भाग 13
विवेक ने नीले फूल को कांच के जार में सुरक्षित रखा और तेज़ी से उसी रास्ते पर वापस मुड़ा जिस रास्ते वह गुफा में आया था। दुष्ट शक्ति की फुसफुसाहटें और भ्रम अभी भी उसका पीछा कर रहे थे, लेकिन नीले फूल को पाने की संतुष्टि ने उसे एक नई शक्ति दी थी। उसे महसूस हो रहा था कि गुफा की दीवारें अब भी काँप रही हैं, जैसे वह चीज़ गुस्से में हो कि उसका फूल छीन लिया गया है।
रास्ता अब ऊपर की ओर जा रहा था, और विवेक को ज़ल्दी थी। उसे अपनी फ़ोन की फ्लैशलाइट पर ही भरोसा करना पड़ रहा था, जो कभी भी दम तोड़ सकती थी। वह ध्यान से हर कदम रख रहा था, पत्थरों और चिकनी चट्टानों से बचता हुआ। उसे हर मोड़ पर लग रहा था कि कोई उसके पीछे है, या किसी अंधेरे कोने से कोई आकृति उस पर झपटने वाली है। उसे अपनी पीठ पर एक ठंडी साँस महसूस हुई, और एक पल को तो वह लड़खड़ा गया, लेकिन उसने खुद को संभाला। उसे पता था कि यह सब मन का वहम है, जो दुष्ट शक्ति पैदा कर रही है।
कुछ देर बाद, उसे दूर से हल्की रोशनी दिखाई दी। यह गुफा का प्रवेश द्वार था! बाहर की ताज़ी हवा का एहसास होते ही, विवेक ने राहत की साँस ली। जैसे ही वह बाहर निकला, गुफा के अंदर से एक आखिरी, तेज़ चीख गूँजी, जो पहाड़ियों में देर तक गूँजती रही। यह ऐसी चीख थी, मानो कोई प्राचीन जीव अपना सबसे कीमती खज़ाना खोने पर बिलख रहा हो।
बाहर आकर विवेक ने एक गहरी साँस ली। रात घिर चुकी थी, और चंद्रमा की हल्की रोशनी पेड़ों के बीच से छनकर आ रही थी। उसने टॉर्च की रोशनी में देखा – रिया और छाया मंदिर के पास वहीं बैठे थे जहाँ उसने उन्हें छोड़ा था। अनुराग उनकी गोद में सिर रखे सोया हुआ था, उसका चेहरा अभी भी पीला था।
"विवेक!" रिया चिल्लाई, जैसे ही उसने उसे देखा। वह और छाया तुरंत उसकी तरफ दौड़ीं।
"तुम ठीक हो?" छाया ने पूछा, उसकी आँखों में चिंता थी।
विवेक ने सिर हिलाया, "हाँ, मैं ठीक हूँ। मुझे मिल गया।" उसने कांच का जार उठाया, जिसमें नीला फूल अपनी हल्की नीली रोशनी बिखेर रहा था। फूल की चमक इतनी सुंदर थी कि उस अंधेरी रात में एक उम्मीद की किरण जैसी लग रही थी।
"हे भगवान! यह तो चमक रहा है!" रिया ने हैरानी से कहा।
"क्या अनुराग ठीक है?" विवेक ने पूछा।
रिया ने उदासी से सिर हिलाया। "बुखार थोड़ा कम हुआ है, लेकिन वह अभी भी बेहोश है। उसकी साँसें तेज़ हैं।"
विवेक ने अनुराग के माथे पर हाथ रखा। उसका शरीर अभी भी गर्म था। "हमें उसे यहाँ से निकालना होगा। हम रात यहीं नहीं रुक सकते।"
लेकिन तभी, उन्होंने एक अजीब सी गड़गड़ाहट सुनी। ज़मीन हल्की-हल्की काँप रही थी, और मंदिर के पुराने खंडहरों से पत्थर गिरने लगे थे। यह किसी भूकंप जैसा नहीं था, बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे ज़मीन के भीतर कोई विशाल चीज़ हिल रही हो।
"यह क्या हो रहा है?" अनुराग घबराकर उठा, उसकी आँखें आधी खुली थीं।
"यह वह चीज़ है," विवेक ने कहा। "वह गुस्सा है कि हमने नीला फूल ले लिया। वह हमें रोकना चाहती है।"
उनकी कार तक का रास्ता अब और भी मुश्किल हो गया था। पेड़ और झाड़ियाँ अचानक बहुत घनी हो गईं, जैसे कोई अदृश्य दीवार बना दी गई हो। उन्हें लगा जैसे पेड़ों की शाखाएँ उन पर हमला कर रही हों, और हर तरफ से अजीबोगरीब आवाज़ें आ रही थीं, जैसे कोई उन्हें घेर रहा हो। ज़मीन पर अचानक गहरे गड्ढे बनने लगे, और उन्हें हर कदम पर फूँक-फूँक कर चलना पड़ रहा था।
"यह हमें यहीं रोकना चाहती है!" रिया चिल्लाई। उसके सोशल मीडिया पर अब भयानक तस्वीरें अपने आप पोस्ट हो रही थीं, जिनमें गुफा के अंदर के प्रतीक और दुष्ट शक्ति की भयानक आकृतियाँ थीं। उसके फोन पर अज्ञात नंबरों से लगातार कॉल आ रही थीं, और इस बार वह अपनी ही विकृत आवाज़ को दोहराती हुई सुन सकती थी – "तुम भाग नहीं सकते... तुम भाग नहीं सकते..."
