सिंहासन हवेली: मुंबई के डॉन का खतरनाक मगर खूबसूरत महल
मुंबई के सबसे पॉश इलाके में, अरब सागर के किनारे, एक ऐसी हवेली खड़ी है जो बाहर से किसी शाही महल जैसी लगती है, लेकिन अंदर की दुनिया एक अलग ही कहानी बयां करती है। इसे लोग सिंहासन हवेली के नाम से जानते हैं—डॉन का गढ़, जहां सिर्फ ताकत और वफादारी की इजाजत होती है।
भव्य प्रवेश द्वार
हवेली के ऊँचे, काले लोहे के फाटक पर सुनहरे शेर उकेरे गए हैं—डॉन की हुकूमत और उसकी ताकत के प्रतीक। गेट के दोनों ओर आग उगलते ड्रैगन जैसी आकृतियाँ बनी हैं, जो इसे और भी रहस्यमयी और डरावना बनाती हैं। फाटक खुलते ही सफेद संगमरमर की एक लंबी सड़क दिखती है, जिसके दोनों ओर विदेशी पेड़ों की कतारें और महंगे फूलों की क्यारियाँ हैं। जैसे ही कोई आगंतुक अंदर दाखिल होता है, उसे इस जगह की भव्यता का अंदाजा हो जाता है, लेकिन साथ ही एक अनजाना डर भी महसूस होता है।
मुख्य हॉल: ताकत और रुतबे का प्रतीक
हवेली का मुख्य हॉल विशाल और शाही है। छत पर टंगा विशाल क्रिस्टल झूमर रोशनी को सोने की तरह बिखेरता है। दीवारों पर दुनिया के सबसे महंगे तेल-चित्र लगे हैं—कुछ क्लासिकल पेंटिंग्स, कुछ रहस्यमयी। चारों ओर ग्रीक और रोमन मूर्तियाँ रखी हैं, जो इस जगह को एक ऐतिहासिक और गंभीर लुक देती हैं। फर्श पर बिछी ईरानी कालीनें, सोने-चाँदी से जड़े फर्नीचर और दीवारों पर उकेरी गई बारीक नक़्क़ाशी हवेली की बेमिसाल शान की गवाही देती हैं।
डॉन का दरबार
हॉल के ठीक बीच में डॉन का दरबार है—एक काले और लाल मखमली सोफे पर वह बैठता है, जिसकी पीठ के पीछे सोने से बना एक विशाल सिंह उकेरा गया है। यह सिंह केवल एक शोपीस नहीं, बल्कि इस जगह की सत्ता का प्रतीक है। डॉन की कुर्सी के दोनों ओर सजे दो विशालकाय बाघों की मूर्तियाँ जैसे आगंतुकों को चेतावनी देती हैं—यहाँ कदम रखने से पहले सोच लो!
रहस्यमयी बार और सीक्रेट रास्ते
हॉल के दाईं ओर शीशे से ढकी एक शानदार बार है, जिसमें दुनिया की सबसे महंगी शराबों की बोतलें करीने से सजी हैं। लेकिन इस बार में सिर्फ कुछ खास लोग ही अपनी पसंदीदा ड्रिंक चख सकते हैं। दूसरी ओर, एक विशाल फ्रेंच खिड़की सीधे समुद्र की लहरों का नज़ारा देती है, जो इस हवेली को और भी शानदार बनाती है।
लेकिन असली राज़ हवेली के गुप्त रास्तों में छिपा है। ऊपरी मंजिलों पर बुलेटप्रूफ खिड़कियाँ हैं, और हवेली के भीतर कई गुप्त दरवाजे छुपे हैं, जिनसे डॉन किसी भी खतरे की आहट पाते ही गायब हो सकता है। हवेली के तहखाने में एक भूमिगत रास्ता भी है, जो सीधे समुद्र तक जाता है—भागने का आखिरी रास्ता।
डर और राज का साम्राज्य
हवेली में एक अजीब-सा सन्नाटा पसरा रहता है। हर कोने पर काले सूट में खड़े बॉडीगार्ड्स किसी भी अनजान चेहरे पर पैनी नजर रखते हैं। गलियारों में लगे सीसीटीवी कैमरे हर हरकत को रिकॉर्ड करते हैं। यहाँ गलती की कोई गुंजाइश नहीं—एक गलत कदम और इंसान या तो हवेली से बाहर ही नहीं निकलता या फिर लौटने के लिए बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
कौन आ सकता है यहाँ?
सिंहासन हवेली में कदम रखने का हक सिर्फ उन्हीं को मिलता है, जिन्हें खुद डॉन बुलाता है। जो यहाँ आता है, वो या तो सोने और हीरों से लदा वापस जाता है… या फिर हमेशा के लिए गायब हो जाता है!
