शहर के शोर-शराबे से बहुत दूर, एक शांत और आधुनिक अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स की नौवीं मंजिल पर, छाया ने अपनी ज़िंदगी की एक नई पारी शुरू की थी. कंक्रीट के इस जंगल में, उसका नया 2BHK फ्लैट था। पिछले कुछ महीनों का अथाह तनाव, अपने पूर्व-प्रेमी, रोहित के साथ का कड़वा ब्रेकअप, और फिर पुरानी यादों से भरे घर को छोड़कर आना – इन सब के बाद उसे यह सुकून और शांति बेहद ज़रूरी लगी थी. उसने अपनी छोटी सी बालकनी को कुछ रंगीन गमलों से सजाया था, जहाँ से सुबह की पहली किरणें और शाम की मंद धूप उसके मन को एक अजीब सी ठंडक और शांति पहुँचाती थी. ये पल उसके लिए थे, जब वह खुद को इस दुनिया की उलझनों से दूर पाती थी.
छाया भ्रम या जाल - भाग 1
छाया: भ्रम या जाल? भाग 1शहर के शोर-शराबे से बहुत दूर, एक शांत और आधुनिक अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स की नौवीं पर, छाया ने अपनी ज़िंदगी की एक नई पारी शुरू की थी. कंक्रीट के इस जंगल में, उसका नया 2BHK फ्लैट था। पिछले कुछ महीनों का अथाह तनाव, अपने पूर्व-प्रेमी, रोहित के साथ का कड़वा ब्रेकअप, और फिर पुरानी यादों से भरे घर को छोड़कर आना – इन सब के बाद उसे यह सुकून और शांति बेहद ज़रूरी लगी थी. उसने अपनी छोटी सी बालकनी को कुछ रंगीन गमलों से सजाया था, जहाँ से सुबह की पहली किरणें और शाम ...Read More
छाया भ्रम या जाल - भाग 2
छाया: भ्रम या जाल?भाग 2छाया के अपार्टमेंट में लगातार हो रही अजीबोगरीब 'व्यवस्था' ने उसकी रातों की नींद और का चैन पूरी तरह से छीन लिया था. जो घर कभी उसकी शांति और सुरक्षा का ठिकाना था, वह अब एक भयानक, अनसुलझी पहेली बन गया था. हर सुबह, उसे अपने कमरे में बिखरी हुई चीज़ों को करीने से रखा हुआ देखकर उसके भीतर एक ठंडी सिहरन दौड़ जाती थी. किताबें अलमारी में सही क्रम में, कपड़े इस्त्री करके टंगे हुए, यहाँ तक कि उसके तकिए के नीचे लापरवाही से रखा हुआ उसका डायरी-पेन भी अपनी 'सही' जगह पर मेज़ ...Read More
छाया भ्रम या जाल - भाग 3
छाया: भ्रम या जाल?भाग 3कैमरे लग चुके थे. छाया ने उन्हें इतनी सावधानी से छिपाया था कि अगर कोई घर का चप्पा-चप्पा भी छान मारता, तो शायद ही उन्हें ढूंढ पाता. लिविंग रूम में किताबों के शेल्फ में फंसा छोटा सा बटन कैमरा, बेडरूम के लैंप के पीछे झांकता हुआ माइक्रो-लेंस, और किचन के ऊपरी कैबिनेट में लगे वेंट के पास छिपा हुआ एक और कैमरा – ये तीनों अब उसके अदृश्य रक्षक थे, या शायद उसके अंतिम गवाह. उसने अपने फोन पर ऐप खोला, लाइव फीड चेक किया. सब कुछ साफ दिख रहा था, उसके घर का हर ...Read More
छाया भ्रम या जाल - भाग 4
भाग 4:पार्क में पहुँचते ही छाया ने विवेक को ढूँढ़ने की कोशिश की. शाम के 6 बजे थे. सूरज हल्की नारंगी रोशनी बिखेर रहा था, लेकिन पेड़-पौधों की परछाइयाँ लंबी होने लगी थीं. पार्क में बच्चे खेल रहे थे, कुछ लोग टहल रहे थे, पर विवेक कहीं नज़र नहीं आया. तभी एक बेंच पर बैठे एक व्यक्ति ने अपना हाथ उठाया. वह लगभग 30 साल का रहा होगा, सामान्य कद-काठी का, चश्मा पहने हुए और गंभीर चेहरे वाला. उसने एक साधारण टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी थी. यह वही विवेक था.छाया हिचकते हुए उसकी तरफ़ बढ़ी. "आप विवेक हैं?" ...Read More