TOOTE HUE DILON KA ASHPATAAL - 37 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 37

Featured Books
Categories
Share

टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 37

टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 37

पिछले एपिसोड में:
आदित्य और अर्जुन ने अस्पताल में छुपे टाइम बम को डिफ्यूज कर दिया, लेकिन भावेश ने साफ कर दिया था कि ये सिर्फ एक शुरुआत थी। विक्रम की एंट्री ने हालात और बिगाड़ दिए थे।


---

अब अगला कदम?

अस्पताल में सबकुछ सामान्य दिख रहा था, लेकिन आदित्य को पता था कि ये शांति बस तूफान से पहले की शांति थी।

रात के 2 बजे, आदित्य अपने ऑफिस में बैठा था। अर्जुन भी वहीं था।

"अब हमें क्या करना चाहिए?" अर्जुन ने पूछा।

आदित्य ने एक गहरी सांस ली।

"भावेश जेल में है, लेकिन उसके आदमी अभी भी बाहर हैं। अगर हमने कुछ नहीं किया, तो अगली बार वो कोई और बड़ा हमला करेंगे।"

तभी फोन बजा।

नंबर अननोन था…

आदित्य ने फोन उठाया।

"हेलो?"

फोन के दूसरी तरफ से धीमी हंसी आई।

"आदित्य… सोच रहा होगा कि मैं हार गया?"

"भावेश!"

"तुम्हें लगा कि मेरा खेल खत्म हो गया? नहीं दोस्त, असली खेल तो अब शुरू हुआ है!"

"तू कर क्या रहा है? बम लगाना, जान लेने की कोशिश करना… आखिर चाहता क्या है?"

"मैं चाहता हूँ कि तू मेरी ताकत देखे। और हाँ, अब अगला वार अस्पताल में नहीं, तेरी पर्सनल लाइफ में होगा।"

आदित्य की आँखें गुस्से से लाल हो गईं।

"मतलब?"

"मतलब… किसी अपने को खोने के लिए तैयार हो जा!"

फोन कट गया।


---

डर का साया

अर्जुन ने घबराकर पूछा, "अब उसने क्या करने की धमकी दी?"

"किसी अपने को मारने की…"

"क्या?? तो इसका मतलब… वो अस्पताल से बाहर वार करेगा?"

आदित्य के दिमाग में एक ही चेहरा आया – सिया।

उसे फौरन सिया की चिंता हुई। उसने तुरंत उसका नंबर डायल किया।

लेकिन फोन बंद था…


---

सिया कहाँ है?

आदित्य का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।

"अर्जुन, मुझे सिया के घर जाना होगा!"

"मैं भी चलूंगा!"

दोनों तेजी से अस्पताल से निकले और गाड़ी में बैठे।

रात का समय था, सड़कें सुनसान थीं।

आदित्य ने सिया के घर के पास गाड़ी रोकी।

दरवाजा खुला हुआ था…

"कुछ गड़बड़ है!" अर्जुन ने कहा।

आदित्य ने अंदर कदम रखा।

कमरा बिखरा हुआ था। कुर्सियां गिरी हुई थीं, कांच टूटा पड़ा था।

सिया कहीं नहीं थी।

तभी टेबल पर एक कागज़ रखा दिखा।

आदित्य ने कांपते हाथों से वो चिट्ठी उठाई—

"अगर सिया को जिंदा देखना चाहता है, तो सुबह 5 बजे अकेले पुराने फैक्ट्री में आ जाना!"


---

भावेश की चाल

"ये तो किडनैपिंग है!" अर्जुन ने कहा।

"अब हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है।"

"लेकिन तुझे अकेले जाने को कहा है। तू अकेले जाएगा?"

आदित्य के चेहरे पर गुस्सा और चिंता दोनों थे।

"सिया की जान खतरे में है। मुझे जाना ही होगा!"

"तो फिर हम बैकअप प्लान बनाएंगे!"


---

पुरानी फैक्ट्री का खेल

सुबह के 4:55 AM

आदित्य अकेला फैक्ट्री में पहुँचा।

चारों तरफ अंधेरा था।

तभी एक टॉर्च की रोशनी जली।

सामने विक्रम खड़ा था।

उसने ताली बजाई, और दो आदमी सिया को घसीटते हुए लाए। उसके हाथ बंधे थे, चेहरा डरा हुआ था।

"बहुत हिम्मत है तेरे में, डॉक्टर!" विक्रम हँसा।

"सिया को छोड़ दे, विक्रम!"

"इतनी जल्दी नहीं। पहले मुझे एक सौदा करना है।"

"कैसा सौदा?"

"तू अस्पताल छोड़ देगा। डॉक्टर की दुनिया से हमेशा के लिए बाहर हो जाएगा। वरना…"

विक्रम ने अपनी जेब से एक गन निकाली और सिया के सिर पर रख दी।

"नहीं!!!" आदित्य चिल्लाया।


---

अचानक हमला!

तभी फैक्ट्री की छत से एक धुआँ उठा।

अर्जुन और पुलिस की टीम अंदर घुस चुकी थी!

"हथियार डाल दो!" पुलिस ने चिल्लाया।

विक्रम चौंका।

"धोखा!" उसने गुस्से से कहा और ट्रिगर दबाने वाला था कि…

बूम!!!

अर्जुन ने विक्रम के हाथ पर गोली मार दी।

गन नीचे गिर गई।

आदित्य ने दौड़कर सिया को पकड़ लिया।

"तूने सोचा था कि मैं अकेला आऊंगा?" आदित्य ने विक्रम से कहा।

पुलिस ने विक्रम को गिरफ्तार कर लिया।


---

भावेश का आखिरी कदम?

सिया सुरक्षित थी। विक्रम पकड़ा गया था।

लेकिन भावेश अभी भी जेल में बैठा हंस रहा था।

उसने अपने आदमी से कहा, "वो सोचते हैं कि उन्होंने जीत लिया?"

आदमी ने पूछा, "तो अगला प्लान क्या है?"

भावेश मुस्कुराया।

"अगला प्लान… अस्पताल के सबसे कमजोर इंसान को खत्म करना!"

अब कौन बनेगा अगला निशाना?
क्या भावेश अब आखिरी वार करने वाला है?

जानने के लिए पढ़ें अगला एपिसोड!