जैसे ही देव घर में आता है सामने ही मायादेवी दिख जाती है।
देखते ही बोला देव- नमस्ते आंटी जी।
देव को देखते ही माया देवी मुस्कुराई और बोली --अरे देव बेटा,
आओ -आओ कैसे हो तुम और घर में सब कैसे हैं?
सब ठीक है आंटी जी ,देव बोला ।
मायादेवी सविता को आवाज़ लगाती है __सविता जरा पानी ले आना एक गिलास देव आया है।
सविता तो पहले से ही बहुत उत्सुक थी देव को राधा की शादी की बात बताने,झट से पानी ले आई।
पानी देते हुए बोली कैसे हो देव ।
देव को आज दोनों के व्यवहार कुछ अलग लग रहें थे फिर भी स्माइल करते हुए बोला ठीक हुं भाभी।
उधर राधा अपने ख्यालों मे खोई हुई थी उसे तो पता ही नहीं की नीचे देव आया हुआ है।
थोड़ी देर बात करने के बाद माया देवी सविता से बोली--जावो देवों के लिए कुछ खाने को बना लाओ।
तभी देव बोला अरे नहीं आंटी जी मैं बस घर ही जा रहा हूं , मां इंतजार कर रही होगी खाने पर ।
मैं तो बस इधर से गुजर रहा था तो सोचाआप सबसे मिलता चलूं।
अच्छा किया देव ऐसे ही आ जाया करो।
ठीक है आंटी अब मै राधा से मिल लेता हुं फिर घर जाता हूं। राधा अपने रूम में ही है ना।
हां ! पर तुम इधर ही रुको देव मैं राधा को नीचे ही बुला लेती हुं
साथ मिलकर बैठते हैं और तुम्हें एक खुशखबरी भी सुनानी है
ठीक है पर,,कैसी खुशखबरी आंटी ?
थोड़ा इंतजार करो देव राधा को भी आ जाने दो ।
मायादेवी सविता से कहती हैं कि..राधा को बुला लाओ ।
सविता तो जैसे तैयार ही बैठी थी, उसे देखना था कि राधा की सादी की बात सुनकर देव क्या रिएक्ट करता है ।
सविता राधा से जाकर कहती हैं कि देव आया है।
सुनते ही राधा के दिल की धड़कन बढ़ गई तुरंत ही देव से मिलने खड़ी हो गई ।
उसका दिल तो हमेशा से ही देव के मन की बात जानता था पर आज..
आज सबको पता चलने वाला था।
राधा दौड़कर नीचे आ गई ,
देव से बात शुरू ही कि थी कि.. सविता मिठाई ले आई और बोली --लो देव मुंह मिठा करो
किस बात की मिठाई है भाभी.?
राधारानी का रिश्ता तय हो गया है मुस्कुराते हुए बोली सविता
सुनते ही देव चुप हो गया उसके चेहरे पर स्माइल नहीं थी।
उधर राधा की निगाहें देव के चेहरे पर टिकी थी।
फिर सविता बोली- देव से ,
तुम्हें खुशी नहीं हुई क्या देव ?
देव थोड़ी देर चुप रहा फिर बोला --अरे ऐसी बात नहीं है भाभी यह तो खुशी की बात है की राधा का रिश्ता तय हो गया।
देव की बात सुनते ही राधा,, सूखे पत्ते सी गिर गई
मायादेवी ने उसे सहारा दिया।
देखते ही देव बोला --क्या हुआ राधा तुम्हारी तबीयत तो ठीक है न?
अपने अंदर के तूफान को संभालते हुए राधा बोली- हां ठीक है बस थोड़ा थक गई हूं अपने कमरे में जाकर आराम करती हूं।
देव बोला- ठीक है राधा मैं भी अब चलता हूं फिर आऊंगा ।
राधा कमरे में आते ही पलंग पर गिर पड़ी उसकी आंखों में आंसुओं का सैलाब था,
और दिल और दिमाग में प्रश्नों का पहाड़ खड़ा हो गया था।
क्यों कहा देव ने ऐसा ??
क्या सच में देव को मेरी शादी से कोई एतराज़ नहीं??
क्या देव को प्यार नहीं मुझसे ??
अगर है तो उसे कोई फर्क क्यों नहीं पड़ा??
क्या भाभी सही कहती है ??
क्या मां सही कहती है ??
क्या देव मेरे पास सिर्फ टाइम पास..??. नहीं -नहीं ऐसा नहीं हो सकता मेरा दिल मेरी आत्मा कभी गलत नहीं हो सकती।
मैंने देखा है देव की आंखों मे अपने लिए प्यार,
मैंने महसूस किया है मेरा दिल इतना दगा नहीं करेगा मेरे साथ ।
शायद अचानक से सुनकर देव को समझ नहीं आया होगा इसलिए कुछ नहीं कह पाया
हां यही सही है तुम देखना राधा,
देव कल आकर सब सच कह देगा ।
अपनी राधे को किसी और की कैसे होने दें सकता है।
हां मुझे संयम रखना होगा देव आकर सब सही कर देगा।
राधा के दिलो दिमाग पर प्रश्न उत्तर का तूफान चल ही रहा था कि __मायादेवी और सविता कमरे में आती है
आते ही सविता बोली -सुन लिया राधा रानी देव का उत्तर !!
