Schoolmates to Soulmates - Part 12 in Hindi Love Stories by Guddi books and stories PDF | Schoolmates to Soulmates - Part 12

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Schoolmates to Soulmates - Part 12

भाग 12 – want revenge



आदित्य थोड़ा गुस्से से - आद्रिका, जाहिर सी बात है की ये स्कूल है और हम यहाँ किस लिए आते है, पढ़ने। उसके लिए हमे क्लास में जाना पड़ता है अगर तुम्हे पढ़ना है तो चुप चाप मेरे साथ चलो और अगर नहीं पढ़ना तो घर चली जाओ। मुझे अपना टाइम वेस्ट करना बिलकुल पसंद नहीं और यह बात तुम अच्छे से जानती हो।

 

इतना कह कर वो आगे बढ़ जाता है। पीछे खड़ी आद्रिका हैरान होकर उसे देख के कहती है - ये आदित्य को हो क्या गया है? कार में भी मुझे कोई जवाब नहीं दे रहा था। क्या रीज़न हो सकता है? जो भी है में उसे अकेला नहीं छोडूंगी। क्या पता मेरी जगह कोई और उसके पास ना बैठ जाये। आदित्य के साथ तो में ही बैठूंगी।

 

फिर वो दौड़ के आदित्य के पास पहोच जाती है और आदित्य की बांहे पकड़ के चलने लगती है। आदित्य उसे एक नज़र देख कर अपना सिर ना में हिला देता है जैसे कह रहा हो की इसका कुछ नहीं हो सकता।   

 

जसदीप - अरे ये आदि कहा रह गया है, अभी तक आया नहीं।

 

रणवीर - वो तो कब का आ गया और क्लास भी चला गया। उसके पीछे पीछे वो छिपकली भी गयी है। हर वक़्त आदित्य से चिपकती रहती है। पता नहीं आदित्य इसको कैसे झेलता है?

 

पूजा - उससे क्या ही फरक पड़ता है, दोनों ही एक दुसरे को पसंद करते है।

 

तमन्ना - और आद्रिका तो वैसे भी आदित्य के आसपास किसी भी लड़की को भटकने नहीं देती। वो आदि की फॅमिली के काफी क्लोज भी है तो शायद आगे चल के इन दोनों का कुछ हो सकता है।

 

रणवीर - क्या ख़ाक क्लोज है। सिर्फ एकता आंटी ही आद्रिका को पसंद करती है। आंटी के कहने पर ही तो आद्रिका उसके के साथ कार में आती है ताकि दोनों पास आ सके। एंड यू नो व्हाट आज कार में क्या हुआ, आद्रिका पुरे रस्ते आदित्य से बाते करती रही लेकिन मजाल है जो आदित्य ने उसकी कोई बात का कोई रिएक्शन दे दिया हो।

 

जसदीप हैरानी से - क्या सच में?

 

रणवीर - हां, वो ध्यान ही नहीं दे रहा था, मतलब फुल इग्नोर। वैसे जो भी हो मुझे तो बड़ा मजा आ रहा था आद्रिका का फेस देख के, कितनी चिढ़ी हु थी वो, जैसे की किसी ने उसकी मनपसंद चीज़ छीन ली हो।

 

रणवीर की बात पर सभी हस पड़े और बाते करते करते अपनी क्लास जाने लगे.l।

 

उन सभी के जाते ही गेट के बहार बस आके रूकती है, जिसमे से मीठी, किंजल और प्रतिक बहार आते है। मीठी जैसे ही गेट के अंदर कदम रखती है तो उसके दिल में हलचल होने लगती है। एक पल रुकने के बाद वो एक गहरी सांस लेके वापिस आगे बढ़ जाती है। प्रतिक मीठी और किंजल को बाय कहकर अपनी क्लास में चला जाता है। मीठी जैसे जैसे अपने कदम बढाती है वैसे ही उसका दिल धड़क उठता है।

 

