Tere ishq mi ho jau fana - 23 in Hindi Love Stories by Sunita books and stories PDF | तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 23

The Author
Featured Books
  • The Devil (2025) - Comprehensive Explanation Analysis

     The Devil 11 दिसंबर 2025 को रिलीज़ हुई एक कन्नड़-भाषा की पॉ...

  • बेमिसाल यारी

    बेमिसाल यारी लेखक: विजय शर्मा एरीशब्द संख्या: लगभग १५००१गाँव...

  • दिल का रिश्ता - 2

    (Raj & Anushka)बारिश थम चुकी थी,लेकिन उनके दिलों की कशिश अभी...

  • Shadows Of Love - 15

    माँ ने दोनों को देखा और मुस्कुरा कर कहा—“करन बेटा, सच्ची मोह...

  • उड़ान (1)

    तीस साल की दिव्या, श्वेत साड़ी में लिपटी एक ऐसी लड़की, जिसके क...

Categories
Share

तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 23

समीरा और अनमोल की मुलाकात

क्लास खत्म होने के बाद ,

 एक पल के लिए फिर समीरा को उस लड़के का ख्याल आया, जिसने  उसने न सिर्फ प्रोफेसर के गुस्से से उसे बचाया था, बल्कि पूरे क्लास को यह दिखाया था कि सही के लिए खड़ा होना कितना जरूरी है। जब प्रोफेसर ने गुस्से में उसे डांटा था, तब किसी ने भी आवाज नहीं उठाई थी, सिवाय उस लड़के के।

समीरा धीरे-धीरे अपनी किताबें समेट रही थी, लेकिन उसका मन किसी और बात में उलझा हुआ था। वह सोच रही थी कि क्लास के बाद उसे जाकर उस लड़के से बात करनी चाहिए। क्या वह अजीब लगेगा? क्या वह सोचेगा कि यह सब कहने की कोई जरूरत नहीं थी?

तभी उसकी नजर दरवाजे के पास खड़े उसी लड़के पर पड़ी। वह अपने कुछ दोस्तों के साथ खड़ा था, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे वह भी किसी का इंतजार कर रहा हो। समीरा ने गहरी सांस ली और अपनी झिझक को किनारे रखकर उसके पास जाने का फैसला किया।

थोड़ी झिझक, थोड़ी हिम्मत

समीरा धीरे-धीरे चलते हुए लड़के के पास पहुंची। लड़के ने उसे आते देखा, और हल्की मुस्कान के साथ अपनी बातचीत रोक दी। उसके दोस्त भी चुप हो गए और समीरा की तरफ देखने लगे।

"हाय," समीरा ने धीमी आवाज में कहा।

लड़के ने हल्के से सिर हिलाकर जवाब दिया, "हाय।"

समीरा कुछ पल चुप रही, फिर बोली, "मैं बस... तुमसे थैंक यू कहना चाहती थी। जो तुमने क्लास में किया, वो..." वह कुछ सही शब्द ढूंढने की कोशिश करने लगी, "वो सच में बहुत अच्छा था।"

लड़के ने कंधे उचका दिए, "कोई बड़ी बात नहीं थी। सही और गलत का फर्क समझना चाहिए, बस इतना ही।"

समीरा ने हल्की मुस्कान दी, "लेकिन बाकी सब तो चुप थे। किसी ने कुछ नहीं कहा, सिर्फ तुमने बोला। इसलिए... थैंक यू।"

लड़के ने सिर हिलाया, फिर बोला, "अच्छा किया कि तुम आई और बोला। ज्यादातर लोग बस सोचते हैं, कहते नहीं। वैसे, मैं अनमोल।"

"समीरा," उसने हाथ आगे बढ़ाया।

अनमोल ने हल्के से मुस्कुराते हुए उसका हाथ मिलाया, "मिलकर अच्छा लगा, समीरा।"

बातें जो जरूरी थीं

समीरा को महसूस हुआ कि अनमोल से बात करना उतना मुश्किल नहीं था, जितना उसने सोचा था। वह बहुत सहज और दोस्ताना था।

"तुमने ऐसा क्यों किया?" समीरा ने पूछा।

"क्या?"

"मेरा साथ दिया, प्रोफेसर के सामने खड़े हुए। तुम मुझे ठीक से जानते भी नहीं हो।"

अनमोल ने गहरी सांस ली और कहा, "यह जानने के लिए कि सही के लिए खड़ा होना चाहिए, किसी को जानना जरूरी नहीं होता। जब मैंने देखा कि प्रोफेसर ने सिर्फ तुम्हें टारगेट किया, तो मुझे लगा कि यह सही नहीं है। बाकी क्लास भी ध्यान नहीं दे रही थी, लेकिन सिर्फ तुम्हें ही डांट पड़ी। मुझे गलत चीजें पसंद नहीं आतीं, इसलिए मैंने बोल दिया।"

