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Episode#2 फ्लैट नंबर 505
सारिका के फोन पर फिर से उसी नंबर से कॉल आयी।फोन के दूसरी तरफ से रुहान की ही आवाज़ थी। उसने फोन पर रोते हुए कहा।
"मम्मी , यहाँ पर सब एक दूसरे को मार कर खा रहे हैं।मुझे बहुत डर लग रहा है।"
सारिका भी काफी घबरा रही थी, उसने किसी तरह से रुहान को समझाते हुए कहा।
"बेटा…बेटा डरो नहीँ….तुम्हारे पापा किधर है?",
रुहान ने रोते हुए ही कहा।
"मम्मी पापा कार चला रहे हैं और ये फोन एक अंकल का था।जिनको किसी दूसरे अंकल ने मार कर खा लिया था।"
सारिका ने घबरा कर कहा।
"बेटा, तुम लोग जल्दी से घर आओ",
थोड़ी देर बाद रुहान और मेजर अक्षय सोसाईटी कंपाउंड में पहुँच गये थे।दोनों ने जैसे ही सोसोईटी के गेट से एंट्री ली कि उनकी कार पर thudd से एक लाश गिरी, लाश गिरने की वजह से मेजर अक्षय ने अचानक से ब्रेक मार दिया था। जिसकी वजह से वो लाश नीचे गिर गयी थी।अचानक से लाश ज़ॉम्बी बन गई थी।
वो ज़ॉम्बी मेजर अक्षय की कार की तरफ ही बढ़ रहा था।मेजर अक्षय ने अपनी कार पीछे की और तेज़ी से accelerator लेकर उस ज़ॉम्बी पर पूरी गाडी चढ़ा दी।मेजर अक्षय ने उसी स्पीड से गाड़ी चलाकर पार्किंग पर खड़ी कर दी थी। अब उसकी सोसाइटी के लोग धीरे-धीरे ज़ॉम्बी बनने लगे थे।
सोसाइटी में पूरी तरह से अफरा-तफरी मची हुई थी। लोग चीख-पुकार करके इधर-उधर अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे।छुप छुपकर किसी तरह से मेजर अक्षय और रुहान सोसाइटी की लिफ्ट की ओर पहुँचे, लिफ्ट की बाहर ही एक लाश पड़ी हुई थी। वो लाश बस अब ज़ॉम्बी बनने वाली ही थी कि रुहान और मेजर अक्षय फ़ौरन लिफ्ट में घुसकर उसे बन्द कर दिया था।
मेजर अक्षय का फ्लैट 5वें फ्लोर पर था, लिफ्ट पाँचवे फ्लोर पर रुकी। पांचवे फ्लोर पर काफी सन्नाटा था यानी अभी तक ज़ॉम्बी इस फ्लोर तक नहीँ पहुँचे थे।
पांचवे फ्लोर पर कदम रखते ही मेजर अक्षय ने राहत की साँस ली,उन्होंने रुहान का हाथ कसकर पकड़ा और फ़ौरन अपने फ्लैट की तरफ तेज़ी से भागने लगे।मेजर अक्षय और रुहान जैसे ही अपने फ्लैट के दरवाज़े के पास पहुँचे तो उन्होंने देखा कि फ्लैट का दरवाजा हल्का खुला हुआ था। जब मेजर अक्षय ने दरवाज़े को धीरे से अंदर की तरफ धेकेला तो सामने का मंजर देखकर उनकी साँसे रुक गयी थी।
रुहान तेज़ी से चिल्लाने जा रहा था, उसकी चिल्लाहट गूँजे न इसलिए मेजर अक्षय ने उसके मुंह को दबा दिया था।
सामने सारिका की लाश फर्श पर पड़ी हुई थी और एक ज़ॉम्बी उसे नोच नोचकर खा रहा था।जैसे ही उस ज़ॉम्बी को दरवाज़े पर आहट सुनाई दी, उसने फ़ौरन अपनी गर्दन घुमाकर देखा तो उसे मेजर अक्षय और रुहान नज़र आ रहे थे। वो फ़ौरन उनकी तरफ लपका मेजर अक्षय किसी तरह खुद को और रुहान को बचाते हुए अंदर बेडरूम की तरफ भागे। मेजर अक्षय ने बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया था, फिर वो cupboard से अपनी गन ढूढंने लगें।उन्होंने गन को हाथ में लिया और रुहान से कहा।
"रुहान, तुम इस अलमारी में छुप जाओ और जब तक मैं ना कहूं तब तक अलमारी से बाहर ना निकलना चाहे कुछ भी हो जाए।",
रुहान ने हामी भरते हुए कहा
"जी, पापा.. लेकिन पापा प्लीज जल्दी आएगा। मु..मुझे बहुत डर लग रहा है।",
मेजर अक्षय ने रुहान के माथो को चूमा और चूमते हुए कहा।
"मेरा बहादुर बेटा, हमेशा याद रखना डरना नहीँ और दुश्मनों का डटकर मुकाबला करना।",
रुहान के आँखों में आंसू आ रहे थे।इस घंटे में उसने अपनी आंखों के सामने काफी कुछ देख लिया था। इस एक घंटे में उसने अपनी मां को खो दिया था और उसकी नजरों से उसके पापा भी दूर जा रहे थे।
मेजर अक्षय ने रुहान को अलमारी में बंद कर दिया था और गन लेकर उस ज़ॉम्बी को मारने चले गए थे।
