खाने के बाद सब लोग ड्राइंग रूम में बैठे थे, पापा ने राधा को अपने पास बैठाया और बड़े प्यार से कहा __बेटा वह लोग बहुत अच्छे हैं हम मिले हैं उनसे लड़का भी अच्छा है। नौकरी करता है घर से भी सब संपन्न है और उनकी कोई डिमांड भी नहीं है उन्हें तो बस एक पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए । सब कुछ बहुत अच्छा है बेटा और वो लोग कल अपने घर आ रहे हैं। तुमसे मिलने ,एक बार तुम भी मिल लो अगर तुम्हें पसंद नहीं आए तो बेझिझक मना कर देना। कोई तुमसे जबरदस्ती नहीं करेगा।
अब इतनी बात तो मानोगी न अपने पापा की ।
राधा ने कुछ नहीं कहा बस चुप बैठी रही ।
वैसे तो वृषभानु जी भी सब जानते थे पर वो राधा से सुनना चाहते थे इसलिए राधा से बोले --बेटा अभी मैंने तुम्हारी शादी तय नहीं की है अगर तुम्हारे मन में कुछ और है तो बताओ मुझे
राधा कहना चहती थी पर ..चुप रही क्योंकि उसका मन तो जानता था देव के मन की बात पर..
सारी बात तो अभी एहसासों की थी शब्दों का इसमें अभी तक कोई योगदान ना था । और राधा बिना देव से पुछे कुछ कहना नहीं चाहती थी।
पापा बोले ठीक है तुम ,आराम से सोच कर बताना
राधा उठकर अपने कमरे में चली गई।
थोड़ी देर में मां और भाभी भी कमरे में आ गई।
राधा के सर पर हाथ रखकर बोली --माया देवी बेटा हम तुम्हारे दुश्मन नहीं है मुझे पता है तुम क्या चाहती हो पर क्या देव ने कहा है तुमसे कभी कि--प्यार करता है तुमसे ??
क्या शादी करेगा वो तुमसे..?? या बस यूं ही.. माया देवी की बात के बीच में ही सविता बोल पड़ी__मुझे तो नहीं लगता मम्मी जी।
अगर देव को राधा पसंद है तो इतने दिनों से उसने कुछ कहा क्यों नहीं मुझे तो लगता है कि बस यूं ही टाइम पास करने चला आता है और कुछ नहीं।
गुस्से में बोली राधा --कुछ भी मत कहो भाभी
ठीक है चुप हो जाती हूं मैं पर तुम बताओ क्या कहा है देव ने तुम्हें कभी कि... प्यार करता है तुमसे नहीं ना,, फिर किस विश्वास से उसके लिए बैठी हो।
मेरा दिल कहता है--बोली राधा
दुनिया सिर्फ दिल से नहीं चलती राधा रानी। ऐसे तो बहुत घूमते हैं हथेली पर दिल लिए !!
क्या हाथ थामेगा देव तुम्हारा उम्र भर के लिए ?
हां ज़रूर थामेगा मैंने देखा है उसकी आंखों में अपने लिए प्यार।
मैंने भी दुनिया देखी है ,देखते हैं कौन सही होता है। पापा जी ने दिया है ना तुम्हें समय ।
अब मायादेवी बोली --मुझे नहीं लगता कि यह हो पाएगा। तुम जिद मत करो राधा यह संभव नहीं है आखिर हमें भी तो समाज में रहना है लोग क्या कहेंगे अपने पापा का तो ख्याल करो।
तुम्हारी हर इच्छा पूरी की है उन्होने क्या तुम अपने पिता का इतना मान भी नहीं रखोगी।
पर मां मे दूसरी जगह खुश नहीं रह पाऊंगी और अगर मैं खुश नहीं रही तो उसे क्या खुशी दूंगी उसे यह तो अन्याय होगा अपने प्रति भी और उस लड़के के प्रति भी ।
मुझे कुछ नहीं सुनना है।
पर मां...
अच्छा ठीक है आने दो देव को , सुनाती हूं उसे तुम्हारी शादी की खबर फिर पता चल जाएगा सब
सुनकर क्या कहता हे देव, क्या प्रतिक्रिया होती है उसकी।
राधा ने सुकून भरी सांस ली क्योंकि वह तो जानती ही थी की देव उससे प्यार करता है और वह जरूर उससे शादी करेगा।
फिर बोली --ठीक है मां आने दो देव को सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा और तुम्हें भी विश्वास हो जाएगा मेरे विश्वास पर ..।
प्यार अंधा होता है राधा रानी,, पल भर में ही विश्वास कर लेता है पर दिल और दुनिया में बहुत फर्क होता है, सविता बोली
भगवान करे तुम्हारे विश्वास की ही जीत हो माया देवी बोली। पर मेरी भी एक बात माननी होगी,,, अगर देव ने कुछ नहीं कहां तो तुम्हें चुपचाप वही शादी करनी होगी जहां हमने तय की है।
राधा ने तुरंत हां कर दी क्योंकि उसे तो विश्वास था कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला देव के आते ही सब ठीक हो जाएगा।
दोनों कमरे से बाहर निकलती है जाते-जाते माया देवी बोली --और हां कल वो लोग आ रहे हैं तो मुझे कोई तमाशा नहीं चाहिए, ठीक ढंग से व्यवहार करना ।
अपने पिता की इज्जत और मेरे संस्कारों का ख्याल रखना ,,
राधा फिर भी कुछ नहीं बोली, बस चुप रही अब तो उसे देव का इंतजार था बस,,
अब मोबाइल का तो जमाना था नहीं तब कि मोबाइल उठाया और 2 मिनट में सब कुछ तय हो जाता.!!
