Tere Ishq me ho jaau Fannah - 8 in Hindi Love Stories by Sunita books and stories PDF | तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 8

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तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 8

रात अब अपनी पूरी शिद्दत के साथ उन दोनों के बीच सिमट रही थी। कमरे की हल्की रौशनी में समीरा की आँखें और भी चमक रही थीं, उसके होठों पर हल्की कंपन थी, और उसकी साँसें अब भी तेज़ थीं।

दानिश ने उसकी आँखों में देखा—वो आँखें जो अब पूरी तरह समर्पित थीं, जिनमें चाहत का एक अथाह समंदर था।

उसने धीरे से समीरा की हथेली को चूमा, फिर अपनी उंगलियों को उसकी उँगलियों में उलझाते हुए उसे और करीब कर लिया।

"समीरा…" उसकी आवाज़ में अब केवल चाहत ही नहीं, बल्कि एक गहरी मोहब्बत भी थी।

समीरा ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी तरफ देखा, फिर धीरे से उसके सीने पर अपना सिर रख दिया।

"तुम्हें महसूस कर रही हूँ," उसने धीमे से कहा, उसकी आवाज़ अब मदहोश करने वाली थी।

दानिश ने उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फिराईं, फिर उसकी ठोड़ी को हल्के से ऊपर उठाकर उसके चेहरे को अपने करीब कर लिया।

"बस महसूस ही करोगी, या कुछ कहोगी भी?"

समीरा ने एक गहरी साँस ली, फिर उसकी आँखों में झाँकते हुए फुसफुसाई, "मैं पूरी तरह तुम्हारी हूँ,  इस पल में, इस रात में, और हमेशा के लिए।"

यह सुनकर दानिश के होंठों पर हल्की मुस्कान आ गई। उसने उसे अपनी बाँहों में समेट लिया, और फिर उनके बीच की हर दूरी खत्म हो गई…

रात अब और गहरी हो चुकी थी। हवाएँ जैसे धीमी होकर उनके एहसासों को महसूस कर रही थीं। उनके जिस्मों की गर्मी कमरे की फिज़ाओं में घुलने लगी थी, और उनकी मोहब्बत अब किसी हद को नहीं पहचान रही थी।

उनके बीच अब सिर्फ एहसासों की बात हो रही थी—न कोई शब्द, न कोई सवाल, बस एक-दूसरे में खो जाने की बेताबी थी…

शीर्षक: सुबह की उलझन

सूरज की हल्की किरणें खिड़की से छनकर कमरे में फैल रही थीं। समीरा की पलकों पर जैसे ही रोशनी पड़ी, उसकी नींद धीरे-धीरे खुलने लगी। उसने करवट बदली और अचानक उसका हाथ किसी गर्म चीज़ से टकराया। उसकी नींद झटके से उड़ गई। उसने धीरे-धीरे आँखें खोलीं और सामने का नज़ारा देखकर उसकी सांसें अटक गईं।

उसके ठीक सामने, उसी के बिस्तर पर, एक हैंडसम लड़का लेटा हुआ था। घने, हल्के बिखरे बाल, हल्की दाढ़ी, शांत चेहरा और एक हल्की मुस्कान जैसे उसने कोई बहुत प्यारा सपना देख लिया हो। समीरा ने एक पल के लिए उसे गौर से देखा और खुद से ही बुदबुदाई, "वाओ, ये कितना हैंडसम है!"

लेकिन अगले ही पल जैसे ही दानिश ने हल्की करवट ली, समीरा को एहसास हुआ कि यह कोई सपना नहीं है। उसकी आँखें चौड़ी हो गईं, दिमाग झनझना उठा। अगले ही सेकंड वह ज़ोर से चिल्लाते हुए बिस्तर पर बैठ गई, "आआआआ!!"

समीरा की चीख सुनकर दानिश की भी नींद खुल गई। उसने हल्के से आँखें खोलीं और सिर झटकते हुए होश में आया। समीरा की घबराई हुई हालत देखकर उसके होंठों पर हल्की मुस्कान खेल गई।

समीरा जल्दी से बिस्तर के कोने में सिमट गई और पास पड़ी चादर को झट से उठाकर अपने कंधों तक ओढ़ लिया। वह खुद को ढकने की कोशिश कर रही थी, उसकी सांसें तेज़ थीं और चेहरा शर्म से पूरी तरह लाल हो गया था।

"तुम... तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" उसने घबराते हुए पूछा।

दानिश ने अपनी हथेलियाँ रगड़ीं और आलस से बिस्तर पर ही बैठे-बैठे उसकी तरफ देखा। "अरे, तुम भूल गईं? रात को तो बड़ी बेफिक्री से मुझसे बातें कर रही थीं। अब इतनी परेशान क्यों लग रही हो?" उसने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा।

समीरा ने गुस्से और शर्म से चादर को और कसकर पकड़ लिया। "त..तुम.. अपने कपड़े पहनो फौरन!" उसने काँपती आवाज़ में कहा।

दानिश ने हल्की सी मुस्कान के साथ उसकी आँखों में झांका और मज़ाकिया अंदाज में बोला, "वरना क्या? कहीं तुम फिर से बहकने न लग जाओ?"