मैं तो पहले ही कहती थी कि टाइम पास करने आता है ।
अब क्या बाकी रह गया ?? बहुत विश्वास था तुम्हें तो अपने ____देव पर
विश्वास तो अभी भी है भाभी ,राधा बीच में ही बोल पड़ी ।
बस उसे समझ नहीं आया होगा की क्या कहे तुम देखना वो आकर सब ठीक कर देगा।
अब मायादेवी क्रोधित स्वर में बोली -ऐसा कुछ नहीं होने वाला है राधा,
देव से जो सुनना था,, वह सुन लिया अब चुपचाप शादी के लिए तैयार हो जाओ।
बहुत सुन लिया तेरी भी ,अब वही होगा जो हम चाहेंगे।
पर मां,
पर -वर कुछ नहीं।
मुझे अब और तमाशा नहीं चाहिए चुपचाप शादी के लिए तैयार हो जाओ कहते हुए मायादेवी कमरे के बाहर चली जाती है और साथ में सविता भी ।
पर राधा इतनी आसानी से मानने वाली नहीं थी , उसे देव पर यकीन था ।
उसके दिलों दिमाग में चल रहे प्रश्नों का तूफान थम गया था।
अब उसने 'संयम 'का दामन थाम लिया था ।
और फिर करने लगी देव के आने का इंतजार..
2 दिन बीत गए देव नहीं आया..
4 दिन बीत गए...
6 दिन बीत गए..
उदास राधा फिर प्रश्नों के भवर में फस गई थी पर देव के इंतजार के शिवाय उसके पास कोई और चारा न था ।
शादी की तारीख पास आ रही थी और मां घर के बाहर जाने नहीं दे रही थी और देव भी नहीं आ रहा था ।
राधा अपने ही अंधेरे में डूब रही थी उसे उजाले की ओर जाने का कोई किनारा नहीं मिल रहा था ।
क्या सच में देव को मेरी शादी की खबर से कोई फर्क नहीं पडा? अगर पड़ा तो वह मुझसे मिलने क्यों नहीं आया अभी तक..
देव .. !! कहा हो तुम,,??
राधा का मन व्याकुल हो रहा था __
कभी भगवान से देव के आने के लिए प्रार्थना करती कभी छत पर खड़ी हो देव का इंतजार करती।
और फिर 8 दिन बाद देव आया..
राधा अपने कमरे में थी, उसे पता नहीं था कि देव नीचे आया है थोड़ी देर रुकने के बाद देव बोला _मैं राधा से भी मिल लेता हूं आंटी।
आज किसी ने देव को नही रोका किसी को कोई एतराज नहीं था अब,
शायद अनुभव जीत रहा था ।
कमरे में प्रवेश करते ही देव बोला -क्या कर रही हो राधे
देव !!!
मैं तो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी। आने में इतने दिन क्यों लगा दिए, तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ना राधा मरे या जिए।
ऐसी बात नहीं है राधे..
वह बस घर में काम था इस कारण नहीं आ सका ।
देव नॉर्मल सी बातें कर रहा था।
और राधा आश्चर्य चकीत थी।
उसे लगा सच में देव को कोई फर्क नहीं पड़ा मेरी शादी की बात से।
तो राधा ने चाहते हुए भी कुछ नहीं कहा देव से।
थोड़ी देर बाद देव चला गया।
देव के जाते ही.. राधा रोने लगी उसकी आंखों से आंसुओ की अविरल धारा बहने लगी।
मन बोल उठा --शायद मां और भाभी सही कहती हैं देव को प्यार नहीं है मुझसे
पर... मैंने महसूस किया है, मैंने देखा है देव की आंखों में
मेरा मन इतना बड़ा धोखा नहीं खा सकता फिर...
देव ने कुछ क्यों नहीं कहा ,
देव तुम ऐसा नहीं कर सकते ??
क्या वह रूठना मनाना ,
वो घंटों प्यार भरी बातें,
वो चांदनी रात,
वो आलिंगन,
वो अधरों का स्पर्श ,
क्या वह सब झूठ था या सच में सिर्फ टाइम पास था ??
नहीं यह सच नहीं हो सकता , देखना राधा जब देव आएगा तो सब सही कर देगा।
राधा खुद ही प्रश्न करती और खुद ही उसका उत्तर दे देती ।
घर के सब लोग खुशियां मना रहे थे और राधा बुत बनी घूम रही थी । उसके चहरे से हंसी गायब हो गई थी।
दुबारा देव के इंतजार के अलावा उसके पास कोई रास्ता न था।
उसे घर से बाहर जाने की सख्त मनाही थी ,बेबस राधा ..!!
पर देव के प्रति उसका विश्वास अभी भी अटल था ।
शादी की तारीख पास आती जा रही थी और राधा की हालत बिना पंख की चिड़िया जैसी हो गई थी जो स्वतंत्र तो थी पर,, उड़ नहीं सकती थी।
कुछ दिनों बाद..
देव फिर आया पर.. उसने नार्मल तरीके से बात की और चला गया।
राधा का दिल अब भी मानने को तैयार न था कि देव को उसकी शादी से कोई फर्क नहीं पड़ता पर.. दिमाग ने राधा का साथ छोड़ दिया था।
मुरझाए फुल सा हो गया राधा का चेहरा पर घर में किसी को भी कोई परवाह न थी शिवाय पापा के,
अगली सुबह..
पापा ने राधा को अपने कमरे में बुलाया और.....