Tere ishq mi ho jau fana - 11 in Hindi Love Stories by Sunita books and stories PDF | तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 11

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तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 11

दानिश का कमरा, हल्की रोशनी, एक हल्का सुगंधित माहौल।


दानिश अलमारी में कुछ तलाश रहा था, जब उसे अचानक अपने सीने पर कुछ भारी महसूस हुआ। उसने नीचे नज़र डाली तो देखा कि दो कोमल हाथ, जिनके नाखूनों पर लाल नेलपॉलिश थी, उसके सीने पर टिके हुए थे।

वो हल्का सा मुस्कुराया, फिर बिना देर किए उन हाथों को अपने हाथों से पकड़कर और कस लिया।

तभी उसके कानों में एक मीठी सी सिसकी पड़ी—
"तुमने मुझे पहचान लिया, डार्लिंग?"

उसकी सांसों में एक हल्की गर्माहट घुल गई। वह जानता था, ये आवाज़ किसी और की नहीं, रिटा की थी।

"अफ्कॉर्स, रिटा डार्लिंग," दानिश ने उसकी कोमल कलाई पकड़कर उसे सामने खींच लिया।

रिटा उसकी बाहों में थी, उसकी आँखों में हल्की शरारत और चाहत की लहरें थीं। दानिश ने बिना एक पल गँवाए, उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब कर लिया।

रिटा की साँसें तेज़ हो गईं,

"तुम हमेशा इतनी ही खूबसूरत लगती हो," दानिश ने फुसफुसाया, उसकी उँगलियाँ रिटा की कमर पर एक लय में चलने लगीं।

रिटा ने हल्की मुस्कान के साथ उसके कॉलर को पकड़ा और अपने नर्म होंठों को उसके करीब लाकर धीरे से कहा—
"और तुम हमेशा इतने ही पागल,"

इसके बाद कमरे में सिर्फ़ धड़कनों की आवाज़ थी, एक नशीली ख़ामोशी, और दो धड़कते दिल...

दानिश की पकड़ जैसे ही मजबूत हुई, रिटा की साँसें और गहरी हो गईं। उसकी आँखों में हल्की शरारत थी, लेकिन उनमें एक चाह भी थी—वो चाह जो दानिश के करीब आने की थी, उस एहसास को पूरी तरह महसूस करने की थी, जो उसे हमेशा दानिश की बाहों में मिलता था।

दानिश ने उसकी कमर पर अपनी पकड़ और कस ली, उसकी नर्म त्वचा की गर्माहट को अपनी उँगलियों में महसूस करते हुए। रिटा ने हल्के से अपनी आँखें बंद कर लीं, जैसे उसकी हर नस इस लम्हे को समेट लेना चाहती हो।

"रिटा..." दानिश की आवाज़ एक फुसफुसाहट से ज़्यादा नहीं थी, मगर उसमें चाहत का ऐसा जादू था कि रिटा के होंठों पर एक हल्की कंपकंपी दौड़ गई। उसने अपनी उंगलियों से दानिश के कॉलर को और खींच लिया, उनके चेहरे इतने करीब आ गए कि दोनों की साँसें एक-दूसरे में घुलने लगीं।

रिटा के गुलाबी होंठ हल्के से कांपे, उसकी आँखों में हल्की लज्जा थी, मगर उससे कहीं ज्यादा एक अजीब-सी कशिश थी। दानिश ने अपनी उंगलियों को उसकी पीठ पर धीरे-धीरे फिराया, और जैसे ही उसने अपनी उंगलियों की पकड़ थोड़ी कसकर उसे और करीब किया, रिटा के होंठों से एक धीमी-सी सिसकी निकल गई।

"तुम्हारी ये सिसकियाँ मुझे और दीवाना बना देती हैं," दानिश ने उसके कान के पास फुसफुसाते हुए कहा, और हल्के से उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए।

रिटा की उँगलियाँ दानिश के बालों में उलझने लगीं, उसकी उँगलियों की जकड़न इस बात का सबूत थी कि वो भी इस पल में पूरी तरह खो चुकी थी।

कमरे में बस धड़कनों की आवाज़ थी, साँसों की गर्माहट थी, और वो नशीली ख़ामोशी जो सिर्फ़ चाहत और मोहब्बत के लम्हों में होती है...
तभी रिटा धीरे धीरे खुद को दानिश को सोपने लगी दी और तभी दानिश ने जेब से एक गन निकाल कर रिटा के पेट पर रख दी रिटा एकदम से घबरा गई |
ये क्या है, " घबरा कर रिटा ने कहा |
तुम्हें क्या लगता है मैं बाकी सब जैसा हूं मुझ से दूर रहो नहीं तो पछताना पड़ेगा | तुम्हें शायद लग रहा होगा कि तुम मुझे अपने हुस्न के जाल में फंसा सकती हो |

