कुछ दिनों बाद वरुण की ज़िंदगी फिर से अजीब घटनाओं का साक्षी बनने लगी। रातों में उसे खौफनाक सपने आने लगे, जहाँ काली किताब के पन्नों से निकलते अंधेरे साये उसकी नींद उड़ा देते थे। दिन के उजाले में भी उसके चारों ओर कुछ अनदेखा सा महसूस होने लगा – हवेली के पास के जंगल में अजीब रोशनी झलकती, सुनसान पगडंडों पर हल्की-हल्की फुसफुसाहट गूँजती। गाँव के बुजुर्ग बताने लगे कि काली किताब केवल एक श्रापित वस्तु नहीं है, बल्कि उसका संबंध एक प्राचीन आत्मा से है, जिसे सदियों पहले एक महान साधु ने अपने शत्रुओं से बदला लेने के लिए कैद कर दिया था।
वरुण ने ठान लिया कि वह उस आत्मा की मुक्ति के लिए कुछ करना चाहेगा। उसने प्राचीन ग्रन्थों और मंत्रों का अध्ययन किया, जिनमें लिखा था कि जिस आत्मा को शाप में बंद किया गया है, उसे मुक्ति दिलाने का उपाय भी मौजूद है। इस अनुष्ठान के अनुसार, वरुण को काली किताब में लिखे मंत्रों का सही अर्थ समझकर उस आत्मा से संवाद स्थापित करना था, ताकि वह अपने दर्द और दु:ख को सुलझा सके।
एक बार फिर, चांदनी की रोशनी में जब हवेली का माहौल और भी रहस्यमयी हो उठा, वरुण ने अकेले अनुष्ठान करने का निर्णय लिया। उसने ध्यान में बैठकर, धीरे-धीरे प्राचीन मंत्रों का उच्चारण शुरू किया। जैसे ही उसके शब्द हवेली की दीवारों में गूंजने लगे, काली किताब के पन्नों पर हल्की-हल्की रोशनी उभरने लगी। थोड़े ही समय में उसकी आँखों के सामने एक धुंधली आकृति प्रकट हुई, जिसकी आँखों में गहरी पीड़ा और उदासी साफ झलक रही थी।
उस आत्मा ने बिना किसी शब्द के वरुण के मन में अपने अतीत के दर्द और बंधनों की कहानी सुना दी। उसने बताया कि उसे कभी एक महान साधु द्वारा श्रापित कर दिया गया था, और अब उसकी आत्मा हमेशा के लिए कैद हो गई थी। वरुण ने उस पीड़ा को महसूस करते हुए प्रण किया कि वह इस आत्मा को मुक्ति दिलाने का पूरा प्रयास करेगा। उसने अपने पास रखे प्राचीन मंत्रों का उच्चारण तेज़ी से दोहराया। हवा में घुलते अंधेरे के साये धीरे-धीरे छटने लगे, और उस आत्मा की काली परछाई हल्की रोशनी में विलीन हो गई।
कुछ ही पलों में, हवेली में फिर से सन्नाटा छा गया और काली किताब अपने अंधेरे रहस्यों में डूब गई। वरुण उस रात से कुछ बदल सा गया था – उसके मन में एक गहरी शांति बैठ गई, परन्तु हवेली और काली किताब की कथाएँ आज भी गाँव में एक चेतावनी की तरह गूँजती हैं। लोग कहते हैं कि अगर कभी अंधेरे में उस किताब के पास जाना पड़े, तो सावधानी ही एकमात्र साथी है।
कुछ दिनों बीतने के बाद वरुण को लगा कि उसके जीवन में कुछ और बदल रहा है। पहले जो अजीब-सी शांति मिली थी, उसके स्थान पर अब एक अनचाहा बेचैनी और निरंतर अशांति ने घर की दीवारों पर दस्तक देने लगी थी। रात को उसे अपने बिस्तर के पास किसी अनजान साये का गुजरना महसूस होता, और कभी-कभार तो उसकी आँखें खुलते ही अंधेरे में एक झलक देख पाती थीं – मानो कोई आकृति धीरे-धीरे उसके कमरे में प्रवेश कर रही हो। गाँव के कुछ बुजुर्गों ने कहा कि हवेली में उस काली किताब से जुड़ी घटनाओं का असर अब वरुण के जीवन में भी देखने को मिल रहा है।
वरुण ने समझा कि शायद वह आत्मा पूरी तरह मुक्त नहीं हुई थी, या फिर काली किताब की शक्तियाँ फिर से सक्रिय हो उठीं थीं। उसने बार-बार अपने अध्ययन और प्राचीन ग्रन्थों में यह खोजने की कोशिश की कि कैसे इन अनदेखी शक्तियों को नियंत्रित किया जा सकता है। एक रात, जब आसमान पर चांद की हल्की किरणें बिखरी हुई थीं, वरुण ने अपने घर के बाहर बैठकर ध्यान लगाया। उसे महसूस हुआ कि उसकी आत्मा में कहीं एक गहरी खलल सी उतर गई है, जैसे कोई प्राचीन दर्द उसे जकड़ चुका हो।
