो तुम्हारे कहने से क्या होगा ??

.... राधा विदा हो रही थी और देव उधर ही था और लाली भी 

लाली के मन मे आया कि देव से सब कुछ कह दे पर ..अब क्या फायदा अब तो राधा चली गई  और सब कुछ खत्म हो गया।

पर.. क्या वाकई में सब कुछ खत्म हो गया था ..!!??

..........

""ये प्यार है साहब दो दिलों का ,दो आत्माओं का बंधन इतनी आसानी से खत्म नहीं होने वाला था""

........

 राधा के जाते ही जैसे ही देव ने पलट कर राधा का घर देखा तो उसे कुछ सुना सा लगा तो वह घर के अंदर चला गया लेकिन वहां भी उसे सब कुछ सुना सुना और  खाली खली लगा तो वह अपने घर चला गया ।

घर पहुंचने के बाद भी देव को कुछ अच्छा न लगा।

उसने सोने की कोशिश की पर नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी।

बेचैन हो गया देव !!

अब उसे अपने घर में भी कुछ खाली -खाली और सूनापन लग रहा था ।

उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करें उसका मन कही नहीं लग रहा था बेचैनी बढ़ती जा रही थी तो वह उठकर राधा के घर चल दिया और जैसे ही राधा के घर पहुंचा तो..

उसे राधा का घर, घर नहीं लग रहा था बल्कि एक ख़ाली खंडहर लग रहा था जहां अब.. राधा की आवाज नहीं एक सुना पन था।

उसकी हंसी नहीं गूंज रही थी बल्कि उदास दीवारें खड़ी थी। 

देव का मन एक पल भी वहां रुकने को तैयार न हुआ तो वह वापस अपने घर आ गया।

पर.. क्या हो रहा था देव को उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था 

और फिर.. उसे राधा की याद सताने लगी।

अभी तो राधा अपनी ससुराल पहुंची भी नहीं और देव का ये हाल...

उसे रह रह रहकर राधा की बातें, राधा की हंसी, उसका रूठना, मानना उसका झगड़ना याद आने लगा। 

उसके साथ बिताए वो अनमोल पल  देव को विचलित करने लगे।

अब उसका मन कहीं नहीं लग रहा था ।

मां ने खाने के लिए बुलाया पर देव वहां से भी बिना कुछ खाये वापस आ गया ।

मां को समझ आ रहा था कि देव कुछ परेशान सा है तो देव के पास आकर बोली --क्या बात है देव ?

कुछ परेशान  लग रहें हों ।

क्या हुआ !!

देव कुछ नहीं बोला बस ..रो पड़ा 

मां पूछती रही और देव बस रोता रहा !!

घर  के कुछ लोग  और आ गये पर देव.. बस रोता रहा !!

मां के और सब लोगों के बार-बार पूछने पर बस इतना ही कह पाया देव...

मां , राधा चली गई  ..!!

अब मैं कैसे रह पाऊंगा उसके बिना.!!

सबको बात समझने में देर ना लगी । अपने बेटे की ऐसी हालत मां से देखी नहीं जा रही थी ।

मां बोली--पहले क्यों नहीं बताया देव !!

रोक लेते राधा को पर अब...

अब तो राधा चली गई तुम अपने आप को संभालों।

देव ने कभी कल्पना भी ना कि थी कि.. राधा के बिना वह इतना अधूरा है उसका जीवन इतना अधुरा है।

लेकिन अब.. कुछ नहीं हो सकता था।

राधा के जाते ही देव के जीवन में रह गई थी सिर्फ़..

राधा की यादें ,

तड़प ,

बैचेनी ,

ख़ाली पन ।

उदास दिन और तन्हा रातें

बहुत कठिन हो गया देव का जीवन।

राधा की यादें ना जीने देती ना मरने देती,

ना सोने देती,ना जागने देती..!!

 बहुत कोशिश की देव ने अपने मन को समझाने की पर मन नहीं लगा तो.. उसने शहर छोड़ दिया और दूसरे शहर जाकर रहने लगा।

                     .........................

 23 साल बाद....