भाग 20
बेसमेंट अब एक ऐसे भँवर में बदल गया था जहाँ अच्छी और बुरी शक्तियाँ आपस में उलझ रही थीं। काली छाया द्वारा बनाए गए काले, धुएँ जैसे सायों ने चबूतरे को घेर लिया था, हर साया एक भयानक रूप ले रहा था, जो डर और निराशा को फैला रहा था। वे उस अनुष्ठान को रोकने के लिए बेताब थे जो उनकी शक्ति को हमेशा के लिए बांध सकता था।
डॉ. मेहता का मंत्र जाप अब एक शक्तिशाली गर्जना में बदल गया था, जो अँधेरे में गूँज रहा था। उनके शब्दों में प्राचीन ज्ञान और अटूट दृढ़ संकल्प का सार था। सूर्य और अवंतिका, अभी भी ध्यान मुद्रा में थे, उनकी पीली आभा ने एक सुरक्षा कवच बना लिया था जो काले सायों को दूर रख रहा था। यह आभा धीरे-धीरे बड़ी होती जा रही थी, जैसे अँधेरे में एक छोटा सूरज चमक रहा हो।
विवेक, कवच की सुनहरी आभा में घिरा हुआ, अपनी जगह पर अटल खड़ा था। कवच से निकलने वाली ऊर्जा इतनी तीव्र थी कि काले साये उसके पास आने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे। जैसे ही कोई साया करीब आने की कोशिश करता, कवच से एक चमक निकलती और उसे पीछे धकेल देती। विवेक को लगा जैसे कवच उसके दिल की धड़कन के साथ स्पंदित हो रहा हो, उसे अकल्पनीय शक्ति दे रहा हो।
रिया, छाया और अनुराग ने अपनी आँखें कसकर बंद कर रखी थीं, लेकिन उनके होंठ मंत्रों का जाप पूरी एकाग्रता से कर रहे थे। भय अब भी था, लेकिन उनके मन में एक नया दृढ़ संकल्प पैदा हो गया था। उन्हें पता था कि वे इस लड़ाई में अकेले नहीं थे, और यही विश्वास उन्हें शक्ति दे रहा था। वे कल्पना कर रहे थे कि मंत्रों की शक्ति से काली छाया कमजोर पड़ रही है।
काली छाया गुस्से से काँप उठी। उसने देखा कि उसका भ्रम और सीधा हमला काम नहीं कर रहा था। उसकी शक्ति कमजोर पड़ रही थी क्योंकि अनुष्ठान आगे बढ़ रहा था। अचानक, एक ठंडी, तेज़ हवा का झोंका आया, जिसने चबूतरे पर रखे नीले फूल और लोहे के टुकड़ों को उड़ाने की कोशिश की। ऐसा लगा जैसे अदृश्य हाथ उन पवित्र वस्तुओं को हटाने की कोशिश कर रहे हों।
"पकड़ो!" डॉ. मेहता चिल्लाए, उनकी आवाज़ में थोड़ी घबराहट थी। "अनुष्ठान टूटना नहीं चाहिए!"
अवंतिका ने तुरंत अपनी आँखें खोलीं। उसकी आँखें सुनहरी चमक रही थीं। उसने अपने हाथ चबूतरे की ओर बढ़ाए, और उसकी पीली आभा और तेज़ होकर वस्तुओं को अपनी जगह पर स्थिर कर दिया। सूर्य ने भी अपनी आँखें खोलीं और अवंतिका के साथ मिलकर अपनी ऊर्जा को चबूतरे पर केंद्रित किया। उनकी संयुक्त शक्ति ने काली छाया के हमले को रोक दिया।
इस बीच, काली छाया ने अपना आखिरी, सबसे शक्तिशाली हमला किया। बेसमेंट की दीवारों से विशाल, काले हाथ निकलने लगे, जो सीधे डॉ. मेहता और चबूतरे की ओर बढ़ रहे थे। ये हाथ ठोस और डरावने लग रहे थे, जैसे वे इस दुनिया के न हों। उनका लक्ष्य स्पष्ट था: अनुष्ठान को भौतिक रूप से नष्ट करना।
"विवेक!" डॉ. मेहता चिल्लाए। "कवच की शक्ति का उपयोग करो! हमें इन हाथों को रोकना होगा!"
