Chhaya - Bhram ya Jaal - 10 in Hindi Horror Stories by Meenakshi Mini books and stories PDF | छाया भ्रम या जाल - भाग 10

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छाया भ्रम या जाल - भाग 10

भाग 10

डॉ. मेहता के साथ वीडियो कॉल खत्म होने के बाद अपार्टमेंट में एक और गहरा सन्नाटा छा गया। पहले के सन्नाटे में डर और अनिश्चितता थी, लेकिन इस बार उसमें एक अजीब-सी मिली-जुली भावना थी – एक तरफ राहत कि उन्हें एक रास्ता मिल गया है, तो दूसरी तरफ उस रास्ते पर चलने की चुनौती और उससे जुड़ा जोखिम। "कवच" और "गुफा" जैसे नाम उनके मन में गूँज रहे थे, किसी प्राचीन लोककथा की तरह, जो अब उनकी अपनी खौफनाक हकीकत बन चुकी थी।

विवेक ने अपनी आँखों पर हाथ फेरा। "तो, अरावली की पहाड़ियों में एक गुफा... यह आसान नहीं होगा।"

"आसान तो कुछ भी नहीं रहा है, विवेक," छाया ने हौले से कहा। उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी शांति थी, मानो उसने नियति को स्वीकार कर लिया हो। भयानक सपने और त्वचा पर उभरते निशान उसे हर पल याद दिला रहे थे कि अब पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं था। उसे घुटन महसूस होती थी, जैसे कमरे की हवा पतली हो गई हो।

रिया ने अपने फोन को पकड़ा, उसकी उँगलियाँ काँप रही थीं। "मुझे लगता है कि वह चीज़ चाहती है कि हम बाहर ना निकलें। शायद यह हमें उस गुफा तक जाने से रोकने की कोशिश कर रही है।" उसके सोशल मीडिया पर अभी भी कभी-कभार पुराने वीडियो के भूतिया निशान दिख जाते थे, और अज्ञात नंबरों से आने वाली फुसफुसाहट वाली कॉल उसे हर पल बेचैन रखती थीं। उसे डर था कि उसकी बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटने की आशंका सच हो सकती है।

अनुराग चुपचाप बैठा था, उसका चेहरा पीला पड़ चुका था। वह रात भर सो नहीं पा रहा था और उसकी लगातार खांसी उसे कमज़ोर कर रही थी। उसे हर परछाई में वह अदृश्य चीज़ दिखती थी, जो उसका पीछा कर रही थी। "हमें कब निकलना है?" उसने धीमी आवाज़ में पूछा।

"डॉ. मेहता ने कहा कि वह अनुष्ठान की बारीकियों पर चर्चा करने और गुफा तक पहुँचने के लिए और जानकारी देने के लिए जल्द ही आएँगे। हमें तब तक तैयारी करनी होगी," विवेक ने कहा। उसकी आवाज़ में दृढ़ता थी, लेकिन उसके मन में भी डर था। जब भी वह बेसमेंट के नक्शों पर काम करता, उसका लैपटॉप अपने आप बंद हो जाता, या स्क्रीन पर अजीब आकृतियाँ उभर आतीं, जैसे कोई उसे ऐसा करने से रोक रहा था।

अगले दो दिन तैयारी में बीत गए। उन्होंने अपने बैग पैक किए, ज़रूरी सामान इकट्ठा किया, जिसमें टॉर्च, फर्स्ट-एड किट, और कुछ खाने-पीने का सामान शामिल था। हर चीज़ की व्यवस्था करते हुए, उन्हें महसूस हुआ कि यह सिर्फ़ एक यात्रा नहीं, बल्कि एक मिशन था। अपार्टमेंट का माहौल और भी तनावपूर्ण हो गया था। रात में, दबी हुई चीखें और पुरानी धुनें अब और साफ सुनाई देने लगी थीं। लिफ्ट अब हर कुछ घंटों में अपने आप ऊपर-नीचे होती रहती थी, और उसमें से सड़ी हुई गंध आती रहती थी, जैसे किसी पुरानी कब्र से आ रही हो।

