देव _सरल और सौम्य स्वभाव का लड़का था। गोरा रंग काली आंखें काले घने बाल एकदम स्मार्ट और अट्रैक्टिव लड़का था। छल कपट से उसका दूर-दूर तक कोई नाता न था उसके चेहरे पर हमेशा स्माइल रहती थी। मुस्कुराहट उसके लिए गॉड गिफ्ट थी। उसका सरल स्वभाव हर किसी को अपनी और आकर्षित करता था खास तौर पर लड़कियां बहुत आकर्षित होती थी पर वह मस्त मौला अपनी ही धुन में रहता था लड़कियों के नाम पर राधा के सिवा कोई और उसकी जिंदगी में ना था।वह बहुत अच्छा था पर ..उसमें भी एक कमी थी वह कभी वक्त का पांबद नहीं था। इस कारण राधा और उसमें अक्सर लड़ाई भी होती वह बार-बार माफी मांगता था राधा से पर .. फिर वही हरकतें करता था।
ठीक इसके विपरीत राधा_ बड़ी चपल और चंचल स्वभाव की थी,गेहूंआ रंग, भूरे लम्बे बाल और सागर सी आंखें। बच्चे हो, बूढ़े हो या जवान वह सभी का दिल जीत लेती थी अपनी बातों से, जहां भी जाती, जिससे भी मिलती सब पर अपनी छाप छोड़ आती थी। एकदम खुशनुमा थी वो, पर कभी कभी आपकी अच्छाई भी आपके लिए अभिशाप बन जाती है।
यही हुआ था राधा के साथ भी। राज गलतफहमी का शिकार हो गया था और राधा की बातों को प्यार समझ बैठा। एक तरफा प्रेम ने उसे ईर्ष्यालु बना दिया था।राधा में भी एक आदत खराब थी वह गुस्सा बहुत जल्दी हो जाती थी खास तौर पर देव से कभी-कभी तो देव को पता ही नहीं होता की राधा उससे नाराज़ हो गई है और क्यों हो गयी? फिर भी उसे मनाने में लग जाता था। कितना समय उसका यूं ही बित जाता था।
राज__वह भी अच्छी फैमिली से बिलॉन्ग करता था अच्छा लड़का था। ऊंची कद काटी का गोरा रंग देखने में वह भी स्मार्ट था और मिलनसार भी बस एक गलती की उसने ,राधा के अपनेपन को प्रेम समझ बैठा और ईर्ष्यालु बन गया ।....
...राज घर पर आया हुआ था राधा उसके लिए पानी ले आई दोनों बातें कर रहे थे, तभी राधा बोली_अब तो लाली की भी शादी हो रही है तुम कब शादी करोगे राज ?
राज बोला _जिस दिन मेरे पसंद की लड़की मिल जाएगी उसी दिन शादी कर लूंगा।
अच्छा ! कैसी लड़की चाहिए तुम्हें राज?
झुमका पहन कर अपने आप को आईने में देखो, बस ..ऐसी ही लड़की चाहिए।
उसने राज को देखा, राज की आंखें कुछ और बयां कर रही थी । राधा को कुछ अजीब लगा। असहज महसूस करने लगी वो। और वहां से उठकर चली गई ।
कहते हैं महिलाओं को सिक्स सेंस दे रखी है भगवान ने जिससे वह मर्दों की नजरों को पहचान लेती है बस उसी से राधा ने भी समझ लिया कि.. राज के इरादे ठीक नहीं है।
उस दिन के बाद से राधा राज से कम ही बातें करती थी जब कभी राज आता तो वह अपने कामों में व्यस्त रहती । कभी मिलती कभी नहीं मिलती।
राज से यह सब सहन नहीं हो रहा था। उसका एक तरफा प्यार उसके लिए नासूर बन रहा था। पर वह कर भी क्या सकता था। पर वह बहुत चालाक था उसने राधा के घर में किसी को महसूस तक नहीं होने दिया कि उसके मन में क्या चल रहा है वह अंदर से कुछ था और ऊपर से कुछ और ही दिखाता था।
राधा ने भी किसी से कुछ नहीं कहा ,अपने भाई का दोस्त समझ कर उसे जाने दिया। शायद ये राधा की ग़लती थी।
राधा उसे अपने घर आने से रोक नहीं सकती थी इसलिए उसने अपने आप को ही समेट लिया था बस.. और ये राज को नगवारा था।