अनुराग की हालत फिर बिगड़ने लगी। उसे अचानक तेज़ दर्द हुआ, और वह फिर से ज़मीन पर गिर पड़ा। उसके शरीर पर लाल निशान उभरने लगे थे, जो अब और भी गहरे और दर्दनाक लग रहे थे।
"हम उसे ऐसे नहीं ले जा सकते!" छाया ने कहा, उसकी आँखों में आँसू थे।
विवेक ने चारों ओर देखा। उन्हें कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। दुष्ट शक्ति ने उन्हें फंसा लिया था। "हमें शांत रहना होगा," उसने कहा। "हमें कोई रास्ता खोजना होगा।"
अचानक, विवेक की नज़र मंदिर के एक टूटे हुए हिस्से पर पड़ी। वहाँ एक प्राचीन, आधा ढका हुआ कुआँ था। डॉ. मेहता ने ज़िक्र किया था कि कवच का सुराग गुफा में मिलेगा और कुछ प्राचीन कहानियों में कहा गया था कि कवच उसी स्थान पर छुपाया गया था जहाँ से उस दुष्ट शक्ति की ताकत को बांधा गया था। विवेक को याद आया कि उसने गुफा में जो प्रतीक देखा था, वह खाली जगह के पास था। क्या यह कुआँ उससे जुड़ा था?
"मुझे लगता है कि कवच यहीं कहीं है," विवेक ने कहा, उसकी आवाज़ में एक नई ऊर्जा थी। "डॉ. मेहता ने कहा था कि गुफा में कवच का सुराग मिल सकता है।"
"कवच? अब क्या?" रिया ने पूछा, उसकी आवाज़ में हताशा थी।
"यह हमें दुष्ट शक्ति से लड़ने में मदद करेगा," विवेक ने कहा। "शायद यह हमें यहाँ से निकलने का रास्ता भी दिखाएगा।"
उन्होंने मिलकर उस कुएं के पास पहुँचने की कोशिश की। दुष्ट शक्ति ने और भी ज़्यादा प्रतिरोध दिखाया। हवा में भयानक चीखें गूँजने लगीं, और पेड़ों की टहनियाँ उन्हें चाबुक की तरह मार रही थीं। पत्थर ऊपर से गिरने लगे, और उन्हें बार-बार झुकना पड़ा। जैसे-जैसे वे कुएं के करीब पहुँचे, वहाँ की हवा और भी घनी और ठंडी होती गई।
कुआँ बहुत पुराना और गहरा था। उसके किनारे पर भी वही प्राचीन प्रतीक खुदे हुए थे जो मंदिर और गुफा में थे। कुएं के मुँह से एक अजीब सी काली रोशनी निकल रही थी, जो अंधेरे में धुएँ जैसी लग रही थी।
"यह डरावना लग रहा है," अनुराग ने धीरे से कहा।
विवेक ने टॉर्च की रोशनी कुएं में डाली, लेकिन रोशनी बहुत दूर तक नहीं जा पाई। वह सिर्फ़ एक अथाह अंधेरे को देख पाया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि कवच कहाँ हो सकता है, या उसे कैसे निकाला जाए। दुष्ट शक्ति उनके हर कदम को चुनौती दे रही थी, और उन्हें लग रहा था कि वे इस लड़ाई में अकेले हैं।
उन्हें पता था कि उन्हें कवच को ढूंढना होगा, क्योंकि अनुष्ठान के लिए नीला फूल तो मिल गया था, लेकिन कवच के बिना वे उस दुष्ट शक्ति का सामना कैसे करेंगे, खासकर अगर वह इतनी ताक़तवर हो गई थी कि उन्हें मंदिर से निकलने भी नहीं दे रही थी? यह एक नई और बड़ी चुनौती थी, और समय तेज़ी से बीता जा रहा था।