टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 38
पिछले एपिसोड में:
आदित्य ने सिया को बचा लिया, विक्रम गिरफ्तार हो गया, लेकिन भावेश ने अब एक और खतरनाक चाल चलने की योजना बना ली थी।
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भावेश की नई साजिश
जेल के अंधेरे कोने में बैठा भावेश अपने अगले कदम के बारे में सोच रहा था। उसके सामने एक आदमी बैठा था – रोहित।
"सर, अब हमें क्या करना है?"
भावेश ने मुस्कुराते हुए कहा, "अब हम अस्पताल के सबसे कमजोर इंसान पर वार करेंगे।"
"मतलब?"
भावेश ने मेज पर उंगलियां बजाईं।
"अस्पताल में सबसे कमजोर कौन है?"
रोहित ने कुछ सोचा, फिर धीरे से कहा, "डॉ. सिया।"
"बिलकुल सही!"
भावेश की आंखों में नफरत थी।
"आदित्य ने मेरी दुनिया तबाह कर दी। अब बारी उसकी दुनिया को जलाने की है।"
"लेकिन सर, सिया को मारना इतना आसान नहीं होगा। आदित्य और अर्जुन हमेशा उसके आसपास रहते हैं।"
भावेश ने एक फोटो टेबल पर रखी।
"इसीलिए, हमें उसे मारने की ज़रूरत नहीं… बल्कि उसे तोड़ने की जरूरत है।"
रोहित ने फोटो उठाई और चौंक गया।
फोटो में सिया अपने बचपन के दोस्त, करण के साथ थी।
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सिया का अतीत
अस्पताल में, आदित्य और सिया एक मरीज की जांच कर रहे थे।
"आज तुम काफी शांत लग रही हो?" आदित्य ने सिया से पूछा।
"बस… थोड़ा अजीब लग रहा है। जैसे कुछ गलत होने वाला है।"
"चिंता मत करो। विक्रम पकड़ा गया है, अब सब ठीक हो जाएगा।"
सिया मुस्कुरा दी।
लेकिन उसकी मुस्कान ज्यादा देर तक नहीं टिक सकी।
किसी ने उसके केबिन के दरवाजे के नीचे एक लिफाफा सरका दिया था।
सिया ने उसे उठाया और खोलते ही उसकी आँखें फटी रह गईं।
अंदर सिर्फ एक कागज था, जिस पर लिखा था—
"सिया, क्या आदित्य को तुम्हारे और करण के बारे में पता है?"
सिया की सांसें थम गईं।
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पुराने जख्म फिर से हरे हुए
रात को, जब आदित्य अपने ऑफिस में था, सिया चुपचाप बैठी थी।
आदित्य ने नोटिस किया।
"क्या हुआ?"
सिया ने कुछ नहीं कहा।
आदित्य ने उसकी आँखों में देखा।
"सिया, मुझसे कुछ छुपा रही हो?"
सिया ने धीरे से कहा, "आदित्य, अगर मैं तुमसे कुछ कहूँ और वो तुम्हें पसंद न आए, तो तुम मुझसे नाराज़ तो नहीं होगे?"
आदित्य का दिल थोड़ा घबराया, लेकिन उसने सिर हिलाया।
"करण कौन था?"
सिया का चेहरा सफेद पड़ गया।
"तुम्हें उसका नाम किसने बताया?"
"महत्वपूर्ण ये नहीं कि किसने बताया… महत्वपूर्ण ये है कि क्या ये सच है?"
सिया ने अपनी आँखें बंद कीं।
"करण मेरा बचपन का दोस्त था। हम एक-दूसरे के बहुत करीब थे। लेकिन… एक दिन उसने मुझसे कुछ ऐसा कहा, जिससे सबकुछ बदल गया।"
"क्या कहा?"
सिया ने मुश्किल से कहा, "उसने मुझसे शादी करने के लिए कहा था।"
आदित्य के चेहरे पर हल्का झटका था।
"और तुमने क्या किया?"
"मैंने मना कर दिया… और वो मुझसे नाराज हो गया। वो शहर छोड़कर चला गया, लेकिन… अब ये सब फिर से सामने आ रहा है।"
आदित्य ने एक गहरी सांस ली।
"तो फिर डरने की जरूरत नहीं। वो अतीत था।"
सिया ने सिर हिलाया, लेकिन अंदर कहीं न कहीं उसे डर था कि ये सिर्फ शुरुआत थी।
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रात का फोन कॉल
रात के 2 बजे, अस्पताल के लैंडलाइन पर फोन बजा।
सिया ने फोन उठाया।
"हेलो?"
दूसरी तरफ एक जानी-पहचानी आवाज थी—
"सिया… मुझे भूल गई?"
सिया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
"मुझे मिलने आओ… नहीं तो अतीत तुम्हें चैन से जीने नहीं देगा।"
फोन कट गया।
सिया कांप रही थी।
"ये… ये करण की आवाज़ थी!"
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अब क्या होगा?
क्या करण की वापसी एक नई मुसीबत है?
या ये सिर्फ भावेश का कोई नया खेल है?
क्या आदित्य और सिया इस जाल से बाहर निकल पाएंगे?
जानने के लिए पढ़ें अगला एपिसोड!