Nepolian Bonapart - 12 in Hindi Biography by Anarchy Short Story books and stories PDF | नेपोलियन बोनापार्ट - विश्वविख्यात योद्धा एवं राजनीतिज्ञ - भाग 12

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नेपोलियन बोनापार्ट - विश्वविख्यात योद्धा एवं राजनीतिज्ञ - भाग 12

वह अपने शक्तिशाली मित्रों को कई पत्र भेजता है, परन्तु कोई उत्तर नहीं आता। जब वह एक प्रभावशाली साथी से उत्तर देने का आग्रह करना चाहता है, तो 'सेना के लिए अच्छे सर्वेक्षण के नुस्खे' जैसी छोटी चीज़ों को भी विनम्रतापूर्वक लिखता है। प्रायद्वीप से संकेत आता है कि वृद्ध पाउली ने अपनी सहायता के लिए अंगरेजों का आह्वान किया है। कार्सिका को-फ्रांस के लिए बचाना आवश्यक है। अभियान निश्चित कर लिया गया है तथा वह उत्सुकतापूर्वक आदेश की प्रतीक्षा करता है। पन्द्रह दिनों तक विपरीत परिस्थितियों को झेलने के बाद सैन्य दल वापस टाउलन पहुंचा। फिर एक नयी निराशा! न जाने क्यों, उन्होंने उसको प्रभारी नहीं बनाया? क्या उसने टाउलन नहीं जीता, समुद्रतट की क़िलेबन्दी नहीं की और क्या यह सब कार्सिका के विरुद्ध अभियान पर नज़र रखकर नहीं किया?

प्रतिक्रिया ने उग्र रूप धारण कर लिया है। नेपोलियन पर सन्देह किया जाता है। अधिकारियों ने वैण्डी में उसे उच्च पद पर नियुक्त कर दिया। ऐसा करने का उनका उद्देश्य उसे उसके साथियों से अलग-थलग करना था। ठीक इसी समय यूनिट का सेनापति बनाकर उसका स्थानान्तरण कर दिया जाता है। सैन्य अधिकारी का यह कैसा अपमान है?

उदासीन मनोवृत्ति वाला युवा बोनापार्ट पहले की अपेक्षा अधिक गम्भीर हो जाता है। उसने इस पद को अस्वीकार करने का निश्चय कर लिया। उसने युद्ध कमीशन के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत किया, परन्तु उत्तर में उसकी जवानी को धिक्कारा गया। सक्रिय सेवा की अत्यन्त साधारण जानकारी रखने वाले अधिकारी को नेपोलियन ने तीखी दृष्टि से देखा और कहा : "युद्ध के मैदान में मनुष्य शीघ्र ही परिपक्व हो जाता है और मैं युद्ध के मैदान से ही आया हूं।" निश्चित था कि आदेशों की अवहेलना से वैसे ही गम्भीर परिणाम की अपेक्षा की जा सकती थी, जैसी कि तीन वर्ष पूर्व हुई थी।

मेरे लिए क्या करना ठीक होगा? बीमार होने की सूचना दूं अथवा अवकाश के लिए आवेदन करूं? उसने एक क्षण के लिए यह भी सोचा कि बेहतर है मैं जहां हूं, वहीं बना रहूं। पेरिस विश्व का केन्द्र है। यह सत्य है कि उसके साथ नियुक्त होने वाले मार्मेण्ट व जुनोट भी निर्धन हैं। बाउरिनी क्या कर रहा है, सट्टा ही तो खेल रहा है। बहुत अच्छा, मैं भी ऐसी कोशिश कर सकता हूं, परन्तु क्या करूं, मेरे पास साधनों की कमी है। वह मन-ही-मन सोचने लगा कि अन्तिम मसले को कितने गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया। क्या तुम सोचते हो कि बिना तोप के तुम शत्रु का मुक़ाबला सफलतापूर्वक कर सकोगे? गम्भीर आरोप लगाने वाले सालिसेटी- जिसको राज्य की एक महिला ने शरण प्रदान की थी-को वह एक पत्र में लिखता है: "तुम जानते हो कि मैंने बदला ले लिया होता, परन्तु बेहतर भूमिका किसने अदा की, तुमने या मैंने? मैं तुमसे बदला ले सकता था, परन्तु मैंने फिर भी ऐसा नहीं किया। पश्चात्ताप करने के लिए किसी अन्य स्थान में जाकर अपने देश के लाभ के लिए एकाग्रचित्त होकर सोचो। मेरे होठ कभी तुम्हारे रहस्य को उजागर नहीं करेंगे। अपने आप से सीख लो, मेरे विचारों को महत्त्व दो। तुम इन्हें महान् व उदार ही पाओगे ।

