Tere Ishq me ho jaau Fannah - 7 in Hindi Love Stories by Sunita books and stories PDF | तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 7

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तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 7

समीरा ने हल्की मुस्कान के साथ अपनी उँगलियों को उसकी हथेली पर रखा, उसकी आँखों में मोहब्बत की एक शरारती चमक थी। "अगर नहीं होती, तो क्या तुम रुक जाते?" उसने चिढ़ाने वाले अंदाज़ में कहा।

दानिश हौले से मुस्कुराया, फिर उसने अपनी नर्म उंगलियों को उसकी बाहों से होते हुए कंधों तक सरकाया। समीरा की त्वचा गर्म थी, हल्की सिहरन उसके जिस्म को कंपा रही थी।

"तुम्हारी धड़कनें तेज़ हो रही हैं," दानिश ने उसके दिल के पास अपना हाथ रखते हुए कहा।

"तुम्हारी वजह से," समीरा ने धीमे से जवाब दिया, उसकी आवाज़ में अब एक हल्की कसक थी।

दानिश ने उसके होंठों पर अपनी ऊँगली रखी, फिर झुककर उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए। हल्का-सा स्पर्श, लेकिन इतना गहरा कि समीरा ने अपनी उँगलियों को उसकी पीठ में जज़्ब कर लिया।

समीरा ने धीरे से उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फिराईं, फिर उसे और करीब खींच लिया। दानिश अब उसके बेहद पास था, उनके जिस्मों के बीच कोई फासला नहीं बचा था।

"तुम्हारे बिना यह रात अधूरी लग रही थी," समीरा ने फुसफुसाते हुए कहा।

"तो फिर इसे पूरा करते हैं," दानिश ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, और फिर उनके होंठ एक बार फिर एक-दूसरे में समा गए—इस बार और भी गहराई से, और भी बेकाबू होकर।

रात और गहरी होती गई, चाँद बादलों के पीछे छुप गया, और हवाएँ उनकी मोहब्बत के गीत गाने लगीं।

दोनों की धड़कनें एक लय में समा चुकी थीं, और उनकी प्यास अब किसी हद को नहीं पहचान रही थी…

समीरा की साँसें तेज़ थीं, उसकी हल्की काँपती उँगलियाँ दानिश की पीठ पर कस रही थीं। उसकी आँखें हल्की-सी मुंदी हुई थीं, और होंठों पर एक अनकही प्यास तैर रही थी। दानिश ने धीरे से उसकी ठुड्डी उठाई, उसके चेहरे को अपने करीब खींचा। उनकी साँसें एक-दूसरे में घुलने लगीं, और उनके बीच का फासला अब लगभग खत्म हो चुका था।

"अब भी पूछोगी कि अगर तुम नहीं होती तो मैं रुक जाता?" दानिश की आवाज़ धीमी, मगर गहरी थी।

समीरा हल्के से मुस्कराई, लेकिन उसकी आँखों में अब शरारत कम और चाहत ज़्यादा थी। उसकी उँगलियाँ दानिश की गर्दन के पास सरक गईं, उसे और करीब खींचते हुए।

"शायद नहीं..." उसने फुसफुसाकर कहा, और अगले ही पल दानिश के होंठ उसके होंठों पर थे—गर्म, नरम, और बेताब।

समीरा ने हल्की सिसकी भरी जब दानिश के हाथ उसकी कमर पर कस गए। उसकी उँगलियाँ उसके बालों में जज़्ब हो चुकी थीं, और उसका जिस्म अब पूरी तरह उसके आगोश में था। उनके बीच की गर्मी इतनी बढ़ चुकी थी कि कमरे की हवा तक बोझिल लगने लगी।

दानिश के होंठ अब उसकी जबड़े की हड्डी से होते हुए गर्दन पर उतर आए थे। वह धीरे-धीरे उसे छूता गया, जैसे हर अहसास को और गहरा करना चाहता हो। समीरा ने अपनी आँखें बंद कर लीं, उसकी उँगलियाँ अब दानिश की शर्ट के बटनों पर थीं, और उसका स्पर्श उसकी धड़कनों को और भी तेज़ कर रहा था।

"तुम्हारी त्वचा आग की तरह गर्म हो रही है," दानिश ने धीमे से उसके कान में कहा, उसकी साँसों की गर्माहट समीरा के रोंगटे खड़े कर रही थी।

"सब तुम्हारी वजह से..." समीरा ने जवाब दिया, उसकी आवाज़ अब और भी भारी और मदहोश-सी थी।

