Zom-Bai - 3 in Hindi Thriller by Tabish Sultan books and stories PDF | Zom-Bai - 3

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Zom-Bai - 3

रुहान नीचे ज़मीन पर गिरा हुआ था, वो जैसे ही उठा उसके पांव को मेजर अक्षय के ज़ॉम्बी ने पकड़ लिया ।वो अपने पैरों को छुड़ाने के लिए तेजी से झटक रहा था। जब जोंबी की ग्रिप टाइट हो गयी तो रुहान ने पूरी ताकत से अपने अपने पैरों को झटका, झटकने की वजह से ज़ॉम्बी के हाथ से रुहान का पैर छूट गया ।

रुहान जल्दी से उठा और बाहर के दरवाज़े की तरफ भागने लगा ।ज़ॉम्बी उसके पीछे पीछे भाग रहा था, बाहर दरवाज़े पर टंगे पर्दे में अचानक से रूहान का हाथ फंस गया । इधर मौका पाते ही ज़ॉम्बी तेज़ी से उसकी तरफ लपका लेकिन किसी तरह जल्दी जल्दी से रुहान ने अपने हाथ को पर्दे से छुड़ाया और फ़ौरन उसी परदे की आड़ में छुप गया। ज़ॉम्बी रुहान को ढूढंने की कोशिश कर रहा था, लेकिन छुपने में माहिर रुहान को ज़ॉम्बी ढूढं नहीँ पाया।

थोड़ी देर बाद ज़ॉम्बी वहाँ से चला गया। रुहान ने मौका देखकर वहाँ से निकलने की सोची, उसने धीमे धीमे क़दमो से अपने कदम बढ़ाये और फ्लैट के दरवाज़े के पास पहुँच गया। वो जैसे ही फ्लैट के दरवाज़े पर पंहुचा, तभी उसी ज़ॉम्बी ने उसे पीछे से आकर पकड़ लिया।रुहान छुड़ाने की भरपूर कोशिश कर रहा लेकिन ज़ोंबी की पकड़ इतनी मजबूत थी कि रूहान टस से मस ना हो पाया। ऐसा लग रहा था कि अब बस वो ज़ोंबी रूहान को अपना शिकार बना लेगा, रूहान ने अपनी तरफ से पूरा ज़ोर लगाया और ज़ोंबी की पेट पर एक जमकर मुक्का दिया, जिससे ज़ोंबी की पकड़ ढीली हो गई और पकड़ ढीली होने की वजह से  रूहान को ज़ोंबी के चंगुल से आज़ादी मिल गई।

फिर रुहान तेज़ी से उस ज़ॉम्बी की तरफ मुड़ा और उसके सामने गन तान दी, वो ज़ॉम्बी धीरे धीरे उसकी तरफ आगे बढ़ रहा था। तभी अचानक से तेज़ गोली चलने की आवाज़ आयी। रुहान ने उस ज़ोंबी के सिर पर गोली मार दी थी।ज़ॉम्बी तड़प तड़प कर नीचे गिर गया ।

रुहान को रोना आ रहा था लेकिन किसी तरह उसने खुद को सम्भाला, वो फिर से घर के अंदर आ गया था।

उसने अपने स्कूल बैग से सारी किताबें निकाल दी थी और बैग को खाली कर अपने लिए कुछ कपड़े और थोड़ी बहुत खाने पीने का सामान उसमें भर लिया था। वो फिर बेडरूम की तरफ बढ़ा, बेड रूम पर रखी हुई डेस्क पर फैमिली फोटोग्राफ रखा हुआ था।उसने फ्रेम से वो फोटोग्रॉफ निकाला और अपने हॉफ पैंट की पाकेट में रख लिया ।

वो धीरे धीरे फ्लैट के दरवाज़े पर आ गया , उसने एक बार पूरे मन से अपने घर को देखा, उसकी यादें ताज़ा हो गयी । वो यही सोचने लगा  कि अभी थोड़ी देर पहले उसके साथ उसके मम्मी पापा थे लेकिन अब उसके साथ अब कोई नहीं है। अब उसे अकेले ही निकल कर बचना होगा।उसने जैसे ही अपने कदम फ्लैट के बाहर रखे ,उसकी नज़र गैलेरी में टहल रहे 5-6 ज़ॉम्बी पर पड़ी।जैसे ही रुहान ने बाहर जाने के लिए दरवाज़े पर आहट की तो उस आहट से एक ज़ॉम्बी का ध्यान दरवाज़े की तरफ चला गया । वो ज़ॉम्बी फ़ौरन दौड़ता हुआ दरवाज़े की तरफ भागा, रुहान की नज़र जब उस पर पड़ी तो रुहान लिफ्ट की तरफ भागने की बजाय वापस घर के अंदर चला गया ।

पहले ज़ॉम्बी को दरवाज़े की तरफ भागता देख बाक़ी ज़ॉम्बी भी उसके पीछे पीछे भागने लगे थे।सभी ज़ॉम्बी अब फ्लैट में घुस गए थे, रुहान दरवाज़े के पीछे ही छुपा हुआ था। जैसे ही सभी ज़ॉम्बी अंदर घुसे रुहान बाहर निकल गया और तेज़ी से बाहर निकल कर फ्लैट का दरवाज़ा बन्द कर दिया ।उसने फिर लिफ्ट की तरफ देखा, लिफ्ट खुली हुई थी। वो फ़ौरन दौड़ कर लिफ्ट के अंदर चला गया, उसने लिफ्ट का दरवाजा बंद कर दिया।ग्राउंड फ्लोर पर जाने के लिए उसने फटाफट ग्राउंड फ्लोर का बटन दबाया। लिफ्ट चलने लगी थी, अभी लिफ्ट 3rd floor पर पहुँची ही थी कि अचानक से रुक गयी।थोड़ी देर बाद लिफ्ट का दरवाजा खुला, रुहान डरा हुआ था। वो लिफ्ट के कोने में चला गया, लिफ्ट का दरवाज़ा जैसे ही खुला उसमें एक अधेड़ उम्र का आदमी घुस आया । ये आदमी 3rd फ्लोर पर रहने वाले रमानी साहब थे। रमानी साहब भी घबरा रहे थे, उनके माथे पर भी पसीना पानी की तरह टपक रहा था।