गरमी के इन सप्ताहों में वह जीवन से काफ़ी उदास है। वह उत्कण्ठा उत्पन्न करने वाली पुस्तक 'ओसन' से अत्यधिक प्रभावित है तथा इसमें उद्धृत जिन नाटकों को वह देखता है, उनके दुःखपूर्ण दृश्यों से वह स्तब्ध रह जाता है तथा रंगशाला से शीघ्र ही उठकर चला आता है, ताकि परवर्ती दुःखपूर्ण दृश्यों को देखने से उसका मस्तिष्क कांप न उठे। "इस नये ऑपेरा में बालिका को मृत्यु के मुख से बचाने के कारण पॉल व पिरजिन को प्रसन्न दिखाना कितना हास्यास्पद लगता है? परन्तु वही महिला उससे पूछती है कि "प्रसन्नता क्या है?"

"प्रसन्नता?" बोनापार्ट उत्तर देता है: "यह तो मेरे आन्तरिक गुणों का सर्वाधिक विकास है।"

इस समय मेरे सभी गुण बंजर पड़े हुए हैं, यही मेरे दुःख का कारण है। यही मेरे मन में बढ़ती हुई घृणा का व संघर्ष के प्रति मेरे झुकाव का भी कारण है। जब कोई मज़ाक़ किया जाता है, तो बोनापार्ट को छोड़कर उसके सभी मित्र हंसते हैं, परन्तु वह खामोशी में डूब जाता है। कभी-कभी वह स्थिति के बदलने व अपने अनुकूल हो जाने की प्रतीक्षा करने लगता है। प्रायः उसके होठ मुसकराने की असफल चेष्टा में प्रायः मुड़ जाते हैं। वह स्वाभिमान की कहानियों का एक अदम्य एवं अद्वितीय चरित्र है, परन्तु इन अवसरों पर उसकी हंसी खिसियानी होती है। उसे प्रायः गलियों में छोटे-छोटे क़दम भरते हुए घूमते देखा जा सकता है। वह दुबला-पतला, धीमी चाल वाला, रुग्ण तथा संकल्प-विकल्प के आवेगों से चिड़चिड़ा बना हुआ, एक पुराना गोल कनटोप पहने है तथा उसके नीचे धूल से सने हुए दो पट्टे, गले में मफ़लर, लम्बे व दस्तानों से रहित हाथ तथा तुड़े-मुड़े हुए काले रंग के ढीले-ढाले जूते पहन रखे हैं। यही है नेपोलियन बोनापार्ट।

अब वह विदेशों को सामान भेजने की योजना बना रहा है, परन्तु बासले को सामान भेजने का उसका पहला प्रयास ही असफल हो जाता है। कभी-कभी वह बैठक में जाता है; क्योंकि अपने भाई को लिखते समय बार-बार उसका ध्यान भंग हो जाता है। रंगशालाएं, पानगृह, पुस्तकालय एवं वाचनालय आदि सभी स्थान महिलाओं से भरे पड़े हैं। निस्सन्देह अत्यधिक सुन्दर लड़कियां शिक्षा प्राप्त करती हुई पायी जाती हैं। आज महिलाओं द्वारा अनुशासित होने व उनके निर्देशों का पालन करने के लिए मनुष्य विवश है। अतः यह ठीक ही है कि शासन महिलाओं के हाथों में ही हो।

जब बोनापार्ट बारस के कक्ष में जाता है, तो व्याख्यान कक्ष में तालियन व रिकेमियर जैसी सुन्दरियों के बीच खड़ा हुआ यह ठिगना, उदासीन चेहरे व झुकी हुई पीठ वाला व्यक्ति केवल अपनी चतुराई व योग्यता द्वारा ही कुछ प्रभाव डाल सकता है। तब भी वह निराला ही लगता है।

