Nepolian Bonapart - 5 in Hindi Biography by Anarchy Short Story books and stories PDF | नेपोलियन बोनापार्ट - विश्वविख्यात योद्धा एवं राजनीतिज्ञ - भाग 5

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नेपोलियन बोनापार्ट - विश्वविख्यात योद्धा एवं राजनीतिज्ञ - भाग 5

कार्सिका में एक वर्ष तक आर्थिक परेशानी झेलने व परिवार की देखरेख करने के बाद भी नेपोलियन निराशा से उभर नहीं सका। यही कारण था कि वह वेलैंस न जाकर वापस आक्सोन लौट गया। ऐसे परिवर्तन का क्या प्रभाव पडता?

    अन्तत उसे मान्यता मिली। उसके नये सैन्य अधिकारी ने जब यह देखा कि उन्नीस वर्ष का उसका यह कनिष्ठ अधिकारी बहुत जानकारी रखता है, तो उसने उसे कुछ विशेष कार्य सौंपे। यह कार्य कठिन गणन-क्रिया से जुड़ा था तथा दो सौ सैनिकों के इस अधिकारी को सुबह से शाम तक इस कार्य में बहुत अधिक व्यस्त रहना पड़ता था। नेपोलियन को सौंपे कार्य के अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होंने के कारण उसके कुछ उच्चाधिकारी उसके प्रति द्वेष-भाव रखने लगे। वे इस बात से क्रुद्ध थे कि उनको सौंपा जाने वाला महत्त्वपूर्ण कार्य एक लैफ्टिनेण्ट को क्यों सौंप दिया गया? उच्चाधिकारियों के मन में उसके प्रति घृणा व द्वेष का भाव उसकी प्रगति में बाधक बनेगा तथा उसके लिए कैप्टन के पद तक पहुंचना कठिन हो जायेगा, अतः वह थोड़ी-सी पेंशन राशि पर ही सेवामुक्त हो जायेगा। सेवानिवृत्ति के पश्चात् घर लौटने पर लोग उससे घृणा करेंगे, क्योंकि वह फ्रांसीसी सरकार का एक पेंशनभोगी व्यक्ति होगा। उसका देहान्त हो जाने पर उसे सन्तोष था कि कम-से-कम मातृभूमि में दफ़नाये जाने का विशेषाधिकार तो उससे नहीं छीना जा सकता, परन्तु इस सबका परिणाम क्या होगा? उसने स्वतन्त्रता के जो सपने देखे थे और पुस्तकों में जो पढ़ा था, उसका क्या होगा? जब शक्तिशाली फ्रांस अपनी दमन व बर्बर नीति को छोड़ने में असमर्थ है, तो असहाय व निर्धन कार्सिका उनकी तनाशाही के जुए को कैसे तोड़ फेंकेगा?

      इस युवा लेखक ने अपनी डायरी में अनेक नयी योजनाएं लिखी हैं। यदि ये डायरिया उसके उच्चाधिकारियों के हाथ लग गयीं, तो उसको इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी, क्योंकि इसमें सभी कुछ फ्रांस सरकार के विरुद्ध लिखा गया है। यूरोप के बारह राजाओं में सदा ही बलपूर्वक दूसरों से उनके राज्य छीनने की प्रवृत्ति रही है। इनमें से केवल एक-दो राजा ही अपवाद रहे हैं, जिन्होंने दूसरे राज्यों का बलपूर्वक अपहरण नहीं किया। इस प्रकार अपनी गोपनीय डायरी में वह उस समय को कोस रहा है, जब शासक के जन्मदिन पर अपनी सैनिक वर्दी पहनकर उसे राजा के चिरायु रहने की कामना व्यक्त करनी पड़ती है।

     उसकी जवानी का अगला वर्ष पिछले वर्ष के समान ही बीत जाता है, परन्तु नेपोलियन अपने विचारों को लिखने में व गणनक्रियाएं करने में अपनी शक्तियों को लगाकर शान्तिपूर्वक उपयुक्त समय के आने की प्रतीक्षा करता है।

     अन्त में सौभाग्य का चिर-प्रतीक्षित वर्ष आ ही गया। चिरनिद्रा में डूबे हुए राज्य के सभी क्षेत्रों में विजयनाद का स्वर सुनाई देने लगा। जून 1789 में व्याकुल हृदय इस लैफ्टिनेण्ट को लगा कि प्रतिरोध का समय निकट आ गया है।

