कमरे में चची नूरान खाने की थाली हाथ में लिए जोशीले अंदाज़ में गई पर उनके कदम जम से गए जब कदमों के आगे बेला फर्श पर पड़ी दिखी। चची ने जल्दी से बिस्तर पर खाने का प्लेट रखा और उसे उठाते हुए घबरा कर बोलने लगी :" बेटा जानी! जल्दी आओ....बेटी उठो क्या हुआ तुम्हें?
शिज़िन हड़बड़ा कर दौड़ा आया। देखा तो बेला की आंखें खुली हुई है और उसकी नज़र बे सुध सी किसी एक तरफ टिकी हुई है। उसका चहरा भीगा हुआ है पर अब वह रो नहीं रही बल्कि रो कर शांत हो गई गई है। शिजिन उसके पास घुटनों पर बैठ गया और धीमी आवाज़ में बोला :" बेला!...फर्श पर क्यों लेटी हो? क्या तुम गिर गई थी?
ये कह कर वह उसके बाजुओं को पकड़ कर उठाने लगा लेकिन बेला ने उसका हाथ पकड़ लिया और सुर्ख आंखों से देखते हुए कहा :" मेरे बाई पैर के टखनों के नीचे वाला हिस्सा बेजान क्यों है? गोली ने मेरे पैर के नसों को फाड़ दिया है!... है न?
चची नूरान ने हक्का बक्का हो कर शिजिन की ओर देखा जिसके आंखों में अफसोस देखा जा सकता था। उसके चहरे पर बेला की बातों का इनकार नहीं था बल्के हमदर्दी के खामोश एहसास गोते खा रही थी। चची उन दोनों के चेहरे को ताकती और उनके दिलों में झांकने की कोशिश करती पर अब तक वह सिर्फ उलझी जा रही थी। शिजिन उठा और बाहर से कोहनी बैसाखी ले आया। फर्श पर बैठी बेला के आगे कर के कहा :" अब ये तुम्हारा एक पैर है। मुझे माफ करना न चाहते हुए भी तुम्हारे लिए ये लाना पड़ा!"
बेला की आंखों से चमकती हुई आंसुओं की लड़ियां निकल पड़ी पर लब खामोश थे। चची नूरान ने उसे गले लगा लिया और पीठ पर थपकी देते हुए बोली :" आह मेरी बच्ची! खुदा तुम्हारे गम आसान कर दे, ये क्या कर दिया उन ज़लिमो ने तुम्हारे साथ! खुद को अकेला न समझो हम तुम्हारे पास है। (फिर वह शिजिन को देखते हुए बोली) है न बेटा जानी!"
शिजिन ने हां में सर हिलाया और फिर दोनों ने उसे सहारा दे कर बिस्तर पर बैठाया। चची नूरान ने खाने का लुकमे बना बना कर उसके मुंह में डाले पर ग़म से पेट भरा था और आंसुओं से प्यास बुझ गई थी। उसने किसी तरह थोड़ा सा खाया। चची नूरान खिला पीला कर चली गई और कहा के फिर शाम को आयेंगी।
दो तीन घंटे से वह सोने की कोशिश कर रही थी। वह सोना चाहती थीं ताकि उसके जलते हुए मन को कुछ देर के लिए ठंडक मिल सके पर वह सो नहीं पाई, उठ कर बैठी और पलंग में सर टिका कर कमरे में लगे सीसीटीवी कैमरे को ताकने लगी। शिजिन बाहर लॉन में बैठ कर उसे टैब के स्क्रीन पर देख रहा था। देखते हुए वह उठा और बेला के कमरे में गया। वह बेला के सामने गया तो उसके कुछ कहने से पहले ही बेला ने कहा :" क्या मुझ पर नज़र रखी जा रही है?
शिजिन उसके सामने स्टूल पर बैठा और नज़र झुकाए बोला :" ब्यूरो ने मुझ से तुम्हारे बारे में जानकारी मांगी है। तुम्हारे पास यहां की जो यादें हैं वो बताओ फिर तुम यहां कोई जॉब कर पाओगी!"
" क्या तुम मेरा मज़ाक बना रहे हो? तुम जानते हो न के अब मैं किसी काम की नहीं रही!"
बेला ने अफसोसनाक सांस लेते हुए कहा। शिज़िन टेबल पर रखे मलहम को हाथ में लिया और बेला का हाथ पकड़ कर उसके नाखूनों में लगाने लगा। उसने मरहम लगाते हुए कहा :" खुद को बेकार मत समझो! एक राइटर को हाथ और दिमाग की ज़रूरत होती है पैरों की नहीं! तुम एक आर्टिस्ट हो अपने आर्ट पर भरोसा रखो।"
बेला शिज़िन के चेहरे को तक रही थी। उसका दिल थोड़ा सा बेचैन हो उठा जैसे शांत दरिया में एक हवा का झोंका आया और लहरें उठा कर चला गया हो। शिजिन ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा :" मैं तुम्हें कोई उम्मीद तो नहीं देना चाहता पर मैं ढूंढ रहा था के तुम्हारा इलाज कौन कर सकता है। एक हॉस्पिटल के बारे में पता चला है वहां के डॉक्टर को तुम्हारे रिपोर्ट्स भेजे तो कहा के ऑपरेशन से ठीक हो सकता है पर गारंटी नहीं है के तुम पहले जैसी चल पाओगी!"
बेला की आंखों में हल्की सी उम्मीद की चमक दिखने लगी। वह उतावली हो कर बोली :" हॉस्पिटल कहां है? भले ही उम्मीद कम हो पर मैं ऑपरेशन करवाऊंगी!"
" हॉस्पिटल यहां से लगभग तीन सौ किले मीटर दूर है।....बेला क्या यहां तुम्हारा कोई नहीं है?
शिजिन ने हिचकिचाते हुए पूछा तो बेला ने कुछ देर की खामोशी के बाद कहा :" कोई खून का रिश्ता तो नहीं है। क्या तुम भी नहीं हो?
इस सवाल पर शिजिन असमंजस में पड़ गया। वह बेला की खुमार भरी और गर्विदा बना लेने वाली आंखे को देख कर जैसे जवाब देना भूल गया हो और खामोश हो कर रह गया।
बेला ने एक अफ़सोस से लिपटी हुई मुस्कान के साथ कहा :" मैं भी किसे पूछ रही हूं! एक जासूस को जो किसी का नहीं हो सकता!....खैर ये पूछने के लिए मुझे माफ करना, तुम्हें मेरे बारे में जानना है न तो मेरी बातों को रिकॉर्ड करो ताकि तुम एजेंसी को दे सको! मैं सब बताऊंगी जो कुछ गुज़रा पर एक दरखास्त है।"
शिजिन ने बहुत ही दबे आवाज़ में कहा :" क्या?
जैसे उसकी आवाज़ हलक से निकलना ही नहीं चाहती हो और उसने पूरी ताक़त से "क्या" कहा हो।
बेला ने कहा :" वैसे तो मैं ज़्यादा जज़्बाती इंसान नहीं हूं लेकिन दिल में गहरे ज़ख्म है। उनको कुरेदने बैठूंगी तो दर्द होगा और दर्द आंसू बन कर बाहर निकल आता है। फिर भी दर्द कम नहीं होता! रोने लगी तो मुझ पर तरस मत खाना!"
उसकी बातों से शिजिन के दिल में सुई सी चुभ गई।
To be continued......