...आज देव घर पर आया हुआ था ।राधा उससे बात कर रही थी अपने कमरे में, तभी राज आ जाता है और माया देवी से पूछता है कि राधा कहां है।
माया देवी को वैसे भी देव का आना पसंद न था उन्होंने तुरंत ही राज से कह दिया कि राधा अपने कमरे में है चले जाओ देव भी आया हुआ है।
राज, राधा के कमरे की ओर जाता है वहां राधा और देव को एक साथ खिलखिलाते देखकर उसका दिल जल जाता है पर.. होठों पर मुस्कान लिए देव और राधा से हैलो कहता है।
आओ राज बैठो कैसे हो तुम देव कहता है ।
मैं ठीक हूं कहते हुए राज बैठता है तभी राधा कहती हैं कि चलो हम हाल में बठते हैं।
तभी ऋषि भी आ जाता है और सभी हाल में बैठकर बात कर रहे होते हैं , तभी राधा उठ कर चली जाती है और अपने काम में व्यस्त हो जाती है।
थोड़ी देर में सब अपने-अपने घर चले जाते हैं।
राज को,, राधा और देव की नजदीकीया खटकने लगी थी।अब ,जब भी देव राधा से मिलने आता तो राज भी आ जाता था।
धीरे-धीरे उसने यह भी पता कर लिया था कि, राधा के घर के लोग देव को पसंद नहीं करते फिर क्या, उसने भी इसी बात का फयदा उठाया।
एक तरफ देव का दोस्त बना रहा और दूसरी तरफ ऋषि के कानों में देव के खिलाफ जहर घोलता रहा।
राधा, राज की राजनीति समझती थी।
पर देव..छल कपट और राजनीति नहीं समझता था। सरल स्वभाव का देव ,,जो भी कोई कुछ कहता सच मान लेता था। और जब राज पूछता तो उसेे अपनी और राधा की सारी बातें बता देता था।
राज ने धीरे-धीरे यह भी जान लिया कि राधा देव से मिलने उसके घर जाती है। अब तो उसके अंदर ईर्ष्या की कोई सीमा न रही।
पर, वह कुछ नहीं कर सकता था। ना ही राधा से जबरन बात कर सकता था और ना ही राधा और देव की बढ़ती नजदीकियों को रोक सकता था।
उसे पता था कि प्रेम हासिल करने की चीज नहीं..ये तो दिल की उपज है, जो आत्मा में समाहित होती है।
फिर उसने निश्चय किया कि अगर राधा राज की नहीं हो सकती तो देव की भी नहीं होगी बस फिर क्या _राधा के घर में जो देव के खिलाफ आग थी ही राज ने उसमें घी का काम किया । पिता के अलावा कोई और न था जो राधा और देव को एक साथ देख खुश होता।
राधा के घर में इतना कुछ चल रहा था ।राधा इतना कुछ सहन कर रही थी, इतने ताने सुन रही थी देव के लिए। देव इन सब बातों से अनजान था उसे तो कुछ पता ही न था की इतना षड्यंत्र चल रहा है राधा के घर।
और राधा चुपचाप सहन कर रही थी अपने प्यार के लिए ,वो ये सब देव को बता कर उसे दुखी नहीं करना चाहती थी। देव भी तो उसके लिए कितना कुछ सहन कर रहा था। राधा के घर में सब उसे अपमानित करते पर राधा के लिए उसे भी सब मंजूर था।
"अजीब दास्तां थी उनकी"
सबसे अनुठी सबसे परे, बिना प्यार का इजहार किये दोनों एक दूसरे पर बेशुमार प्यार लुटाते थे .!!
उन्हें कुछ पाने की लालसा ना थी पर खोने का डर जरूर था --*एक दुसरे का साथ *
आज लाली की शादी थी राधा भी वहीं पर थी और देव भी आने वाला था।
राधा देव की प्रतीक्षा कर रही थी कि तभी, देव आता हुआ दिखाई दिया। वह राधा की ओर ही आ रहा था ।राधा खुश थी कि आज देव से जी भर कर बात करेगी यहां कोई रोकने वाला न होगा।
देव राधा के सामने आकर खड़ा हो जाता है और.....