दानिश की मां VS दादी
(हॉल का दृश्य – अफरा-तफरी का माहौल)
(सजावट से सजा हुआ हॉल, चारों तरफ नौकर-नौकरानियां दौड़-भाग कर रहे हैं। कोई फर्श चमका रहा है, कोई पर्दे झाड़ रहा है, तो कोई कुशन सही कर रहा है। बीच में खड़ी दानिश की मां सब पर हुक्म चला रही है।)
दानिश की मां (आदेशात्मक लहजे में, हाथ में रुमाल लहराते हुए):
"अरे जल्दी करो! वो गुलाबी वाले कवर लाओ! हां, वही जो मैंने पिछले हफ्ते खरीदे थे। और ये टेबल का शीशा...! उफ्फ, इतने दाग? अरे, कोई साफ़ करो इसे!"
(एक नौकर हड़बड़ाते हुए शीशा पोंछता है, लेकिन घबराहट में और भी गड़बड़ कर देता है। दूसरी तरफ एक नौकरानी पर्दे बदल रही होती है, लेकिन अचानक कुर्सी से फिसल जाती है! दानिश की मां झट से पलटकर घूरती है।)
दानिश की मां (आंखें चौड़ी करते हुए):
"हे भगवान! तुम लोगों से कोई काम ढंग से होता भी है या नहीं?"
(फिर खुद को शांत करते हुए एक गहरी सांस लेती हैं और नखरे से कहती हैं)
"आज मेरी सहेली लादन आ रही है! कितने दिनों बाद मिलूंगी उससे! उसका खानदान बिल्कुल हमारे खानदान जैसा है—शानदार, परंपराओं से भरा हुआ, और सबसे बढ़कर, हमारा लेवल मेंटेन करने वाला!"
(सभी नौकर घबराकर सिर हिलाते हैं और तेजी से काम में जुट जाते हैं। तभी... एक सधी हुई, हल्की मगर असरदार आवाज़ आती है!)
(दादी की एंट्री – व्यंग्य का आगाज!)
(हॉल के दरवाजे से दादी प्रवेश करती हैं। सफेद साड़ी, चश्मा, और हाथ में छड़ी—रुतबा बरकरार! उनके साथ एक नौकरानी है जो धीरे-धीरे उन्हें सहारा देकर सोफे तक ले जाती है।)
(दानिश की मां, जो अभी तक अपने आदेशों में मग्न थी, दादी की मौजूदगी महसूस करके थोड़ा सतर्क हो जाती है, लेकिन खुद को कूल दिखाने की कोशिश करती है।)
(दादी आराम से सोफे पर बैठती हैं, और धीरे से मुस्कुराते हुए बोलती हैं, उनके चेहरे पर शरारती चमक साफ झलक रही है।)
दादी (हल्की मुस्कान के साथ, चाय का कप उठाते हुए):
"बहू, जब तेरी सहेली इतने दिनों बाद आ रही है, तो उसके लिए सबसे अच्छी जगह साफ कर लेना।"
(दानिश की मां थोड़ा चौंक जाती है। उसे उम्मीद नहीं थी कि आज दादी इतनी अच्छी बात करेंगी! अंदर ही अंदर सोचती है—'मां जी और मेरी हेल्प? वाह! आज सूरज पश्चिम से निकला है!')
दानिश की मां (हल्का मुस्कुराते हुए, थोड़ा चकित होकर):
"अरे, मां जी! आप भी कितना ध्यान रखती हैं! सच में, बताइए न, कौन-सी जगह?"
(ट्विस्ट इन द टेल – दादी का पंचलाइन अटैक!)
(दादी धीरे से चाय की चुस्की लेती हैं, फिर चश्मे को थोड़ा एडजस्ट करती हैं, और चेहरे पर वही पुरानी, नटखट मुस्कान लाकर कहती हैं...)
दादी (शरारती हंसी के साथ):
"तेरा खाली दिमाग!"
(कुछ सेकंड के लिए कमरे में सन्नाटा छा जाता है। दानिश की मां की मुस्कान गायब! वह एक पल के लिए कुछ समझ नहीं पाती, लेकिन जैसे ही पंचलाइन उसके दिमाग में उतरती है, उसका चेहरा लाल पड़ जाता है! गुस्सा और झुंझलाहट उसके चेहरे पर एक साथ उभर आते हैं!)
(रिएक्शन शॉट – माहौल ठहाकों से भर जाता है!)
(दानिश की मां गुस्से में दादी को देखती है, लेकिन शब्द नहीं निकलते! अंदर ही अंदर खौल रही है, लेकिन बाहर से कुछ कह भी नहीं पा रही! उसकी आंखों में ‘मां जी, आपको तो मैं देख लूंगी’ वाला एक्सप्रेशन साफ झलक रहा है!)
(दादी, जैसे कुछ हुआ ही न हो, आराम से अपनी चाय की चुस्की लेती हैं और हल्के-हल्के सिर हिलाती हैं, जैसे वह पूरी तरह निर्दोष हों!)
(पीछे खड़े नौकर और नौकरानियां अपनी हंसी रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी आंखों की चमक बता रही है कि वे अंदर ही अंदर कितना मज़ा ले रहे हैं!)