अगले दिन.....
सब लोग सुबह से ही व्यस्त थे मेहमानों के स्वागत की तैयारी में लगे हुए थे ।
राधा अपने कमरे में ही थी देव के ख्यालों में डुबी ,बस अब तो जल्दी से देव आ जाए तो उसे सब कुछ कह दूंगी वह भी तो खुश हो जाएगा फिर हम हमेशा साथ रहेंगे खूब बातें करेंगे फिर कोई नहीं ऱोक पाएगा हमें।
कुछ समय मैं मेहमान भी आ गए।
सब लोग खाना खा रहे थे मां ने राधा को खाना परोसने लिए बुलाया । खाने के बाद सब लोग एक साथ बैठै थे वहां राधा को भी बुलाया गया।
कुछ बातचीत की, कुछ प्रश्न पूछे गए राधा से
राधा ने नॉर्मल तरीके से जवाब दिया फिर थोड़ी देर में अपने कमरे में चली आई।
मायादेवी जय ((जय राधा को देखने आया लड़का))से बोली --बेटा तुम्हें कुछ पूछना है राधा से तो उसके कमरे में जा सकते हो।
जय बोल -नहीं आंटी जी मुझे कुछ नहीं पूछना मुझे राधा पसंद है।
जय की मां बोली -लो भाई हो गया फैसला..!!
हम सबको तो राधा बहुत पसंद है।
अब जल्दी ही शादी का शुभ मुहूर्त निकलवाइये।
अब हम लोग चलते हैं शादी की तैयारिया भी तो करनी हैं।
अगले दिन...
घर में खुशियों का माहौल था सब लोग राधा की शादी की चर्चा कर रहे थे अपनी-अपनी योजनाएं बता रहे थे पर राधा,,, चुपचाप और उदास सी घूम रही थी। और किसी को कोई परवाह न थी।
राधा के पिता सब देख रहे थे समझ रहे थे पर वो भी मजबूर थे आखिर बेटी की शादी तो करनी ही थी। फिर उन्होंने राधा से कहा भी तो हैं कि जब तक राधा हां नहीं करेगी वह शादी नहीं करेंगे उन्हें किसी की कोई परवाह नहीं थी शिवाय राधा के और राधा...
उसे तो बस देव के आने का इंतजार था पर चार दिन बीत गए देव नहीं आया तो राधा के मन में आया कि वही देव से मिलने चली जाती हु और देव को सब बता भी दुंगी। राधा झट से तैयार हो गई और कमरे से बाहर आई तो देखा कि...
बाहर जय का बड़ा भाई बैठा था और साथ में पंडित जी भी और घर के लोग।
राधा को देखते ही मां बोली--आओ राधा मैं तुम्हें ही बुलाने वाली थी।
प्रणाम करो इन्हे देखो शादी का मुहूर्त निकलवा कर लाए हैं जय के भाई 2 महीने बाद का शुभ मुहूर्त है।
राधा ने सबको प्रणाम किया और चुपचाप वापस कमरे में चली आई,आते ही भगवान से बोली --क्यों भगवान मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है मैं जब भी देव से मिलने जाना चाहती हूं कुछ ना कुछ बांधा आती है।
क्या आप भी नहीं चाहते कि मैं देव से मिलूं अगर ऐसा ही था तो मुझे देव से मिलाया ही क्यों ??
11 दिन बीत गए पर देव नहीं आया और शादी की तारीख पास आती जा रही थी ।
राधा जब भी घर से बाहर निकालने की कोशिश करती माया देवी उसे किसी न किसी बहाने से रोक लेती थी।
उसके चहरे पर उदासी और आंखों में बेबसी साफ झलकती थी पर.. देव से मिलने का कोई रास्ता नहीं था उसके पास लाली अपने ससुराल में थी और दिया अपने मामा के घर ।
"राधा बिन पानी के मछली की तरह छटपटाती रहती"पर ,, किसी को भी उस पर दया नहीं आती
वृषभानु जी कुछ कहना भी चाहते तो माया देवी पहले ही कह देती --कुछ नहीं हुआ है उसे बस घर से दूर जाना है इसलिए उदास रहती है थोड़ा ,सब ठीक हो जाएगा आप चिंता मत करो ।
*प्यार का बुखार चढ़ा है लाडली को उतर जाएगा चार दिन में*
बड़बड़ाती माया देवी किचन में चली गई।
शाम घिर आई थी ,,राधा छत पर लेटी अपने खयालों ही खोई थी --कितना हंसी था वो पल, कितना मीठा..!!
वह चांदनी रात और देव का किस करना खो गई राधा प्रेम की उस अनुभूती में...
कभी हंसती तो कभी उदास हो जाती।
""प्रेम ऐसा ही होता है भीड़ में भी तन्हा कर जाता है और तन्हाई में भी किसी का एहसास दिला जाता है ""
तभी देव आता है और....