श्रीमती शर्मा की हालत सबसे ज़्यादा चिंताजनक थी। वह अपने कमरे में अकेली बैठी फुसफुसाती रहती थीं, जैसे किसी अदृश्य व्यक्ति से बात कर रही हों। उनके हाथ लगातार काँपते रहते थे और वे अक्सर हवा में हाथ लहराती थीं, मानो किसी चीज़ को दूर भगा रही हों। उन्हें लगता था कि बेसमेंट से आने वाली फुसफुसाहटें अब उनके साथ कमरे में मौजूद हैं, उन्हें आदेश दे रही हैं। रिया ने एक बार उन्हें अपनी बालकनी पर आधी रात को खड़ा देखा, चाँदनी में हवा में हाथ हिलाते हुए, कुछ अजीबोगरीब भाषा में बुदबुदाते हुए। यह देखकर रिया के रोंगटे खड़े हो गए थे।

तीसरे दिन, डॉ. मेहता एक बार फिर उनके अपार्टमेंट आए। उनके चेहरे पर थकान और तनाव साफ दिख रहा था, लेकिन उनकी आँखों में दृढ़ता थी। वह अपने साथ कुछ पुरानी किताबें और नक्शे लाए थे।

"तो, मैंने गुफा के बारे में और जानकारी इकट्ठा की है," डॉ. मेहता ने सीधे बात शुरू की। उन्होंने एक पुराना, हाथ से बना नक्शा फैलाया। "गुफा अरावली के बहुत गहरे हिस्से में है, जहाँ आबादी लगभग न के बराबर है। यह एक प्राचीन शिव मंदिर के पास स्थित है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह कई सदियों पहले त्याग दिया गया था। मंदिर के खंडहरों के ठीक पीछे एक छोटी सी पगडंडी है जो गुफा की ओर जाती है।"

उन्होंने चेतावनी दी, "रास्ता बहुत ऊबड़-खाबड़ और खतरनाक हो सकता है। यह जगह किसी भी आधुनिक नक्शे पर नहीं है, और इसका रास्ता भी सालों से इस्तेमाल न होने के कारण लगभग मिट चुका होगा। इसके अलावा, वहाँ वन्यजीव हो सकते हैं, और मौसम भी अप्रत्याशित हो सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात, यह इकाई आपको वहाँ जाने से रोकने की पूरी कोशिश करेगी। रास्ते में आपको कई भ्रम और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।"

विवेक ने नक्शे को ध्यान से देखा। "क्या हमें कोई गाइड मिलेगा?"

डॉ. मेहता ने सिर हिलाया। "मुझे नहीं लगता कि कोई भी स्थानीय व्यक्ति उस जगह के पास भी जाना चाहेगा। वे इसे शापित मानते हैं। आपको यह यात्रा अकेले करनी होगी।"

उन्होंने आगे बताया, "अनुष्ठान के लिए उस वनस्पति को 'नीला फूल' कहा जाता है। यह सिर्फ़ ऐसी जगह पर उगती है जहाँ नकारात्मक ऊर्जा और प्राकृतिक पवित्रता का संतुलन हो। गुफा के भीतर, आपको एक छोटा सा भूमिगत झरना मिलेगा। यह नीला फूल उसी झरने के पास उगता है।"

"हमें इसे कैसे पहचानना होगा?" छाया ने पूछा।

"यह अपने आस-पास की हर चीज़ से अलग दिखेगी। इसमें एक हल्की सी चमक होगी, और जब आप इसके करीब जाएँगे, तो आपको एक अजीब सी शांति महसूस होगी, जो गुफा के माहौल से बिल्कुल विपरीत होगी।" डॉ. मेहता ने समझाया। "लेकिन इसे छूते समय सावधान रहें। इसे सीधे हाथ से न छुएँ। मैंने आपके लिए एक विशेष दस्ताना तैयार किया है। इसे तोड़ने के बाद, इसे तुरंत इस कांच के जार में रखें।" उन्होंने एक छोटा, मज़बूत कांच का जार और एक मोटा चमड़े का दस्ताना दिया।

डॉ. मेहता ने अनुष्ठान की बारीकियों पर भी चर्चा की। "अनुष्ठान अमावस्या की रात को करना होगा, जब नकारात्मक ऊर्जा अपने चरम पर होती है, और हम उसी ऊर्जा का उपयोग करके दुष्ट शक्ति  को फिर से बांध सकते हैं। उस रात, आपको उस नीले फूल, शुद्ध लौह धातु (जो मैंने आपको दी है), और उस विशेष मिट्टी (जो गुफा में मिलेगी) का उपयोग करके एक जटिल चक्र बनाना होगा। फिर आपको यह मंत्र लगातार दोहराना होगा।" उन्होंने एक प्राचीन भाषा में लिखा हुआ एक छोटा सा ताम्रपत्र विवेक को दिया। "यह भाषा बहुत पुरानी है, इसलिए उच्चारण बिल्कुल सही होना चाहिए।"