मेजर अक्षय ने जैसे ही दरवाजा खोला, वो जोंबी उन पर टूट पड़ा। मेजर अक्षय ने गन के बट से जोंबी के सिर पर मारा, चोट की वजह से जोंबी नीचे गिर गया था। फिर मेजर अक्षय ने उसके पेट पर लगातार दो गोलियां मारी, गोली लगने से वो ज़ॉम्बी मर गया था। उस जोंबी को मारकर मेजर अक्षय अपनी पत्नी सारिका की लाश की तरफ जाने लगे थे, तभी वो जोंबी फिर से जिंदा हो गया । उसने मेजर अक्षय को पीछे से पकड़ लिया , वो मेजर अक्षय को बस काटने ही वाला था कि उससे पहले ही उनकी चीखें निकल गयी। उनके पैरों पर किसी दूसरे ज़ॉम्बी ने काट लिया था और ये ज़ॉम्बी कोई और नहीं बल्कि उसकी पत्नी सारिका थी।
मेजर अक्षय ने उस जोंबी के सिर पर गोली मारी जिसने उन्हें पीठ से पकड़ा हुआ था। फिर उन्होंने अपनी गन दूसरे ज़ोंबी यानी सारिका की तरफ तानी, सारिका धीरे-धीरे उनकी तरफ बढ़ रही थी और मेजर अक्षय पीछे पीछे जा रहे थे।
मेजर अक्षय की आंखों में आंसू आ गए थे, गोली मारने से पहले उनके हाथ कांप रहे थे। सारिका धीरे-धीरे उनके और करीब आ गई थी, अब मेजर अक्षय और सारिका के बीच की दूरी में सिर्फ कुछ सेंटीमीटर का ही फ़ासला था। मेजर अक्षय ने अपने आंसुओं को पूछा और हिम्मत जुटाते हुए सारिका के सिर पर गोली मार दी।
मेजर अक्षय को अब चक्कर आ रहा था, तभी अचानक से उन्हें रुहान याद आया। घबराते हुए मेजर अक्षय ने खुद से कहा।
"अक्षय खुद को संभालो, तुम्हें कुछ नहीं होगा…… रुहान…रुहान मुझे फ़ौरन उसको यहां से निकालना होगा।",
इतना कहते ही मेजर अक्षय अपने बेडरूम में आ गए थे और अलमारी खोलकर उन्होंने रुहान को बाहर निकाला। रूहान ने जैसे ही अपने पिता मेजर अक्षय को देखा तो उनसे लिपट कर गले लग गया और गले लगकर फूट-फूट कर रोने लगा।
मेजर अक्षय के चेहरे पर पसीना आ गया था और उनकी सांसे भी उखड़ रही थी। हाँफते हाँफते मेजर अक्षय ने रुहान से कहा।
"ये….ये गन तुम लो और गन लेकर जल्दी से …..जल्दी से मेरे सिर पर गोली मारो।",
अपने पिता मेजर अक्षय की ये बात सुनकर रुहान ने अपने कदम पीछे कर लिए थे। उसने गन लेने से मना कर दिया था। मेजर अक्षय ने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा।
"देख बेटा….मेरी… मेरी बात मान…. मेरे पास वक्त बहुत कम है।",
मेजर अक्षय ने ज़बरदस्ती रुहान के हाथों में गन दे दी थी। रुहान ने मेजर अक्षय से से गन तो ले ली थी लेकिन वो उन्हें मारना नहीं चाहता था। रुहान फ़ौरन बेडरूम से भागकर हॉल की तरफ आ गया था, हॉल में घुसते उसने देखा कि उसकी मां सारिका की लाश पड़ी हुई थी और सारिका पूरी तरह से ज़ॉम्बी में बदल गई थी। रुहान अंदर से बहुत डरा हुआ था, उसे रोना भी बहुत आ रहा था लेकिन उसे अपनी जान भी बचानी थी।
मेजर अक्षय की साँसे अभी चल रही थी, वो भी रुहान के पीछे पीछे बेडरूम से निकलकर हॉल की तरफ भागे। रुहान सारिका की लाश के पास ही खड़ा था। मेजर अक्षय ने रुहान से थोड़ी दूरी बना ली थी, उन्होंने रुहान से हाँफते हाँफते कहा।
"रुहान…. मेरी बात… प्लीज मान जा। इस तरह …पापा को मत परेशान कर.. मार दे गोली मेरे सिर पर….मार दे।",
रुहान ने रोते रोते मेजर अक्षय को कस कर गले लगा लिया था। वो उन्होंने नहीँ छोड़ना चाहता था,मेजर अक्षय ने रुहान के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
"तुम्हारी ….ट्रेनिंग ही….अब तुम्हारे काम आएगी…तुम्म…..(screeching)...तुम्ममम्म(loud screeching)
अचानक से मेजर अक्षय की आवाज़ बन्द होने लगी थी।मेजर अक्षय ज़ॉम्बी बनने में सिर्फ कुछ seconds दूर थे।रुहान डर कर दूर हट गया, मेजर अक्षय अब पूरी तरह से ज़ॉम्बी बन गए थे। वो रुहान के करीब आ रहे थे, रुहान पीछे पीछे जा रहा था।रुहान ने जैसे ही एक कदम और पीछे किया वो सारिका की लाश से टकराकर नीचे गिर गया था।
मेजर अक्षय रुहान के बस करीब पहुँच चुके थे।
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