समीरा की आँखें और बड़ी हो गईं। उसने तेजी से तकिए को उठाया और दानिश की तरफ फेंक दिया। "तुम बिल्कुल बेहूदा हो!"

दानिश हँस पड़ा, तकिया उसने आसानी से पकड़ लिया और मस्ती भरे अंदाज में बोला, "अरे अरे, इतना गुस्सा क्यों? वैसे, कल रात तो तुम बहुत प्यारी लग रही थीं, अब अचानक इतनी शरमा क्यों रही हो?"

समीरा ने गहरी सांस ली, उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसने खुद को संभाला और ज़मीन की तरफ देखा, "मुझे कुछ याद नहीं… मैं... मैं पागल नहीं हूँ!"

दानिश ने एक नकली गंभीरता के साथ सिर हिलाया, "हम्म, तो तुम्हें कुछ याद नहीं? मतलब यह भी नहीं कि तुमने मुझे कहा था कि मैं दुनिया का सबसे अच्छा लड़का हूँ?"

"क्या???" समीरा ने चौंक कर उसकी तरफ देखा।

दानिश ने मज़ाकिया अंदाज़ में आँखें घुमाईं, "और हाँ, तुमने ये भी कहा था कि तुम्हें मुझसे अच्छा कोई नहीं लगता... और अगर मैं पास आऊँ, तो तुम्हारा दिल तेज़ धड़कने लगता है..."

"झूठ! मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा!" समीरा ने गुस्से और शर्म से कहा, उसका चेहरा पूरी तरह लाल हो चुका था।

दानिश हँसते हुए उठा और अपने कपड़े पहनने लगा, "अच्छा अच्छा, मान लेते हैं कि तुमने कुछ नहीं कहा... लेकिन तुम्हारे चेहरे का रंग तो कुछ और ही कहानी बता रहा है।"

समीरा ने झटके से करवट बदली और खिड़की की ओर देखने लगी। "मैं तुमसे बात नहीं कर रही!" उसने धीरे से कहा।

दानिश मुस्कुराया, उसकी शरारती आँखें चमक रही थीं। वह समीरा के पास आया, उसके कान के पास हल्की आवाज़ में बोला, "ठीक है, लेकिन मैं तुम्हें बहुत मिस करूँगा, मिस रेड चेक्स!"

समीरा ने तेजी से उसकी ओर देखा, लेकिन तब तक दानिश मुस्कुराते हुए दरवाजे की ओर बढ़ चुका था। समीरा ने अपनी हथेलियाँ चेहरे पर रख लीं और खुद से बुदबुदाई, "हे भगवान, ये मैं कहाँ फँस गई!"

समीरा बिस्तर पर बैठी हुई थी, उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं और दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। कमरा अभी भी हल्की सुगंध से भरा हुआ था, पर्दों से छनकर आती धूप उसकी उलझन को और गहरा कर रही थी। उसने अपने सिर को दोनों हाथों से थाम लिया, हल्का-हल्का सिर दर्द हो रहा था, लेकिन इस दर्द से ज्यादा उसके मन में उठ रहे सवाल परेशान कर रहे थे।

"कल रात... आखिर क्या हुआ था?"

उसने फर्श पर पडी अपनी डर्स को देखा, बाल अभी भी बिखरे हुए थे। उसके मन में बीती रात की झलकियाँ कौंध रही थीं—शराब के ग्लास, हल्की-हल्की हँसी, धीमी आवाज़ में चल रहा संगीत, और फिर... फिर सब कुछ धुंधला। वह जितना याद करने की कोशिश करती, उतना ही उलझ जाती।

उसने बिस्तर की सिलवटों को देखा, लेकिन... क्या उसने कोई हद पार कर दी? क्या उसने नशे में ऐसा कुछ कर दिया जिसका उसे पछतावा होगा?

"नहीं, नहीं! ऐसा नहीं हो सकता..." उसने खुद को समझाने की कोशिश की।

लेकिन अगर कुछ नहीं हुआ, तो दानिश बिना कुछ कहे यूँ कमरे से निकल क्यों गया? अगर सब कुछ ठीक था, तो उसके चेहरे पर वो अजीब सा भाव क्यों था?

उसका मन और भी घबरा गया। उसने अपने हाथों को देखा, हथेलियाँ ठंडी पड़ चुकी थीं। कहीं उसने कुछ ऐसा तो नहीं कर दिया जिससे अब सब कुछ बदल जाएगा?

"मुझे उससे बात करनी चाहिए..." समीरा बुदबुदाई, लेकिन उसके कदम आगे नहीं बढ़ पाए। वह डर रही थी—सच का सामना करने से, अपने ही सवालों के जवाब सुनने से।

कमरे में सन्नाटा था, लेकिन उसके मन में हलचल मची हुई थी।