समीरा ने सिर हिलाया। वह समझ गई कि अनमोल उन लोगों में से था जो बिना किसी डर के सच का साथ देते हैं।

"अच्छा किया," समीरा ने फिर से मुस्कुराकर कहा।

अनमोल ने हंसते हुए जवाब दिया, "अगर दोबारा ऐसा हुआ, तो उम्मीद है कि तुम भी आवाज उठाओगी।"

समीरा हंस पड़ी, "शायद। अगर तुम साथ दोगे तो जरूर।"

एक नई दोस्ती की शुरुआत

अनमोल और समीरा धीरे-धीरे बातें करने लगे। क्लास खत्म होने के बाद भी वे वहीं खड़े रहे, छोटी-छोटी बातें करते हुए। समीरा को अब अनमोल की शख्सियत और पसंद-नापसंद के बारे में जानने में दिलचस्पी हो रही थी।

"तो, तुम्हें क्या करना पसंद है?" समीरा ने पूछा।

अनमोल ने सोचा, फिर जवाब दिया, "पढ़ाई के अलावा? मुझे किताबें पढ़ना पसंद है, खासकर फिक्शन। और तुम?"

"मुझे भी पढ़ना पसंद है!" समीरा की आंखें चमक उठीं। "तुम्हारी फेवरेट बुक कौन-सी है?"

"अभी तक की? शायद 'द अल्केमिस्ट'।"

समीरा चौंकी, "सीरियसली? मेरी भी!"

दोनों हंस पड़े। यह बातचीत अब सिर्फ धन्यवाद तक सीमित नहीं रह गई थी, बल्कि यह एक नई दोस्ती की शुरुआत बन चुकी थी।

"तुम हमेशा ऐसे ही लोगों के लिए खड़े होते हो?" समीरा ने हल्के मजाकिया लहजे में पूछा।

अनमोल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "जब भी जरूरी हो। और जब तक लोग खुद खड़े होने की हिम्मत न कर लें, तब तक कोई न कोई तो होना चाहिए, है ना?"

समीरा ने सिर हिलाया, "सही कहा। अगली बार, मैं खुद भी बोलूंगी।"

अनमोल ने मुस्कराकर कहा, "अच्छा रहेगा।"

अलविदा, लेकिन एक वादा के साथ

धीरे-धीरे बाकी स्टूडेंट्स भी वहां से जाने लगे। अनमोल ने अपनी घड़ी देखी, "अच्छा, मुझे अब जाना चाहिए। लेकिन फिर मिलते हैं, ठीक है?"

समीरा ने सिर हिलाया, "हाँ, जरूर। और फिर से, थैंक यू, अनमोल।"

"कोई बात नहीं, समीरा। अगली बार तुम खुद अपना साथ देना सीख जाओगी। और हाँ, अगर कभी किसी से कुछ कहना हो, तो मैं यहीं हूँ।"

समीरा ने हल्के से मुस्कुराकर कहा, "जान लिया।"

दोनों ने एक-दूसरे को अलविदा कहा और अपने-अपने रास्ते चले गए।

क्या यह बस एक छोटी-सी बातचीत थी। यह एक सीख थी, एक नई दोस्ती थी, और शायद एक नई शुरुआत भी।

बारिश की बूंदों में भीगी यादें

समीरा अभी किसी से हुई बातचीत के बारे में सोच ही रही थी कि अचानक आसमान में बादल गड़गड़ाने लगे। तेज़ हवा चली, और फिर कुछ ही पलों में भारी बारिश शुरू हो गई।

सड़क पर चलते हुए उसे एहसास हुआ कि उसके पास छतरी नहीं थी। तेज़ बारिश की बूंदें उसके चेहरे और कपड़ों को भिगोने लगीं। ठंडक महसूस होते ही वह एक दुकान के बाहर बने छोटे से छज्जे के नीचे खड़ी हो गई।

बारिश की हल्की सुगंध हवा में घुल गई थी। समीरा ने हाथ फैलाकर कुछ बूंदों को अपनी हथेलियों पर गिरने दिया। उसे बचपन के वे दिन याद आ गए, जब वह बिना किसी फिक्र के बारिश में भीगने निकल जाती थी। आज भी वैसा ही करने का मन था।

"तो, तुम बारिश में भीगने का शौक रखती हो?"

अचानक पीछे से आई आवाज़ पर समीरा ने मुड़कर देखा। अनमोल वहीं खड़ा था, उसके बालों से पानी टपक रहा था, और चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान थी।

समीरा ने हंसते हुए कहा, "कभी-कभी... जब मन करता है।"

अनमोल ने सिर हिलाया और बोला, "तो फिर इंतजार किस बात का? चलो, बारिश का मज़ा लिया जाए!"

समीरा ने थोड़ी झिझक के बाद कदम बाहर निकाला और दोनों हल्की मुस्कान के साथ बारिश में भीगने लगे। कभी-कभी ज़िंदगी के छोटे-छोटे पल ही सबसे खूबसूरत यादें बन जाते हैं।