भाग 6
रात के सन्नाटे में, टॉर्च की मंद रोशनी के साथ, विवेक, रिया, छाया और अनुराग बेसमेंट की ओर बढ़े. लिफ्ट की जगह उन्होंने सीढ़ियों का इस्तेमाल किया, हर सीढ़ी उनके डर को बढ़ा रही थी. दीवारों पर सीलन के निशान थे और हवा में एक अजीब सी घुटन थी जो उनके फेफड़ों तक जाती महसूस होती थी. बेसमेंट का दरवाज़ा एक भारी, धातु का दरवाज़ा था जिस पर मोटी परत में जंग लगी थी. उस पर लगे पुराने ताले को तोड़ने में विवेक को कुछ मिनट लगे, और हर पल उन्हें लग रहा था कि कोई अदृश्य आँख उन्हें देख रही है. जैसे ही दरवाज़ा खुला, एक ठंडी, सीलन भरी हवा का झोंका उनके चेहरों से टकराया, जिसमें मिट्टी और कुछ अजीब, पुरानी गंध मिली हुई थी – जैसे कुछ सड़ा हुआ हो, या बहुत समय से दबा हुआ हो.
बेसमेंट अँधेरे में डूबा हुआ था. उनकी टॉर्च की रोशनी में सिर्फ़ धूल भरी दीवारें, पुराने पाइप और कबाड़ का ढेर दिखाई दे रहा था. हवा में एक अजीब सा दबाव था, जैसे कोई अदृश्य शक्ति उन्हें अंदर खींच रही हो. उन्हें लगा कि यह जगह उन्हें साँस लेने नहीं दे रही थी, हर साँस भारी लग रही थी. माहौल इतना शांत था कि उन्हें अपनी धड़कनों की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी.
"यह अजीब है," विवेक ने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी आवाज़ भी काँप रही थी. "बिल्डिंग प्लान में यह जगह सिर्फ़ एक सामान्य स्टोरेज एरिया और यूटिलिटी रूम के तौर पर दिखाई गई है. लेकिन यह बहुत बड़ा लगता है." उसने अपने फ़ोन में डाउनलोड किए गए प्लान को दोबारा देखा, लेकिन उसके माथे पर चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही थीं.
रिया ने अपने फ़ोन से वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कर दी, हालाँकि उसे पता था कि शायद कुछ रिकॉर्ड नहीं होगा. तभी उसके फ़ोन की स्क्रीन पर कुछ अजीबोगरीब लाइन्स उभरने लगीं और उसकी बैटरी तेज़ी से गिरने लगी, मानो कोई अदृश्य ऊर्जा उसके डिवाइस को सोख रही हो. "देखो, यह फिर हो रहा है!" उसने डरते हुए कहा, उसकी उंगलियाँ काँप रही थीं.
छाया ने महसूस किया कि जैसे ही वे अंदर आए, उसके सिर में एक हल्का दर्द शुरू हो गया था. उसे लगा कि कोई उसकी सोच को पढ़ रहा है, उसके डर को महसूस कर रहा है. अचानक, एक कोने से धीमी, अस्पष्ट फुसफुसाहट सुनाई दी. यह उतनी स्पष्ट नहीं थी जितनी श्रीमती शर्मा ने बताई थी, बल्कि सिर्फ़ हवा का एक भयानक सा झोंका था जो कानों के पास से गुज़रा हो, जिसमें सैकड़ों आवाज़ें एक साथ मिली हुई थीं, लेकिन कोई शब्द समझ नहीं आ रहा था.
अनुराग ने अपनी टॉर्च घुमाई. "यहाँ कुछ दीवारें तो बिल्कुल नई लगती हैं, जैसे बाद में बनाई गई हों." उसने एक दीवार को छूकर देखा, जो ठंडी और खुरदरी थी, जैसे सालों से उस पर सूरज की रोशनी न पड़ी हो.
विवेक ने अपने साथ लाए हुए प्लान को देखा. "हाँ, प्लान में कुछ 'अनडिस्क्लोज़्ड एरिया' का ज़िक्र था, जिन्हें सिर्फ़ 'मेंटेनेंस एक्सेस' बताया गया है. शायद ये वही हैं." उसने अपने हाथ से दीवारों को टटोलना शुरू किया, यह जानने की कोशिश कर रहा था कि कहीं कोई छुपा हुआ मार्ग तो नहीं.
वे उन नई दीवारों की ओर बढ़े. एक जगह उन्हें एक छोटा, छिपा हुआ दरवाज़ा मिला, जो दीवार के रंग में रंगा हुआ था और इतनी चालाकी से बनाया गया था कि पहली नज़र में दिखाई ही न दे. दरवाज़ा पुराना और लकड़ी का था, और उस पर कुछ अजीब से, मिट चुके निशान खुदे हुए थे. वे निशान किसी जानवर के पंजे जैसे दिख रहे थे, लेकिन बहुत विकृत और असामान्य थे – जैसे किसी भयावह जीव ने उन्हें खरोंचा हो.
