Kaali Kitaab - 1 in Hindi Horror Stories by Rakesh books and stories PDF | काली किताब - 1

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काली किताब - 1

एक सुनसान गाँव के किनारे स्थित एक प्राचीन हवेली में सदियों पुरानी एक काली किताब छिपी हुई थी, जिसके बारे में कहा जाता था कि इसमें भूत-प्रेतों की आत्माएँ बंद हैं। हवेली की दीवारों पर समय की मार साफ झलकती थी, और उसके अंधेरे कमरे हमेशा किसी अनदेखी ताकत की उपस्थिति महसूस कराते थे। गाँव वालों में कई तरह की कहानियाँ प्रचलित थीं – कुछ कहते थे कि उस किताब को खोलने वाले का जीवन अचानक अंधकार में डूब जाता है, तो कुछ मानते थे कि उसमें छिपे मंत्रों से प्रेतात्माएँ आज भी आज़ाद हो जाती हैं।

एक दिन शहर से आए एक जिज्ञासु शोधकर्ता, अर्जुन, ने हवेली के बारे में सुना। उसकी उत्सुकता उसके भीतर धीरे-धीरे बढ़ती गई, और उसने तय किया कि वह इस रहस्य को उजागर करेगा। हवेली में कदम रखते ही उसे एक अजीब सी ठंडक ने घेर लिया। धूल से ढके कमरे में उसे एक पुराने दराज में रखी एक मोटी, काली किताब नजर आई, जिसके कवर पर अजीब-सी लकीरें और गूढ़ चिन्ह खुदे हुए थे। कहते हैं कि उस किताब की बाहरी बनावट जितनी स्याही जैसी थी, उतनी ही गहरी उसकी रहस्यमयी कहानी भी थी।

अर्जुन की जिज्ञासा ने उसे सावधानी के साथ किताब खोलने पर मजबूर कर दिया। जैसे ही उसने पन्ने पलटे, एक झकझक सी हवा चलने लगी और कमरे की दीवारों से धीमी-धीमी फुसफुसाहट की आवाजें आने लगीं। पहली ही पन्ने पर अजीबोगरीब चित्र और मंत्र अंकित थे, जिन्हें पढ़ते ही उसके मन में एक अजीब सी बेचैनी समा गई। उसे महसूस हुआ मानो किसी प्रेतात्मा की पीड़ा उसके भीतर उतर आई हो। उस रात अर्जुन ने ख्वाबों में अनगिनत भूतिया चेहरों और उद्विग्न आत्माओं को देखा, जो उसे अपनी ओर खींचते चले आए।

अगले दिन से अर्जुन के जीवन में अजीब घटनाओं का सिलसिला शुरू हो गया। उसकी आँखों के सामने छाया के रूप में कोई न कोई आकृति झलकती रहती थी, और हर रात कमरे में अजीब सी आवाजें गूंजने लगती थीं। धीरे-धीरे तो ऐसा लगने लगा कि वह खुद उस किताब के मंत्रों से जादू के घेरे में फंस चुका है। उसने कई विद्वानों और स्थानीय पुजारियों से सलाह ली, जिनमें से एक ने बताया कि यह काली किताब एक प्राचीन तांत्रिक द्वारा रची गई थी, जिसने अपनी शत्रुओं की आत्माओं को इसमें कैद कर लिया था। कहा जाता था कि जो भी इस किताब की शक्तियों को समझने की कोशिश करेगा, वह स्वयं उस अंधकार में खो जाएगा।

अर्जुन ने तय किया कि वह इस श्राप को तोड़कर आत्माओं को मुक्त करेगा। उसने एक पूर्णिमा की रात, जब चाँद अपने चरम पर था, हवेली में फिर से प्रवेश किया। एकांत में, गहरे अंधेरे और तेज हवाओं के बीच उसने पन्नों में लिखे मंत्रों का उच्चारण शुरू किया। जैसे ही उसने अंतिम शब्द बोलना चाहा, कमरे में तेज बिजली की चमक हुई और सारा वातावरण कंपकंपाने लगा। दीवारों से निकलते अजीब-सी आवाजें, मानो भूतों का समूह उसकी तरफ़ बढ़ता हुआ आ रहा हो, ने अर्जुन के दिल में डर के साये फैला दिए।

उस क्षण उसने समझ लिया कि कुछ रहस्य इतने गहरे होते हैं कि उन्हें उजागर करने की हिम्मत इंसान में नहीं होती। बिना किसी विकल्प के, अर्जुन ने पुजारियों द्वारा बताई गई प्राचीन विधि अपनाते हुए एक विशेष यंत्र का सहारा लिया, जिससे वह उन आत्माओं को फिर से किताब में बंद करने में सफल रहा। उस अंधेरी रात के बाद, हवेली का वातावरण फिर से सामान्य हो गया, परंतु काली किताब एक बार फिर अपने गहरे रहस्य में डूब गई।

गाँव वालों के बीच यह कहानी पीढ़ियों से सुनाई जाती है – कि एक बार जब काली किताब खुल जाती है, तो भूत-प्रेतों का राग छा जाता है, और जो भी उस रहस्य में उतरने की कोशिश करता है, वह स्वयं एक भूतिया किस्से का हिस्सा बन जाता है। आज भी कहते हैं कि हवेली में रात के सन्नाटे में कभी-कभार वह किताब अपने पन्नों को धीरे-धीरे पलटती है, मानो किसी खोई हुई आत्मा की पुकार सुनाने आई हो।