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शीला
रेवा और रेहान धीरे से छत पर गए तो देखा कि समर एक बॉक्स में कुछ जला रहा है और उस जलती चीज़ों से निकलती आग उसे बहुत सकूँ दे रही है। वे दोनों समर के पीछे आकर खड़े हो गए, जब समर को यह एहसास हुआ कि उसके पीछे कोई खड़ा है तो वह सकपका गया। उसके मुँह से निकला, “आप दोनों यहाँ?” “ हम्म !!! क्या जला रहें हो?” “ मेरी एक्स गर्लफ्रेंड की यादें है, बस उन्ही से छुटकारा पा रहा हूँ।“ “तुम्हारी शक्ल तो बता रही है कि जैसे कोई सबूत मिटा रहें हों। रेवा ने कड़क आवाज़ करकर कहा। “ “मैं कोई मुजरिम हूँ जो ऐसी हरकत करूँगा।“ यह कहकर वह रिसोर्ट की छत से नीचे चला गया और रेहान ने रेवा को बाँहों में लेते हुए कहा, “ तुम जासूसी नॉवेल भी पढ़ती हो क्या, “ रेहान की बात सुनकर वह उस गत्ते की डिब्बे के पास गई तो देखा कि कुछ कागज़ और कुछ सामान जल रहा है। कितने गत्ते के डिब्बे है, इस समर के पास या यह वहीँ डिब्बा है। अब रेहान ने उसके होंठो चूमते हुए पूछा, “बैडरूम में चले? “ “किसके?” “ तुम्हारे मिस रेवा?” रेहान के चेहरे पर शरारत है। यह सुनकर रेवा ने जवाब में उसके होंठो को चूमना शुरू कर दिया और रेहान भी उसका पूरा साथ देने लगा और छत से नीचे खड़ा राजीव एक बार फिर उन दोनों को जलती निगाहों से देखने लगा।
अब उस वैगनआर का दरवाजा खुला तो उसके अंदर से कोई और नहीं बल्कि माया निकली। “तुम? तुम मेरा पीछा नहीं कर रही थी?” “ पीछा नहीं कर रही थी बस बात करने का मौका ढूंढ रही थी।“ उसने अश्विन के करीब आते हुए कहा । “जाकर अपने भाई से बात करो, “ यह कहते हुए वह वापिस अपनी गाड़ी की तरफ जाने लगा। अब उसने अश्विन को खींचते हुए कहा, “प्लीज मेरी बात तो सुनो!!” “मेरी जान को सचमुच खतरा है।“ “इंस्पेक्टर अनुज तुम्हारा केस देख रहें हैं।“ उसने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा। “देखो !! अश्विन अगर तुम मेरी मदद करोगे तो मैं तुम्हारी मदद कर दूँगी।“ “वो कैसे ?” “ मुझे पता है, तुम सम्राट को ढूंढ रहें हो?” “तुम्हें कैसे पता, यह बात तो मेरे डिपार्टमेंट के अलावा किसी को नहीं पता, “ उसने माया को खा जाने वाली नज़रों से देखा। उसने अब सामान्य होने का नाटक करते हुए कहा, “ मेरे भी कॉन्टेक्ट्स है।“ “आई एम श्योर होंगे!!!” अश्विन ने चिढ़ते हुए कहा। “मैं तुम्हें एक आदमी के पास ले जा सकती हूँ, जो तुम्हें सम्राट तक पहुँचा सकता है। “देखो! मिस माया, मैं तुम्हारी मोहमाया में नहीं आने वाला, प्लीज किसी और को ढूंढो और रही सम्राट की बात तो उसे मैं खुद ही ढूंढ लूंगा। बाय !!” अश्विन को अपनी गाड़ी में जाते देखकर माया के मुँह से निकला, “तुम मुझसे कब तक बचोगे !!! अश्विन राणा।“ यह कहते हुए उसकी आँखों में मक्कारी साफ़ नज़र आ रही है।
अनुज जब घर पहुँचा तो हमेशा की तरह कोमल किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी और उसे देखते ही फ़ोन रख दिया।
“यह तुम किससे बातें करती रहती हूँ और मुझे देखकर फ़ोन रख देती हूँ।“ कोमल ने अपना फ़ोन अनुज को पकड़ाते हुए कहा, “लो चेक कर लो।“