      क्या उसे इतने लम्बे समय तक अपमानित करने वाले लोगों के प्रति उसके मन में रोष था? क्या हमने उनके सिरों पर मृत्यु की तलवार लटका दी थी? क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हज़ारों लोगों का रोष-आक्रोश द्वीप में युद्ध का रूप ले ले? वह कार्सिका के सम्बन्ध में लिखे गये अपने लेख को पाउली के पास जेल में भेजता है। उसने पाउली को सम्बोन्धित करते हुए लिखा "सेनापति, मेरा जन्म उस समय हुआ, जब मेरा देश विनाश के कगार पर था। मेरा पालना मौत से जूझते हुए व्यक्तियों से घिरा हुआ था। मेरे सम्पर्क में आने वालों में से अधिकतर लोग जीवन से निराश व रोने को विवश थे। हमारी पराधीनता का पुरस्कार दासता थी। अपने को सही सिद्ध करने के लिए मक्कार लोगों ने आप पर झूठे आरोप लगाये थे। इन्हें पढ़ते ही मेरा खून खौल उठा और मैंने उनके द्वारा उड़ायी गयी अफ़वाह को गलत सिद्ध करने का सकल्प कर लिया। अब मैं सही तथ्यों को गलत ढंग से प्रस्तुत करने वाले ऐसे नरपिशाचों के मुह पर कालिख पोत दूंगा। यदि मैं राजधानी में होता, तो कदाचित् अन्य साधन भी प्राप्त कर लेता। मेरे बालक होने के कारण यह प्रयास निष्फल हो सकता है, परन्तु सत्य के प्रति मेरी तीव्र उत्कण्ठा, देशप्रेम व साहस मेरे सहायक बनेंगे-ऐसा मेरा पक्का विश्वास है। जन्म के समय जिस बालक को आपने देखा है, इस समय उसी नवयुवक को, अपने द्वारा प्रेरित होकर कार्य करते देखकर आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। मेरी मां श्रीमती लितिज़िआ ने आपको कोर्ट में बिताये पुराने दिनों की याद दिलाने को कहा है।"

    हमें उसकी डायरी में एक नया स्वर व नये युग की उभरती हुई भावुकता व तानाशाही के विनाश करने की आतुरता के साथ-साथ सभ्य शब्दों का प्रयोग तथा सपाट अनुभव का वर्णन मिलता है। पत्र के आरम्भ में 'मैं' शब्द का प्रयोग निश्चित रूप से लेखक की विशिष्टता का संकेत है। यह 'मैं' एक महान् सकल्प के रूप में विश्व-क्रान्ति का संकेत देता है। उसका अत्यधिक आत्मविश्वास क्रमबद्धता को तोड़ने वाला है, क्योंकि नये युग के विजय-नाद अब गूंजने लगे हैं। जन्म को नहीं, बल्कि कार्य को प्राथमिकता देने वाला युग इस प्रकार की तुच्छ बाधाओं को समाप्त कर देगा। पत्र के अन्त में शिष्ट भाषा का प्रयोग करके नेपोलियन अतीत के गौरव का अनुभव करता है। वह इस तथ्य को स्पष्ट करता है तथा पाउली से रक्षा व सरक्षण की अपेक्षा करता है। उसके इन पत्रों में हमें उसकी शालीनता व बुद्धिमत्ता देखने को मिलती है।

     अतीत से परिचित पाउली, नेपोलियन के पत्र को उसकी उद्दण्डता मानकर व उससे नाराज़ होकर व्यग्यपूर्वक उत्तर देता है कि नवयुवकों को इतिहास लिखने का दुस्साहस नहीं करना चाहिए।

      पत्र भेजने के चार सप्ताह बाद नवयुवकों ने अठारहवीं शताब्दी में पहली बार इतिहास बनाना प्रारम्भ किया। उन्होंने बैस्टील में तूफ़ान खड़ा कर दिया तथा ऐसा जबरदस्त झटका दिया कि फ्रास की सरकार अस्त्र-शस्त्रों के प्रयोग पर उतर आयी। हमारे युवा लैफ्टिनेण्ट के पर्वतीय शहर में भी जन-समूह ने जबरदस्त लूट की व इतना दगा भड़काया कि अमीर वर्ग अपनी सेना सहित युद्ध करने के लिए विवश हो गया।

      बोनापार्ट अपने साथियों के साथ गलियों में खड़ा होकर लोगों को गोली मारने में उनकी सहायता करने लगा। यही पहला अवसर था, जब उसने खूब खुलकर गोलिया चलायीं। निस्सन्देह वह राज्य के अधिकारियों से आदेश प्राप्त करके ही कार्य करता था, परन्तु इस तथ्य में भी सन्देह का कोई अवकाश नहीं कि वह जिस जन-समूह से घृणा करता था, उसके विरुद्ध अमीरतन्त्र की तरह ही पूरे मनोयोग से जूझता भी था।

      उसने विदेशी लोगों के फ्रांस के विरुद्ध विवाद को अधिक महत्त्व नहीं दिया। वह फ्रांसीसियों के विरुद्ध उठने वाले सभी हाथों का सम्मान करता है। उसके मस्तिष्क में केवल एक विचार भड़क रहा है कि 'कार्सिका के दिन बदलने वाले' हैं। भले ही उसका यह पागलपन हो या दुस्साहस, एक आदर्श हो या केवल अन्धी दौड़, इससे उसे कोई अन्तर नहीं पड़ता। उसे तो मातृभूमि की सेवा के लिए दिये गये इस आदेश का पालन करना है। छुट्टी का आवेदन दो व नये आन्दोलन के छिड़ने तक घर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बनो।