दानिश ने हल्के से उसे पलटकर दीवार के सहारे कर दिया, उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में थाम लिया। अब वह पूरी तरह उसके क़ब्ज़े में थी—नहीं, बल्कि उसकी बाहों में खुद को खोने के लिए बेताब थी।

"अब भी कुछ बाकी है?" समीरा ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा।

दानिश ने जवाब में बस उसकी खुली पीठ पर अपनी उँगलियाँ फेर दीं, एक सिहरन उसके पूरे जिस्म में दौड़ गई।

"बहुत कुछ..." दानिश ने धीरे से कहा, और उनके होंठ फिर एक-दूसरे में समा गए—इस बार और भी ज्यादा गहराई से, और भी ज्यादा बेताबी के साथ।

बाहर हवा और तेज़ हो गई थी, जैसे वे दोनों ही उसकी लय में बह रहे हों। चाँद बादलों के पीछे छुप चुका था, और रात अब और भी गहरी होती जा रही थी…

रात की गहराइयाँ

कमरे की हवा अब और भी भारी हो गई थी, उनके बीच की बढ़ती नज़दीकियों की गर्मी से बोझिल। समीरा की धड़कनें अभी भी तेज़ थीं, और दानिश का स्पर्श उसके हर एहसास को और भी तीव्र कर रहा था। उसकी उँगलियाँ अभी भी दानिश की शर्ट के बटनों पर थीं, और जैसे ही उसने पहला बटन खोला, दानिश ने उसकी कलाई पकड़ ली।

"इतनी जल्दी क्या है?" उसने धीमे से कहा, उसकी आवाज़ में शरारत और चाहत दोनों घुली हुई थीं।

समीरा ने हल्के से मुस्कुराकर उसे देखा, फिर अपनी कलाई छुड़ाकर एक और बटन खोल दिया।

"रात हमारी है, लेकिन इंतज़ार अब और नहीं होता..."

दानिश ने हल्का-सा मुस्कान दी, फिर बिना कोई और शब्द कहे, समीरा को अपनी बाहों में भर लिया। उसका स्पर्श, उसकी खुशबू, और उसकी गर्माहट सबकुछ सम्मोहित कर देने वाला था। समीरा ने अपनी आँखें बंद कर लीं जब दानिश के होंठ उसकी गर्दन पर सरकने लगे। उसकी साँसें अब और भी मदहोश करने वाली थीं।

उसकी उंगलियाँ धीरे-धीरे उसकी पीठ पर घूमने लगीं, और उसके हर स्पर्श के साथ समीरा के शरीर में एक मीठी सिहरन दौड़ने लगी। उसने अपने नाखून हल्के से दानिश की पीठ पर चला दिए, जिससे उसकी साँसें और भी भारी हो गईं।

"तुम मुझे पागल कर रही हो, समीरा..." दानिश ने धीमी मगर भारी आवाज़ में कहा, और अपनी हथेलियों से उसकी कमर को और भी करीब खींच लिया।

समीरा ने आँखें खोलीं, उसकी पलकें बोझिल थीं, मगर उसकी आँखों में एक अलग ही नशा था।

"तो फिर... खुद को रोक क्यों रहे हो?" उसने चुनौती भरे अंदाज़ में फुसफुसाया।

यह सुनते ही दानिश ने उसे हल्के से उठाया और पलंग की ओर बढ़ा। समीरा ने उसकी गर्दन के चारों ओर अपनी बाहें डाल दीं, जैसे वह खुद को पूरी तरह से उसके हवाले कर रही हो।

जैसे ही वह बिस्तर पर गिरी, दानिश उसके ऊपर झुका। उसकी उँगलियाँ अब उसकी कमर से होती हुई उसकी बाहों तक सरक रही थीं, जैसे वह हर एक इंच को महसूस करना चाहता हो।

"तुम्हारी साँसें इतनी तेज़ क्यों हैं, समीरा?" उसने धीमे से पूछा, उसकी उंगलियाँ अब उसकी खुली ज़ुल्फों में उलझ रही थीं।

"क्योंकि... तुम बहुत करीब हो..." समीरा ने आँखें मूंदते हुए कहा।

"और भी करीब आऊँ?" दानिश ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा, और बिना उसके जवाब का इंतज़ार किए, उसने अपने होंठ फिर से उसके होंठों पर रख दिए—इस बार और भी ज्यादा गहराई से, और भी ज्यादा बेताबी के साथ।

रात गहरी होती जा रही थी, हवाएँ उनकी मोहब्बत की धुन गा रही थीं, और उनके जिस्म एक-दूसरे की गर्मी में समाते जा रहे थे…