"और मानसिक एकाग्रता?" अनुराग ने पूछा।

"यह सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है," डॉ. मेहता ने जोर दिया। "आप चारों को एक साथ ध्यान केंद्रित करना होगा। आपके मन में कोई डर नहीं होना चाहिए, कोई संदेह नहीं होना चाहिए। अगर आप में से कोई भी एक पल के लिए भी डरा, या पीछे हटा, तो अनुष्ठान विफल हो सकता है, और नकारात्मक शक्ति हमेशा के लिए आज़ाद हो जाएगी। इसका मतलब है कि वह इस दुनिया में पूरी तरह से आ जाएगी, और फिर उसे रोकना लगभग असंभव होगा। उसके बाद, मानवता के लिए सिर्फ़ तबाही होगी।"

यह सुनकर रिया का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। "लेकिन कवच?"

डॉ. मेहता ने गहरी साँस ली। "गुफा में आपको उस कलाकृति के बारे में और सुराग मिल सकता है। कुछ प्राचीन कहानियों में कहा गया है कि कवच उसी स्थान पर छुपाया गया था जहाँ पर उस दुष्ट शक्ति की ताकत को बांधा गया था। लेकिन यह सिर्फ़ एक किंवदंती है, मुझे इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं पता।"

उन्होंने विवेक के कंधे पर हाथ रखा। "मुझे पता है कि यह सब बहुत मुश्किल लग रहा है, लेकिन आप ही वह उम्मीद हैं। मुझे आप पर भरोसा है। कल सुबह आप निकलें। मैं यहाँ रहकर अपनी रिसर्च जारी रखूँगा और अगर मुझे कोई और जानकारी मिलती है, तो मैं आपसे संपर्क करूँगा।"

डॉ. मेहता के जाने के बाद, ग्रुप फिर से सन्नाटे में डूब गया। इस बार सन्नाटा और भी भारी था। उनके सामने एक बहुत बड़ी चुनौती थी, जिसके परिणाम विनाशकारी हो सकते थे। वे  चार आम लोग थे जो एक प्राचीन बुराई से लड़ रहे थे।

विवेक ने नक्शे को उठाया। "तो, कल सुबह। हम सुबह जल्दी निकलेंगे, ताकि दिन के उजाले में जितना हो सके, उतना रास्ता तय कर सकें।"

छाया ने सिर हिलाया। "हमें तैयार रहना होगा। हर चीज़ के लिए।"

रिया ने अपने बैग की ज़िप बंद की। उसके मन में हजारों विचार घूम रहे थे, लेकिन एक बात साफ थी – उन्हें यह करना होगा। अपने लिए, और शायद पूरी दुनिया के लिए।

अनुराग ने लंबी साँस ली। उसे पता था कि यह यात्रा आसान नहीं होगी। उसे अपने डर पर काबू पाना होगा, अपनी कमजोरी से लड़ना होगा। लेकिन अपने दोस्तों के साथ रहने से उसे थोड़ी हिम्मत मिली थी।

रात भर, अपार्टमेंट में अजीबोगरीब घटनाएँ चरम पर थीं। जैसे-जैसे यात्रा का समय करीब आ रहा था, उस अदृश्य दुष्ट शक्ति की गतिविधियाँ और तेज़ हो रही थीं। लिफ्ट अपने आप रुक-रुक कर चलती रही, गलियारों से अस्पष्ट फुसफुसाहटें आती रहीं, और कुछ कमरों से तेज़ खरोंचने की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। ऐसा लग रहा था कि वह चीज़ उन्हें रोकना चाहती थी, उनकी हिम्मत तोड़ना चाहती थी, लेकिन इस बार ग्रुप में एक नई दृढ़ता थी। उन्होंने तय कर लिया था कि वे पीछे नहीं हटेंगे। उन्हें गुफा तक पहुँचना ही था। उनका अस्तित्व दाँव पर लगा था।