“मैं तुम पर शख नहीं कर रहा बस पूछ रहा हूँ।“ उसने फ़ोन वापिस कोमल को दे दिया।
“मैं खाना खा चुकी हूँ, तुम खाओगे?” अब उसने कोमल के करीब आकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “जितना तुम बदली हूँ न उतना कोई नहीं बदलता,” “ सब तुमसे सीखा है।“ कोमल भी उसी अंदाज़ में जवाब देकर अपने कमरे में चली गई और अनुज ने कुंठित होकर सोफे को लात मार दी फिर अपना गुस्सा कम करने के लिए बॉलकनी में हवा खाने चला गया।
अश्विन बाथरूम से निकला तो बेड पर रखे सिर्फ लोवेर्स पहनकर किचन काउंटर से शीशे के दो गिलास और फ्रिज से व्हिस्की की बोतल निकालकर सोफे पर बैठकर ड्रिंक करने लगा, ड्रिंक के चार घूँट पीने के बाद, अश्विन ने अपना सिर सोफे से टिका लिया और माया की बात याद करते हुए कहने लगा, “मिस माया तुम आग से खेल रही हो, जल जाऊँगी।“ अब उसने एक घूँट और भरा ही था कि तभी डोरबेल बज गई। उसने अंदर की तरफ लगे कैमरे से देखा और मुस्कुराते हुए दरवाजा खोल दिया। सामने खड़ी लड़की ने उसके होंठ चूमते हुए उसे सोफे पर गिरा दिया और बाहर का दरवाजा अपनेआप बंद हो गया। “यार!! तुम नहीं सुधरोगी !!!” उसने अब उसे खुद से थोड़ा अलग किया और उसके लिए ड्रिंक बनाने लगा। “तुम बिल्कुल नहीं बदले पूरे तीन साल बाद मिले हैं पर अब भी वैसे ही हो, वहीं हैंडसम चेहरा, वही जोश, वही नशीली आखें। “ उसने अब उसे ड्रिंक पकड़ाते हुए पूछा, “दिल्ली कैसे आना हुआ शीला, “ “वही बिज़नेस मीटिंग के लिए आई थीं।“ उसने ड्रिंक का घूँट भरते हुए जवाब दिया। “कुछ खाऊँगी ?” “ डिनर कर लिया है, अब मीठे की तैयारी है।“ अश्विन ने उसकी बात का मतलब समझ लिया और जल्दी से ड्रिंक खत्म कर, उसे खुद की तरफ खींचा और फिर उसके होंठों को चूमते हुए गोद में उठाकर उसे बैडरूम में ले गया। जब कुछ घंटे के परम आनंद के बाद शीला ने अश्विन के सीने पर सिर रखते हुए कहा,
“मैंने तुम्हें बहुत मिस किया।“ अश्विन ने उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरे हुए कहा,
“मुझसे प्यार तो नहीं हो गया ना?”
“मुझे तो तुम्हारे बदन से प्यार है।“ यह कहते हुए उसने अश्विन के सीने को चूम लिया।
“तुम्हारी यही बात मुझे अच्छी लगती है जो दिल में है वो मुँह पर।“
“पर तुम कब तक अपने दिल का दर्द छुपाकर रखोगे?” शीला की उसकी आँखों में देखा।
“अब कोई दर्द नहीं बचा है।“ उसने गहरी सांस छोड़ी।
“फिर सम्राट के पीछे क्यों पड़े हो?”
“काम है, मेरा।“ अश्विन ने आराम से ज़वाब दिया।
“किसी और को बेवकूफ बनाना, यह केस अरविन्द मेहरा को दिया गया था पर तुमने उसे साइड करकर खुद ले लिया ।“ अब अश्विन की ऊंगलियां उसकी नंगी पीठ पर रुक गई तो शीला भी उठकर बैठ गई और एकटक अश्विन के चेहरे को देखने लगी।
“तुम कहना क्यों चाहती हो?”
“वहीँ जो तुम बताना नहीं चाहते।“ अब अश्विन का मूड़ खराब हो गया।
“तुम ना जानो तो यही अच्छा है, वैसे तुम्हें इस अरविन्द के बारे में कैसे पता चला? अब शीला के चेहरे पर कुटिल मुस्कान है।