दोनों अपने क्लासरूम पहोच जाती है। मीठी एक नज़र क्लासरूम पे डालती है फिर अंदर जाने लगती है की तभी एक लड़का क्लास से बहार आ रहा था... और उन दोनों की टक्कर होने ही वाली थी की दोनों अपनेआप को संभल के अपनी जगह पर खड़े रह जाते है। मीठी ने उस लड़के की आँखों में देखा तो उसका दिल पहले से काफी तेज़ रफ़्तार से दौड़ रहा था। उसके लिए तो जैसे ये पल थम गया हो। जैसे यहाँ आसपास कोई ना हो बस उन दोनों के अलावा। वो दोनों लगातार एक दुसरे की आँखों में देख रहे थे की तभी स्कूल बेल बजती है। बेल की आवाज से दोनों होश में आते है फिर एक दुसरे नज़रे हटा देते है। मीठी उस लड़के को सॉरी कहकर अंदर चली जाती है और किंजल के पास जाके बैठ जाती है।

 

वो लड़का मीठी के जाते ही उसके होठो के कोर ऊपर की तरफ उठ जाते है और अजीब सी स्माइल करते हुए खुद से कहता है की - ओह, आखिरकार तुम आ ही गयी मिस स्कॉलर, लेकिन अब कैसे बचोगी। जो कुछ भी तुमने मेरे साथ किया उन सभी का बदला में इस साल लूंगा, कहीका नहीं छोडूंगा में तुम्हे। ऐसी आग लगाऊंगा तुम्हारी जिंदगी में जो कभी बुझ नहीं पाएगी, क्यों की इस बार में पूरी तैयारी के साथ आया हु। इस बार में हारूंगा बिलकुल भी नहीं। अब आदित्य राणा को हराना तुम्हारे लिए आसान नहीं होगा श्रेया अग्रवाल।  

 

फिर आदित्य क्लास में जाकर अपनी सीट पर बैठ जाता है। आदित्य श्रेया यानी की मीठी को गुस्से से घूर रहा था। आदित्य की नज़रो में श्रेया के लिए बेहिसाब नफरत थी। उसकी साज़िशों से अनजान श्रेया अपनी पढाई कर रही थी। उसे कुछ कुछ एहसास हो चूका की आदित्य की नज़रे उसपर ही है। क्लास में टीचर के बाद आदित्य भी अपनी पढाई करने लगा। 

 

ऐसे ही स्कूल ख़तम हुआ और सभी अपने अपने घर चले गए।

 

मीठी जिसका असली नाम श्रेया अग्रवाल है। उसके घर में सभी उसको मीठी ही कहते, क्यों की उसकी आवाज में काफी मिठास है।जितनी प्यारी वो खुद है उससे भी प्यारी है उसकी आवाज। मीठी को गाने सुनना और गाने गाना बहुत अच्छा लगता है।  


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राणा मेंशन...

 

आदित्य घर आया और बैग निकालके सोफे पे पसर गया। तभी उसके दादा चरण जी आये और सोफे पर बैठ के बोले - तो कैसा गया हमारे शहज़ादे का दिन?

 

आदित्य - ग्रेट दादू

 

चरण जी उसके सिर पे हाथ फेरते हुए - लगता है काफी थक गए हो। कुछ हुआ है क्या स्कूल में? अगर किसी ने डांटा हो या किसी ने तुमसे लड़ाई की हो तो हमे उसका नाम बताओ, हम अच्छे से खबर लेंगे उसकी।

 

आदित्य - नो दादू, ऐसा कुछ नहीं हुआ और वैसे भी किसी में इतनी हिम्मत नहीं की चरण राणा के पोते के खिलाफ जाये, उसे अपनी जिंदगी थोड़ी न ख़राब करनी है।

 

चरण जी हस्के बोले – ये बात तो बिल्कुल सच कही तुमने। भला अपने ही स्कूल में कौन तुम्हे चैलेंज करने की हिम्मत करेगा?

 

दोनों हसने लगते है की तभी दरवाजे से एक प्यारी सी आवाज आती है - आप दोनों मुझे भूल गए, मुझे तो इस घर में कोई प्यार ही नहीं करता।

 

ये सुनके दोनों दरवाजे की और देखते है और मुस्कुराने लगते है...  

 

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राधे राधे...


कहानी अभी जारी है...