रिटा की आँखें चौड़ी हो गईं, उसकी साँसें तेज़ हो गईं। उसने अपने नर्म हाथों से दानिश की कलाई पकड़ने की कोशिश की, मगर दानिश की पकड़ और सख्त हो गई।

"दानिश… ये मज़ाक अच्छा नहीं है," उसकी आवाज़ में हल्की काँप थी, लेकिन आँखों में अब भी सवाल थे।

दानिश के होंठों पर एक सर्द मुस्कान थी, मगर उसकी आँखें ठंडी हो गई थीं, जैसे उनमें अब कोई नर्मी बाकी न हो।

"मज़ाक?" उसने गहरी आवाज़ में कहा, "तुम्हें क्या लगा, मैं तुम्हारी बातों में आ जाऊँगा? तुम्हारा प्यार मुझे पिघला देगा?"

रिटा ने एक कदम पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन दानिश ने उसकी कमर कसकर पकड़ ली। गन अब भी उसके पेट से सटी हुई थी।

"मैं तुम्हें प्यार करती हूँ," रिटा ने धीमे स्वर में कहा, उसकी आँखों में आंसू छलकने को थे। "तुम्हें मुझ पर शक क्यों है?"

दानिश ने एक गहरी साँस ली, उसकी उँगलियाँ ट्रिगर के करीब सख्त हो गईं।

"प्यार?" उसने व्यंग्य से हँसते हुए कहा , ये प्यार नहीं है |

रिटा का चेहरा फिका पड़ गया।

"क्या?"

रिटा की आँखों में डर था, लेकिन उसके अंदर कहीं एक आखिरी उम्मीद भी थी। वो दानिश को अपने झूठे प्यार में फंसाने का मौका नहीं जाने देना चाहती थी, उसने कांपते होंठों से कहा,

"दानिश, हम बचपन में साथ खेले थे… क्या तुम्हें याद नहीं? तुम हमेशा मुझे अपने पीछे-पीछे दौड़ाते थे, और फिर जब मैं थक जाती थी, तो खुद ही वापस आकर मेरी कलाई पकड़ लेते थे।"

दानिश की पकड़ ज़रा भी ढीली नहीं हुई, मगर उसकी आँखों में हल्की झिझक उभरी।

रिटा ने अपनी घबराहट को दबाते हुए आगे कहा,

"तुम्हें याद है, जब मैं 5 साल की थी, और तुम्हारे साथ बारिश में भीग रही थी? तुमने मेरे लिए अपना स्वेटर उतार दिया था, ताकि मैं ठंड से न कांपूं। तुमने कहा था, 'रिटा, मैं हमेशा तुम्हारी रक्षा करूँगा।'

उसकी आवाज़ टूटने लगी, आँखों में आंसू छलकने को थे।

"क्या वो सब झूठ था, दानिश?"

दानिश के चेहरे की कठोरता हल्की पिघलने लगी, लेकिन उसने गन नहीं हटाई।

"वो सब एक अलग वक्त था, रिटा। तब हम बच्चे थे,"

"और अब?" रिटा ने धीरे से कहा, उसकी आँखों में दर्द था। "अब तुम मुझे मार दोगे? जिस लड़की को तुमने कभी अपने स्वेटर से ढका था, उसी के सीने में गोली उतार दोगे?"

कमरे में एक अजीब-सी ख़ामोशी छा गई। सिर्फ़ उनकी धड़कनें और तेज़ सांसों की आवाज़ सुनाई दे रही थी।

दानिश की उँगलियाँ अब भी ट्रिगर पर थीं, लेकिन उसकी पकड़ अब वैसी सख्त नहीं थी।

रिटा ने हिम्मत जुटाई और अपनी हथेली को धीरे से उसकी कलाई पर रखा।

"अगर तुम्हें लगता है कि मैं झूठ बोल रही हूँ, तो गोली चला दो, दानिश। लेकिन याद रखना, तुम्हारी इस गोली के साथ तुम्हारा बचपन भी मर जाएगा… और शायद तुम भी।"

दानिश की आँखों में दर्द की एक लहर दौड़ी। उसकी साँसें गहरी हो गईं। उसकी उँगलियाँ ट्रिगर से हटीं, और अगले ही पल, गन उसने बेड पर रख दी |

रिटा ने एक तेज़ साँस ली, और बिना कुछ सोचे दानिश को कसकर गले लगा लिया।

"तुम अब भी वही दानिश हो," उसने फुसफुसाते हुए कहा, "जिसने मुझे हमेशा बचाया है, कभी नहीं मारा।"

दानिश ने रिटा को घूर कर देखा और उसे दूर कर चला गया |

 

 

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