जब वो लिफ्ट में घुसे तो रुहान उनके देखकर घबरा गया, उसे पहले लगा कि शायद रमानी साहब भी ज़ॉम्बी है और वहीं जब रमानी साहब लिफ्ट में घुसे तो वो भी रुहान को देखकर घबरा गए थे।जब रुहान को उन्होंने सही सलामत देखा तो एक लंबी राहत की साँस ली।अब लिफ्ट में रुहान और रमानी साहब थे।

9 साल के रुहान को देखकर रमानी साहब ने उससे पूछा।

"बेटा,तुम यहाँ अकेले क्या कर रहो?",

रुहान ने घबराते हुए जवाब दिया।

"अंकल, मैं यहाँ से जा रहा हूँ",

ये सुनकर रमानी साहब ने उससे पूछा।

"क्यों, तुम्हारे मम्मी पापा कहाँ हैं?",

रुहान कुछ देर के लिए चुप हो गया, फिर उसने जवाब देते हुए कहा।

"वो दोनों नहीँ रहे…..!",

फिर रमानी साहब ने उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा

" इसका मतलब तुम्हारे मम्मी पापा zombie बन गए हैं…..मेरी भी फॅमिली ज़ॉम्बी बन गयी है लेकिन कोई नहीँ बेटा तुम मेरे साथ चलना…हम दोनों किसी सेफ जगह पर चलेंगे।",

दोनों अभी बात ही कर रहे थे कि इतने में ग्राउंड फ्लोर आ गया ।रमानी साहब ने सबसे पहले अपना सिर निकाला और सिर निकाल कर पहले दाएं और फिर बाएं तरफ झांकना शुरू किया। जब उन्हें आसपास कोई नहीं दिखा तो उन्होंने हाथ की इशारे से रुहान को बाहर निकलने के लिए कहा।

" जल्दी आओ….. अभी रास्ते एकदम क्लियर है। इससे पहले की जोंबी आ जाए हमें फौरन पार्किंग तक पहुंचना होगा।"

रमानी साहब ने रुहान का हाथ पकड़ा और उसका हाथ पकड़ते हुए पार्किंग तरफ चलने लगे। पार्किंग तरफ पहुंच कर उन्होंने अपनी कार ढूंढना शुरू कर दिया  लेकिन उन्हें पार्किंग में अपनी कार नहीं दिख रही थी। उन्होंने झुंझलाते हुए कहा।

" अरे कार कहां चली गई, मैंने यही पर तो पार्किंग की थी।",

जब रमानी साहब ने थोड़ी नज़रे घुमाई तो लगभग 15-20 मीटर की दूरी पर ही उनकी कार खड़ी हुई थी।उन्होंने रुहान से कहा

"तुम यही रुको मैं अभी कार लेकर आता हूँ।",

रुहान ने हामी में सिर हिलाते हुए कहा।

"ठीक है अंकल",

वो थोड़ी दूरी पर ही खड़ा होकर अंकल का इंतज़ार करने लगा।रमानी साहब कार के अंदर बैठ गए और कार को स्टार्ट करते हुए रुहान की तरफ आने के बजाय सोसाइटी के exit gate की तरफ जाने लगें।रुहान ने उन्हें आवाज़ देते हुए कहा।

"अरे अंकल मुझे भी तो लेकर चलो, प्लीज़ !",

रमानी साहब rear image में रुहान की तरफ देखते हुए कहा।

" मैं अपनी जान बचाऊंगा की तेरी…..",

रमानी अपनी कार को तेजी से आगे बढ़ा रहे थे कि तभी उनका टायर burst हो जाता है। टायर के दगने की आवाज़ सुनकर सभी ज़ोंबी के कान खड़े हो गए, सब के सब रमानी की कार की तरफ भागकर जाने लगे थे, रमानी साहब अभी कार में ही बैठे थे कि उनकी कार को चारों तरफ से zombie ने घेर लिया था।

Zombies ने कार के दरवाज़े को ज़ोर ज़ोर से मारकर तोड़ दिया  और कार में बैठे रमानी साहब को पकड़कर खींच लिए, फिर सबसे पहले उनके दाएं कान और उसके बाद बाएं कान को दरिंदगी से नोच लिया था।

रुहान ये सब पार्किंग से छुपकर देख रहा था।अब exit gate पर भी zombies आ गए थे।अब वो वहाँ से कैसे निकले वो इस सोच में पड़ गया था।पार्किंग की तरफ से कुछ zombies जा रहे थे, उन्हें देखकर रुहान फ़ौरन एक कार के पीछे छुप गया।सोसाइटी के compound में खून ही खून फैला हुआ था।

रुहान सोसाइटी से बाहर निकलने के लिए अपनी नज़रे इधर उधर दौड़ा रहा था, तभी उसकी नज़र पार्किंग से सटी हुई दीवार पर पड़ी, ये दीवार बाहर की रोड़ की तरफ जाती थी।

रुहान ने देखा कि दीवार हल्की से टूटी हुई थी, वो दीवार की तरफ जाने लगा कि तभी…….

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