टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 36
पिछले एपिसोड में:
डॉ. संजय की सच्चाई सामने आ गई थी। भावेश उसे अपने प्लान में इस्तेमाल कर रहा था, लेकिन अब आदित्य और अर्जुन ने सच्चाई जान ली थी। अस्पताल के बाहर एक रहस्यमयी आदमी की एंट्री ने नई मुश्किलें खड़ी कर दी थीं।
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खतरनाक मुलाकात
गाड़ी से उतरने वाला आदमी लंबा, गठीला और रौबदार था। उसके चेहरे पर घनी दाढ़ी थी, आँखें ऐसी जैसे किसी शिकारी की हों।
अर्जुन ने धीरे से पूछा, "ये कौन है?"
आदित्य ने एक गहरी सांस ली।
"ये विक्रम है…"
"विक्रम? कौन विक्रम?"
"भावेश का सबसे खतरनाक आदमी। ये वही है जिसने तीन साल पहले एक बड़े अस्पताल में आग लगवाई थी।"
अर्जुन चौंक गया, "मतलब भावेश अब खुलकर वार करेगा?"
"शायद हाँ…" आदित्य की आवाज़ गंभीर थी।
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विक्रम की धमकी
विक्रम सीधा अस्पताल के अंदर चला गया।
रिसेप्शन पर मौजूद स्टाफ सहम गए। उसकी चाल में अजीब सा डर था।
"डॉ. आदित्य कहाँ हैं?" उसकी भारी आवाज़ गूंज उठी।
आदित्य और अर्जुन लॉबी में पहुंचे।
"मैं ही हूँ आदित्य। बोलो, क्या काम है?"
विक्रम ने हल्की मुस्कान दी।
"भावेश ने तुम्हारे लिए एक गिफ्ट भेजा है।"
उसने अपने जैकेट की जेब से एक पैकेट निकाला और आदित्य की तरफ उछाल दिया।
अर्जुन ने फौरन उसे रोका, "रुको! पहले चेक करो!"
आदित्य ने पैकेट खोला।
अंदर एक वीडियो पेन ड्राइव थी।
"क्या है इसमें?" अर्जुन ने पूछा।
"देख लो, तुम्हें खुद पता चल जाएगा।" विक्रम ने कहा और घूमकर बाहर निकल गया।
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वीडियो में क्या था?
आदित्य और अर्जुन सिक्योरिटी रूम में पहुंचे और लैपटॉप में पेन ड्राइव लगाई।
स्क्रीन पर वीडियो चला।
भावेश हंस रहा था।
"आदित्य, तुम्हें लगा कि मुझे जेल में डालकर खेल खत्म हो गया? नहीं! असली खेल तो अब शुरू होगा!"
"मैंने तुम्हारे अस्पताल को मौत का जाल बना दिया है। अब देखो, एक-एक करके ये जगह बर्बाद होगी!"
आदित्य की मुट्ठियाँ भींच गईं।
"ये आदमी पूरी तरह से पागल हो चुका है!"
तभी वीडियो में भावेश ने एक और खतरनाक बात कही—
"तुम्हारे अस्पताल में एक टाइम बम रखा गया है। देखते हैं, तुम कितनी देर में इसे ढूंढ पाते हो!"
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बम की तलाश!
अर्जुन ने फौरन सिक्योरिटी को अलर्ट कर दिया।
"हमें पूरे अस्पताल को चेक करना होगा!"
सिक्योरिटी टीम ने हर कमरे की तलाशी शुरू की। नर्सें और डॉक्टर डरे हुए थे, मरीजों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा था।
आदित्य और अर्जुन ऑपरेशन थिएटर, स्टोर रूम और बेसमेंट चेक कर रहे थे।
तभी एक सफाई कर्मचारी घबराते हुए आया, "डॉक्टर साहब! स्टोर रूम में कुछ अजीब सा दिख रहा है!"
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मौत से सामना
आदित्य और अर्जुन तुरंत स्टोर रूम पहुंचे।
एक पुरानी अलमारी के पीछे एक छोटा सा काला बॉक्स रखा था।
अर्जुन ने ध्यान से देखा।
"ये टाइम बम है!"
डिजिटल स्क्रीन पर 5 मिनट 20 सेकंड बचे थे।
आदित्य की सांसें तेज हो गईं।
"हमें इसे तुरंत डिफ्यूज करना होगा!"
अर्जुन ने घबराकर पूछा, "तुम्हें बम डिफ्यूज करना आता है?"
आदित्य ने गहरी सांस ली, "सीखा तो नहीं, लेकिन ट्राय कर सकते हैं!"
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भाग्य और बहादुरी
बॉम्ब में तीन तार थे—लाल, नीला और पीला।
"अब कौन सा काटें?" अर्जुन ने पसीना पोंछते हुए पूछा।
"भावेश बहुत चालाक है। हो सकता है उसने ट्रैप लगाया हो…"
बॉम्ब की घड़ी 2 मिनट 30 सेकंड पर पहुंच गई थी।
तभी आदित्य को कुछ याद आया।
"भावेश साइको है, लेकिन वो अपने प्लान्स में एक साइन छोड़ता है… रेड हेरिंग!"
"मतलब?"
"मतलब, जो तार सबसे खतरनाक लगे, उसे नहीं काटना!"
आदित्य ने बिना देर किए नीला तार काट दिया।
बॉम्ब की घड़ी रुक गई।
0:15 सेकंड…
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भावेश की हार?
अस्पताल में सबने राहत की सांस ली। मरीज और डॉक्टर सुरक्षित थे।
लेकिन आदित्य जानता था कि ये अंत नहीं था।
भावेश जेल में बैठकर भी चालें चल रहा था।
"अब बहुत हो चुका!" आदित्य ने गुस्से से कहा।
"भावेश का ये खेल अब मैं खत्म करके ही रहूँगा!"
क्या आदित्य अब सीधा भावेश को टक्कर देगा?
क्या विक्रम फिर से कोई चाल चलेगा?
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