उस रात उसके सपने और भी तेज हो उठे। उसे बार-बार एक अजीब सा स्वर सुनाई देता, जो कहता, "यहाँ सब खत्म नहीं हुआ, आगे भी दर्द बाकी है।" सपनों में उसने देखा कि हवेली के प्राचीन आंगन में एक बार फिर से काली किताब अपने आप खुल गई है और उसमें से एक मद्धम रोशनी निकल रही है। उस रोशनी में एक अनजान चेहरा, अधूरा सा इतिहास बयां करता हुआ झलकता रहा। वरुण ने सपना देखकर अपने अंदर गहरी चिंता का अनुभव किया। उसने तय किया कि अब वह किसी भी क़ीमत पर इस रहस्य का समाधान ढूंढेगा।
अगली सुबह, वह मंदिर के पुजारी के पास गया, जिसने पहले भी उसे चेतावनी दी थी। पुजारी ने गंभीर स्वर में कहा, "जो आत्मा तुमने मुक्त की थी, वह पूरी तरह से शांति में नहीं है। शायद उसकी मुक्ति के लिए और कुछ बलिदान देने होंगे, या फिर काली किताब की ओर से कोई दूसरा संदेश आने वाला है।" वरुण की आँखों में थकान और चिंता साफ झलक रही थी, पर उसने पुजारी की बातों को गंभीरता से लेते हुए आगे की प्रक्रिया के बारे में जानने की ठानी।
गाँव में चर्चा होने लगी कि हवेली के पास कुछ अजीब घटनाएँ हो रही हैं – रात में लोग सुनसान रास्तों पर किसी अनजान आवाज़, किसी अधूरी पुकार को महसूस करते हैं। कुछ कहने लगे कि वरुण के घर के बाहर कभी-कभार एक धुंधली आकृति दिखाई देती है, जो धीरे-धीरे गायब हो जाती है। वरुण ने इन बातों को अनदेखा नहीं किया। उसने अपने पुराने दस्तावेजों और प्राचीन ग्रन्थों के सहारे एक समाधान निकालने का प्रयास किया, जिससे वह उस आत्मा को संपूर्ण शांति प्रदान कर सके।
एक बार फिर, चांदनी रात में, वरुण ने हवेली की ओर जाने का निर्णय किया। उस रात हवेली के पास पहुँचते ही उसे ऐसा लगा मानो हवा में हल्की-हल्की फुसफुसाहट हो रही हो। उसने फिर से काली किताब खोली, और अब उसने उस पर गहराई से ध्यान दिया। पन्नों पर लिखे मंत्र उसकी आंखों के सामने एक-एक करके उजागर हो रहे थे, जैसे कोई नया संदेश निकल रहा हो। अचानक, किताब से एक झपकी सी रोशनी फैल गई और उसके सामने एक स्पष्ट आकृति प्रकट हो गई – यह अब पूर्व की पीड़ा से परिपूर्ण, लेकिन अब कुछ शांति का आभास कराती हुई आत्मा थी। उस आत्मा ने बिना बोले वरुण की ओर इशारा किया, मानो कह रही हो कि "अब तुम सही मार्ग पर हो, पर अंतिम बलिदान बाकी है।"
वरुण के मन में एक भयावह निर्णय ने जन्म लिया – उसे अब एक आखिरी अनुष्ठान करना होगा, जिससे वह उस आत्मा को पूर्ण मुक्ति दे सके। उसने अपनी सारी शक्ति, अपने ज्ञान और अपने संकल्प को एकजुट किया, और उस आत्मा से संवाद करने के लिए पुजारियों और विद्वानों द्वारा बताई गई प्राचीन विधि का अनुसरण किया। रात की गहराई में, हवेली की ठंडी दीवारों के बीच, वरुण ने उस आत्मा के दर्द और उसके अनकहे रहस्यों को समझने की कोशिश की।
गहरी ध्यान की अवस्था में, उसने मंत्रों का उच्चारण किया, और धीरे-धीरे उस आत्मा ने अपने दर्द के सारे बंधन खोल दिए। हवा में एक मद्धम हलचल हुई, और मानो हवेली के हर कोने से शांति की किरणें फैलने लगीं। उस क्षण वरुण को एहसास हुआ कि कभी-कभी अतीत के बंधन जितने भी गहरे हों, उन्हें समझने और स्वीकारने का साहस ही उन्हें तोड़ने का उपाय है।
जब सब कुछ शांत हो गया, तो काली किताब एक बार फिर गहरे अंधकार में समा गई, मानो उसने अपना रहस्य फिर से छुपा लिया हो। वरुण उस रात से थक कर बाहर निकल आया, पर उसकी आँखों में अब भी उस अंतिम पल की चमक जीवंत थी। गाँव में यह चर्चा तेज हो गई कि हवेली के रहस्यों ने अब एक नया मोड़ ले लिया है – एक ऐसा मोड़, जिसमें मुक्ति की किरण भी मौजूद है, पर साथ ही अतीत की पीड़ा भी बनी रहती है। वरुण की इस यात्रा ने उसे यह सिखा दिया कि सच्ची मुक्ति तभी मिलती है जब हम अपने भीतर के डर और दर्द का सामना करते हैं, चाहे उसका मूल्य कुछ भी क्यों न हो।