"ये क्या है?" रिया ने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी आँखों में दहशत थी.
छाया ने उस दरवाज़े को छूने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसका हाथ पास आया, उसे एक तेज़ झटका लगा और एक ठंडी, ऊर्जा उसके शरीर से गुज़र गई, जो उसकी हड्डियों तक घुस गई. "यह... यह सिर्फ़ लकड़ी नहीं है," उसने काँपते हुए कहा, उसका पूरा शरीर सिहर उठा था. "यह किसी ऊर्जा से भरी हुई है."
विवेक ने दरवाज़े को ध्यान से देखा. "यह कोई साधारण दरवाज़ा नहीं है. इसे छिपाने की कोशिश की गई है." उसने उसे खोलने की कोशिश की, लेकिन दरवाज़ा टस से मस नहीं हुआ, जैसे अंदर से कोई अदृश्य ताकत उसे रोके हुए थी.
तभी, बेसमेंट के दूर कोने से एक तेज़, धातु के टकराने जैसी आवाज़ आई. जैसे किसी ने भारी हथौड़ा मारा हो, या कोई भारी चीज़ ज़मीन पर गिरी हो. आवाज़ इतनी अप्रत्याशित और भयानक थी कि वे सब उछल पड़े, उनकी टॉर्चें काँप उठीं. उनकी टॉर्च की रोशनी आवाज़ की दिशा में गई, लेकिन वहाँ कुछ भी नहीं था, सिवाय कबाड़ के ढेर के और कुछ हिलती हुई परछाइयों के जो पलक झपकते ही गायब हो गईं. उन्हें लगा कि उन्होंने कुछ देखा था, लेकिन वह इतना क्षणभंगुर था कि पकड़ में नहीं आया.
"क्या था वो?" अनुराग ने पूछा, उसकी आवाज़ में घबराहट थी. उसकी आँखें अँधेरे में कुछ ढूँढ़ रही थीं, लेकिन कुछ भी साफ नहीं था.
"पता नहीं," विवेक ने कहा, उसका माथा पसीने से भीगा हुआ था. "लेकिन मुझे लगता है कि यह जगह सिर्फ़ एक बेसमेंट नहीं है. यह कुछ और है. कुछ बहुत पुराना और बुरा."
छाया को लगा कि जैसे ही वे उस छिपे हुए दरवाज़े के पास पहुँचे थे, नकारात्मक ऊर्जा और बढ़ गई थी. उसे अपने दिमाग में अजीबोगरीब तस्वीरें चमकती हुई महसूस हुईं – धुंधली, पुरानी आकृतियाँ, दर्द में चीखते हुए चेहरे, और एक अजीब सा प्रतीक जो उसकी आँखों के सामने आया और फिर गायब हो गया. यह सब बहुत तेज़ी से हुआ, जैसे कोई उसे चेतावनी दे रहा हो, या उसे कुछ दिखाने की कोशिश कर रहा हो जो वह समझ नहीं पा रही थी. उसे अब यकीन हो गया था कि यह जगह उनसे कुछ कह रही है, उन्हें अपने भयानक इतिहास से रूबरू करा रही है.
वे समझ गए थे कि वे एक ऐसी जगह पर आ गए हैं जहाँ सामान्य नियम काम नहीं करते. यह ज़मीन सिर्फ़ एक श्राप नहीं थी; यह एक सक्रिय इकाई थी जो उन्हें अपनी ओर खींच रही थी, उन्हें अपने जाल में फंसा रही थी. उस छिपे हुए दरवाज़े के पीछे कुछ ऐसा था जो इस सब की जड़ था, और वे जान गए थे कि उन्हें उसे ढूँढ़ना होगा, इससे पहले कि वह उन्हें पूरी तरह निगल ले. अब वे सिर्फ़ अपनी जान बचाने के लिए नहीं लड़ रहे थे, बल्कि उस अज्ञात, प्राचीन बुराई को समझने और रोकने के लिए लड़ रहे थे. उन्हें लगा कि वे इतिहास के एक ऐसे पृष्ठ पर आ गए हैं जहाँ से वापस लौटना असंभव था.
वे कुछ और देर बेसमेंट में घूमे, हर कोने को टटोला, हर परछाई में कुछ ढूँढ़ने की कोशिश की. लेकिन उन्हें उस छिपे हुए दरवाज़े के अलावा कोई और स्पष्ट सुराग नहीं मिला. हर पल उन्हें यही महसूस हो रहा था कि कोई उन्हें देख रहा है, उनकी हर हरकत पर नज़र रख रहा है. बेसमेंट की घुटन भरी हवा उनके फेफड़ों में भर रही थी, और उनका डर बढ़ता जा रहा था. उन्होंने तय किया कि अभी के लिए वापस लौटना ही सही होगा, लेकिन वे जानते थे कि उन्हें जल्द ही उस दरवाज़े के पीछे क्या है, उसका पता लगाना होगा, क्योंकि वह रहस्य उन्हें चैन से बैठने नहीं देगा.