इंतेक़ाम

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आसमान में काले बादल छाए हुए थे ऐसा लग रहा था जैसे आज इंदर देव रूष्ट हो और अपना सारा कोप निकालना चाहते हो,बरसात आने की आशंका में सभी लोग अपना काम जल्दी-जल्दी समेट कर अपने घर पहुंचना चाहते थे, दिन के 5:00 बज रहे थे लेकिन चारों तरफ अंधेरा छा गया है सभी लोग अपनी दुकानें बंद कर अपने अपने घरों की तरप भागने लगे, सबको अपने घर पहुंचने की जल्दी थी लेकिन सड़क के बीचो बीच चल रही निशा पर इन सब का जैसे कोई असर नहीं था, वह अपने ख्यालों में खोई सड़क के बीचो बीच चल रही थी उसके अंदर बवंडर मचा हुआ था उसकी जिंदगी में आए तूफान की वजह से जैसे उसका सारा दर्द आंखों की मदद से बाहर बरस जाना चाहता हो,

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इंतेक़ाम - भाग 1

आसमान में काले बादल छाए हुए थे ऐसा लग रहा था जैसे आज इंदर देव रूष्ट हो और अपना कोप निकालना चाहते हो,बरसात आने की आशंका में सभी लोग अपना काम जल्दी-जल्दी समेट कर अपने घर पहुंचना चाहते थे,दिन के 5:00 बज रहे थे लेकिन चारों तरफ अंधेरा छा गया है सभी लोग अपनी दुकानें बंद कर अपने अपने घरों की तरप भागने लगे,सबको अपने घर पहुंचने की जल्दी थी लेकिन सड़क के बीचो बीच चल रही निशा पर इन सब का जैसे कोई असर नहीं था,वह अपने ख्यालों में खोई सड़क के बीचो बीच चल रही थी उसके ...Read More

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इंतेक़ाम - भाग 2

निशा अपने मां पिता की इकलौती संतान थी उसके जन्म के बाद ही उसकी मां का देहांत हो गया की मां के देहांत के हो जाने से उसकी दादी उसे मनहूस मानती थी वही निशा के ननिहाल वालों ने तो उसकी मां की मौत के बाद रिश्ता ही तोड़ लिया था लेकिन निशा के पापा निशा से बहुत प्यार करते थे,निशा की मां की मौत के बाद उसके पापा टूट चुके थे उसके जीने की चाह ही खत्म हो चुकी थी लेकिन जब भी वह अपनी मासूम सी फूल सी बेटी निशा को देखते तो उसकी खुशी में अपने ...Read More