वह हमेशा अपने भाइयों को लम्बे-लम्बे पत्र लिखता है। वह लुई को सीख देते हुए लिखता है : "नवयुवक एक अच्छा सिपाही है। उसमें साहस, भावुकता, स्वास्थ्य, बुद्धिमत्ता, विश्वसनीयता, अच्छा स्वभाव आदि जैसे गुणों का संयोग है। वह निश्चित रूप से हम चारों भाइयों में सबसे अच्छा बनेगा। हममें से कोई भी शिक्षा के मामले में उसकी तुलना नहीं कर सकता।" वह सबसे छोटे भाई जैरोम को पेरिस भेजने की सोच रहा है। लूसियन के प्रति उसकी धारणा अच्छी नहीं है। उसका गुणसम्पन्न भाई उसका प्रतिद्वन्द्वी है। वास्तव में लूसियन मानव ज्ञान में नेपोलियन से प्रतिस्पर्धा करता है। वह नेपोलियन को समझने वाला पहला व्यक्ति था। ऐसा वह तब से कहने लगा था, जब नेपोलियन तेईस वर्ष का तथा वह सत्रह वर्ष का था। लूसियन ने जोसेफ़ को लिखा है : "मैंने नेपोलियन में एक ऐसे महत्त्वाकांक्षी को खोज निकाला है, जो पूर्णतः निःस्वार्थ और समाज कल्याण के प्रति समर्पित है। मेरा विचार है कि यदि वह राजा होता, तो निरंकुश राजा बनता। प्रत्येक दशा में उसका नाम राजवंश तथा संवेदनशील देशभक्तों के लिए आतंक का पर्याय होगा।" लूसियन के मुंह से ऐसा अधिकारपूर्ण भविष्यकथन केवल शब्दों तक व देश तक सीमित नहीं है। वास्तव में उसकी अपनी महत्त्वाकांक्षा भी इतनी प्रबल थी कि इस आयु में भी वह विकास के लिए अपने भाई को सर्वथा उपयुक्त समझता है। वह इस सम्भावना को नकार देता है कि नेपोलियन अपनी विशिष्टता सिद्ध करना चाहता था।

इस समय नेपालियन की भावनाएं मन्द पड़ गयी हैं। वह जोसेफ़ से ईर्ष्या करता है; क्योंकि वह धन व सुख प्राप्त कर अपना स्वतन्त्र अस्तित्व स्थापित कर चुका है। वह जोसेफ़ को प्रस्तावों व प्रारूपों के माध्यम से सहयोग देता है तथा उसे एक सम्पत्ति को कम मूल्य पर खरीदने के लिए गिरते मूल्य वाली मुद्रा के प्रयोग की सलाह देता है। राजनीतिक प्रश्नों पर लिखे गये एक पत्र में वह लिखता है: "तुम्हारा पत्र नीरस था, तुम्हें इससे बेहतर पत्र लिखने की कला सीखनी चाहिए थी।"

वह भी जोसेफ़ की तरह अपना एक घर बसाना चाहता है। बाद के प्रत्येक पत्र में बड़ी उत्सुकता के साथ वह जोसेफ़ से एक धनवान् भाभी लाने का आग्रह करता है, जिसके साथ उसके एक वर्ष से भी अधिक समय से प्रेमपत्रों का आदान-प्रदान होता रहा है। जब वह निश्चय करने में देर लगाती है, तो वह फ़ैसले के लिए उस पर दबाव डालता है। उसके भाई तथा घनिष्ठ मित्रों में से एक ने शादी कर ली है। उसके साथियों ने उच्च पद प्राप्त कर लिये हैं। केवल वही अपने विश्लेषण में नारी सम्बन्धी विचारों व काल्पनिक योजनाओं में अकेला उलझा रहा तथा कुछ भी नहीं कर सका।

वह जोसेफ़ को लिखता है: "यदि तुम लम्बे समय के लिए बाहर जा रहे हो, तो मुझे अपना फ़ोटो भेजना। हम इतने वर्षों तक एक साथ रहे हैं कि हमारे हृदय एक-दूसरे के साथ गुंथ गये हैं। तुमसे बेहतर मुझे कोई नहीं जानता। मैं बता नहीं सकता कि मैं तुम्हें कितना चाहता हूं। इन पंक्तियों को लिखते समय यह सोचकर कि हमारे पुनर्मिलन में अभी काफी लम्बा समय लगेगा, मैं अत्यधिक भावुक हो गया हूं, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। अलविदा, मेरे भाई!"

नेपोलियन भावुक मनःस्थिति का व्यक्ति है तथा कई बार वह बहुत निराश प्रतीत होता है। "क़दम-क़दम ऊपर की ओर चढ़ना, स्वयं को सुखी बनाने की कोशिश करने में लगे किसी भी व्यक्ति के लिए एक जोखिमभरा कार्य है।" अन्त में वह कहता है- "जीवन एक तुच्छ सपना है, जो मिट जाता है।"