विवेक ने जल्दी से अपनी आँखें खोलीं। सामने के भयानक दृश्य ने उसे चौंका दिया, लेकिन कवच की ऊर्जा ने उसे स्थिर रखा। उसने अपने हाथ में कवच को कसकर पकड़ा और उसे काले हाथों की ओर बढ़ाया। जैसे ही उसने ऐसा किया, कवच से एक तीव्र सुनहरी ऊर्जा का विस्फोट हुआ। यह ऊर्जा एक लहर की तरह फैली और काले हाथों से टकराई।
एक तेज़ चीख गूँजी – काली छाया की पीड़ा भरी चीख। काले हाथ जलने लगे और धुएँ में बदल गए, जैसे वे अस्तित्व से मिट रहे हों। कवच की शक्ति ने काली छाया के भौतिक रूप को नष्ट कर दिया था।
अचानक, बेसमेंट में शांति छा गई। भयानक आवाज़ें बंद हो गईं, और ठंडी हवा थम गई। काले साये छंटने लगे और धुंध की तरह गायब हो गए। बेसमेंट की लाइटें धीमी गति से झिलमिलाकर वापस आ गईं, और टॉर्च की रोशनी भी फिर से जलने लगी।
डॉ. मेहता ने हाँफते हुए नीले फूल और लोहे के टुकड़ों को देखा। वे अभी भी अपनी जगह पर थे, फूल की नीली आभा थोड़ी और तेज़ चमक रही थी। अनुष्ठान सफल हो गया था। काली छाया को अंततः बांध दिया गया था।
सबने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं। उनके चेहरे पर थकान थी, लेकिन उससे कहीं ज़्यादा राहत और जीत का भाव था। उन्होंने एक-दूसरे की ओर देखा, फिर डॉ. मेहता की ओर।
"हमने कर दिखाया..." रिया ने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी आवाज़ में अविश्वास था।
"काली छाया अब बंधी हुई है," डॉ. मेहता ने पुष्टि की, उनके चेहरे पर भी गहरी थकान और संतुष्टि का भाव था। "इस शक्ति को हमेशा के लिए इस बेसमेंट में बांध दिया गया है।"
लेकिन जैसे ही उन्होंने यह कहा, बेसमेंट के एक कोने से एक धीमी, पतली फुसफुसाहट सुनाई दी। यह फुसफुसाहट किसी की आवाज़ नहीं थी, बल्कि एक विचार जैसा था जो सीधे उनके दिमाग में गूँज रहा था: तुम जीत गए... लेकिन यह केवल शुरुआत है... मैं वापस आऊँगी...
सब चौंक गए। काली छाया अभी भी वहाँ थी, भले ही बंधी हुई थी। यह चेतावनी थी।
"इसका क्या मतलब है, डॉ. मेहता?" विवेक ने पूछा, उसके हाथ में कवच अब भी चमक रहा था।
डॉ. मेहता के चेहरे पर चिंता की एक नई लकीर दिखाई दी। "इसका मतलब है कि हमने उसे बांध दिया है, लेकिन उसकी आत्मा अभी भी यहीं है। वह कमजोर है, लेकिन पूरी तरह से नष्ट नहीं हुई है। हमें इस जगह को हमेशा के लिए सील करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी कभी भी इस बेसमेंट में प्रवेश न करे।"
उन्होंने चबूतरे पर पड़े नीले फूल को देखा, जो अब एक हल्की नीली रोशनी से चमक रहा था। यह अनुष्ठान सफल हुआ था, लेकिन उन्हें पता था कि उनकी यात्रा अभी खत्म नहीं हुई थी। काली छाया की अंतिम चेतावनी उनके दिमाग में गूँज रही थी, यह संकेत देते हुए कि बुराई हमेशा एक रास्ता ढूंढने की कोशिश करती है।
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